एक करोड़ में बेचने जा रहे थे दो मुंहा सांप, दो गिरफ्तार, पहले कर चुके है चार दो मुंहे सांपों की तस्करी Muzaffarnagar News
मुजफ्फरनगर में दो तस्कर गिरफ्तार किए गए हैं । जो कमरा किराए पर लेकर रह रहे थे। पुलिस न बताया कि यह पहले भी चार दो मुहे सांपों की तस्करी कर चुके हैं।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। गंग नहर पटरी पर दुर्लभ वन्य जीव दो मुंहा सांप के साथ पकड़े गए आरोपित हस्तिनापुर अभ्यारण्य क्षेत्र के शातिर तस्कर हैं। बीते शुक्रवार भी आरोपित दो मुंहा सांप पकड़कर एक करोड़ रुपये में बेचने दिल्ली जा रहे थे। इससे पहले भी आरोपित चार दो मुंहा सांपों को पकड़कर दिल्ली में एक-एक करोड़ रुपये में बेच चुके हैं।
प्रभारी निरीक्षक संजीव कुमार ने बताया कि संदीप कुमार निवासी असालतपुर खावद थाना छावला नजफगढ़ नई दिल्ली व प्रवेश निवासी संतपुरा गोविंदनपुरी थाना मोदीनगर जिला गाजियाबाद बीते कई माह से मुजफ्फरनगर की मदीना कालोनी में रामपाल के यहां कमरा किराए पर लेकर रह रहे थे। बताया कि दोनों हस्तिनापुर अभ्यारण्य क्षेत्र के गांव सीकरी के जंगल में दुर्लभ वन्य जीव दोमुंहा सांपों को पकड़कर उनकी तस्करी करते थे।
बीते शुक्रवार को भी दोनों आरोपित दो मुंहा एक सांप पकड़कर एक करोड़ में बेंचने के लिए होंडा सिटी कार से गंग नहर पटरी के रास्ते दिल्ली जा रहे थे। जिन्हें पुलिस ने भोपा पुल पर गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि इससे पहले भी वह दिल्ली में एक-एक करोड़ में चार दो मुंहा सांप बेच चुके हैं। न्यायालय ने दोनों आरोपितों को जेल भेजने के साथ ही दो मुंहा सांप वन क्षेत्राधिकारी मोरना के सुपुर्द करने के आदेश दिए। इसके बाद वन विभाग ने एक मीटर लंबे और तीन किलो वजन के दो मुंहा सांप को अपने कब्जे में लेकर पुलिस की मौजूदगी में जौली के जंगल में छुड़वा दिया।
रेड सेंड बोआ सांप के होते हैं दो मुंह
वन क्षेत्राधिकारी मोरना सिंगराज सिंह पुंडीर ने बताया कि इस सांप के दो मुंह होते हैं, जिस कारण इसका नाम दो मुंहा सांप पड़ा। यह सांप खतरा अनुभव होने पर अपने सिर के साथ-साथ अपनी पूंछ को भी हवा में खड़ा कर लेता है।
दवाइयों में करते हैं इस्तेमाल
दो मुंहा सांप दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसी कारण सांप की कीमत करोड़ों रुपए तक होती है। रेड सेंड बोआ जितना मोटा और वजनी होता है, वह उतना ही महंगा होता है। अमूमन 2-3 किलो तक बोआ करीब 3-5 करोड़ रुपए तक का हो सकता है। इंडोनेशिया, चीन और अरब देशों में जानवरों से दवा बनाने का चलन काफी पुराना है। इस सांप की तस्करी के दौरान इसके शरीर के टुकड़े कर अलग-अलग देशों में बेचा जाता है। इनकी मारर्केटिंग वजन के हिसाब से होती है।