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UP Budget 2021-22: पश्चिमी उप्र में उभर सकती है फूड इंडस्ट्री, 100 करोड़ से जगी आस

UP Budget 2021-22 उत्‍तर प्रदेश सरकार के बजट में पश्चिमी उप्र को भले ही कोई बड़ा उपहार नहीं मिला है लेकिन कताई मिलों के कायाकल्प के लिए जारी 100 करोड़ रुपयों से परतापुर कताई मिल की तकदीर बदल सकती है।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 09:33 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 09:33 AM (IST)
UP Budget 2021-22: पश्चिमी उप्र में उभर सकती है फूड इंडस्ट्री, 100 करोड़ से जगी आस
पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में 100 करोड़ से उभर सकती है फूड इंडस्‍ट्री। (प्रतिकात्‍मक तस्‍वीर)

मेरठ, जेएनएन। प्रदेश सरकार के बजट में पश्चिमी उप्र को भले ही कोई बड़ा उपहार नहीं मिला है, लेकिन कताई मिलों के कायाकल्प के लिए जारी 100 करोड़ रुपयों से परतापुर कताई मिल की तकदीर बदल सकती है। 89 एकड़ में सैकड़ों लघु औद्योगिक इकाइयां बसाई जा सकेंगी। हालांकि बजट में औद्योगिक जमीन व रिसर्च सेंटर न मिलने की टीस भी उद्यमियों में नजर आई।

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इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि पश्चिमी उप्र में एक्सप्रेस वे, रैपिड रेल और इंडस्टियल फ्रेट कारिडोर जैसी योजनाओं का उद्योगों को बड़ा लाभ होगा, लेकिन केंद्र एवं राज्य सरकार के बजट में कोई स्पष्ट और बड़ी सौगात नहीं मिली है। योगी सरकार के पांचवें बजट में कताई मिलों के जीर्णोद्धार और औद्योगिक उपयोग के लिए सौ करोड़ का बजट मिला है।

परतापुर औद्योगिक संगठन के पदाधिकारी राजीव सिंघल का कहना है कि कताई मिल दशकों से बंद बड़ी है। 89 एकड़ जमीन में एमएसएमई सेक्टर की दो सौ से ज्यादा इकाइयां बसाई जा सकती हैं। सूत निगम कानपुर की टीम कई बार सर्वे कर चुकी है। शासन के सहयोग से यह जमीन सूत निगम से यूपीएसआइडीसी के हक में स्थानांतरित होनी है, लेकिन जमीन का मूल्यांकन नहीं हो सका। आइआइए के पदाधिकारी तनुज गर्ग का कहना है कि लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट के बाद कताई मिल में तत्काल उद्योगों को बसाने की बात चली थी, लेकिन प्रक्रिया बेहद ढीली है।

सौ करोड़ ने जगाई कताई मिल की आस

किसान बेल्ट में फूड प्रोसेसिंग इकाइयों का बड़ा बाजार खड़ा हो सकता है। प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत सब्जी व फल संरक्षण का कारोबार शहर से गांवों की तरफ ले जाने के लिए 400 करोड़ का बजट जारी किया है। उद्यमियों का कहना है कि यह किसानों की कमाई बढ़ाने की वजह साबित हो सकता है।

आइआइए के अंकित सिंघल का कहना है कि बजट कृषि से जुड़ी इकाइयों को प्रमोट करने वाला है। इससे औद्योगिकीकरण का प्रवाह शहर से गांवों की ओर होगा। हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर से लेकर बागपत एवं सहारनपुर तक बड़े पैमाने पर आलू, टमाटर, गोभी, आम व अन्य फलों का उत्पादन होता है। रखरखाव के अभाव में 40 प्रतिशत चीजें खराब हो जाती हैं। इस बेल्ट में गन्ने के रस को सुरक्षित रखकर सिरका समेत कई चीजें बनाई जाती हैं।

सूक्ष्म इकाइयों को स्थापित करने के लिए 400 करोड़

बजट में सूक्ष्म इकाइयों को स्थापित करने के लिए 400 करोड़ रुपये दिए गए हैं। किसानों को कोल्ड स्टोर बनाने, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में बड़ी सब्सिडी दी जा सकती है। 10-10 किसानों को मिलाकर समितियां बनाई जा सकती हैं, जो किसानों की नकद आय को बढ़ाएगा। उद्यमी पंकज गुप्ता बताते हैं कि ओडीओपी (एक जनपद एक उत्पाद) के तहत फूड इंडस्ट्री को मिर्जापुर में बढ़ावा दिया गया, जहां बेहतर परिणाम सामने आया। स्कीम से जुड़कर बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हुए हैं। 


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