पूरी होगी मन की मुराद, शहर मे 2024 से दौड़ेगी मेट्रो
मेरठ : शहर के सपनो की ट्रेन मेट्रो अब हकीकत मे बदलेगी। 2024 से शहर मे मेट्रो दौड़न
मेरठ : शहर के सपनो की ट्रेन मेट्रो अब हकीकत मे बदलेगी। 2024 से शहर मे मेट्रो दौड़ने लगेगी। प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के साथ ही लागत राशि आवंटित करने की भी स्वीकृति दे दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता मे बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक मे मेरठ मेट्रो पर भी मुहर लग गई। केद्र सरकार की योजना के तहत वर्ष 2024 तक मेट्रो रेल परियोजना पूरा करने का लक्ष्य है। केद्र और राज्य सरकार इसमे 50-50 प्रतिशत व्यय वहन करेगी। टेडर प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। राज्य सरकार इसके लिए कर्ज लेगी। गौरतलब है कि जनवरी के प्रथम सप्ताह मे ही राइट्स ने नई मेट्रो नीति के तहत तैयार मेट्रो का रिवाइज डीपीआर जमा किया था।
अब दोनो कारिडोर पर होगा संचालन
योगी कैबिनेट ने मेरठ शहर मे मेट्रो के दोनो कारिडोर को मंजूरी दी है। इसकी कुल लबाई 33 किमी होगी और इसमे 29 स्टेशन होगे। इस पर 13 हजार 800 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
नोट: दोनो कारिडोर को समानांतर बॉक्स मे लगाएं
ये है कोरिडोर-1
परतापुर, डीएन पॉलीटेक्निक, रिठानी, शताब्दीनगर, संजय वन, माधवपुरम, ब्रह्मापुरी, बागपत रोड क्रासिंग, रेलवे रोड चौराहा, भैसाली मैदान, बेगमपुल, एमईएस कालोनी कैट, सोफीपुर, डोरली, गुरुकुल, पल्लवपुरम व मोदीपुरम है। प्रथम कॉरिडोर मे एक से दूसरे स्टेशन की औसत दूरी 1.2 किमी होगी।
ये है कारिडोर-2
श्रद्धापुरी फेज-2, कंकरखेड़ा, मेरठ कैट, कैट स्टेशन, रजबन बाजार, बेगमपुल, बच्चा पार्क, शाहपीर गेट, हापुड़ अड्डा चौराहा, गांधी आश्रम, मंगल पांडे नगर, तेजगढ़ी, मेडिकल कॉलेज, जागृति विहार एक्सटेशन व गोकलपुर प्रस्तावित स्टेशन है। द्वितीय कॉरिडोर मे एक से दूसरे स्टेशन की दूरी 1.1 किमी होगी।
ऐसा तो नही, रैपिड रेल परतापुर तक ही चले
यूपी सरकार ने मेट्रो के दोनो कारिडोर को मंजूरी दी है, ऐसे मे कारिडोर-1 का एलाइनमेट और रैपिड रेल का एलाइनमेट एकसमान हो जाएगा। ऐसे मे हो सकता है कि रैपिड रेल का संचालन दिल्ली से परतापुर तक ही किया जाए। अथवा यह भी हो सकता है कि रैपिड रेल के परतापुर व मोदीपुरम के बीच के स्टेशन हटा दिए जाएं।
प्रोजेक्ट का हिसाब-किताब
इस प्रोजेक्ट पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया था। जनवरी 2016 के मूल्यो के आधार पर 11 हजार 220 करोड़ रुपये लागत का अनुमान था। अब यह राशि 13 हजार 800 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है।
महज दो साल की देरी
प्लान के मुताबिक, 2022 तक परियोजना पर काम पूरा होना था। अब यह परियोजना 2024 तक पूरी होगी। यानी महज दो साल की ही देरी होगी।
यह था प्लान :
प्रदेश सरकार का अप्रूवल
जुलाई 2016 तक
केद्र सरकार का प्रारभिक अप्रूवल
अक्टूबर 2016
अतरिम बैठक : दिसबर 2016
सिविल वर्क को कमेटी का गठन
दिसबर 2016
सिविल वर्क के लिए निविदा
जनवरी 2017
केद्र सरकार की फाइनल अप्रूवल
मार्च 2017
प्राथमिकता पर सिविल वर्क चयन
मार्च 2017
काम पूरा : मार्च 2022