Tokyo Olympic: जैवलिन थ्रोअर की वह खिलाड़ी, जो खुद का रिकार्ड तोड़ते-तोड़ते पहुंच गई ओलंपिक
मेरठ की अन्नू रानी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला जैवलिन थ्रोअर बनने जा रही हैं। अपने ही रिकार्ड तोड़ने की जिद ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है। वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर उन्हें टोक्यो ओलंपिक का टिकट मिला है। वर्तमान में इनकी वर्ल्ड रैंकिंग 18वीं हैं।
(अमित तिवारी) मेरठ। मेरठ की अन्नू रानी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला जैवलिन थ्रोअर बनने जा रही हैं। अपने ही रिकार्ड तोड़ने की जिद ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है। अन्नू भले ही ओलंपिक के लिए निर्धारित 64 मीटर की दूरी तय न कर सकी हों लेकिन वल्र्ड रैंकिंग के आधार पर उन्हें टोक्यो ओलंपिक का टिकट मिला है। वर्तमान वल्र्ड रैंकिंग 18वीं हैं।
बड़े भाई ने कराया खेल से परिचय
अन्नू तीन बहनों व दो भाइयों से सबसे छोटी हैं। अन्नू के सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार पांच हजार मीटर के धावक रहे हैं और विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुके हैं। भाई उपेंद्र को देखकर ही अन्नू ने खेल में रुचि दिखाई। सबसे पहले बड़े भाई के साथ गांव के रास्तों पर दौड़ लगाना शुरू किया। अन्नू की रुचि बढ़ती देख उपेंद्र ही उन्हें गुरुकुल ले गए। घर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थिति गुरुकुल प्रभात आश्रम में अन्नू थ्रो का अभ्यास करने के लिए सप्ताह में तीन दिन जाती थी। शेष बड़े भाई के मार्गदर्शन में अभ्यास करतीं थी। खेल के प्रति रुझान देख किसान पिता अमरपाल सिंह और माता मुन्नी देनी ने भी अन्नू को प्रोत्साहित किया। अन्नू ने खेल के साथ ही श्री गांधी स्मारक इंटर कालेज दबथुआ से 12वीं तक की पढ़ाई और गांव के ही डिग्री कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
तैयारी की वजह से दो साल में बहुत कम दिन बिताए घर पर
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स पटियाला में मार्च 2021 में हुई ओलंपिक क्वालीफाइंग 24वें फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक चैंपियनशिप में नया नेशनल रिकार्ड बनाकर भी अन्नू रानी ओलंपिक कोटे से चूक गई थी। अन्नू ने यहां 63.24 मीटर दूर तक भाला फेंका था। ओलंपिक स्टैंडर्ड से अन्नू महज 0.76 मीटर ही पीछे रह गई थी। इससे पहले अन्नू के भाले ने 30 सितंबर 2019 को 62.34 मीटर की दूरी तय की थी। अक्टूबर 2019 में दोहा में आयोजित विश्व एथलेटिक चैंपियनशिप में अपना पिछला रिकार्ड तोड़कर 62.43 मीटर की दूरी नापी। पिछले माह पटियाला में अंतिम ओलंपिक क्वालीफाइंग इवेंट इंटर स्टेट नेशनल एथलेटिक चैंपियनशिप में भी अन्नू ने नया मीट रिकार्ड बनाते हुए 62.83 मी. की दूरी नापी लेकिन ओलंपिक एंट्री स्टैंडर्ड से 1.17 मीटर पीछे रह गईं।
गुरुकुल से शुरू हुई तैयारी
बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी के खेल का सफर मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम से शुरू हुई थी। साल 2009 में अन्नू ने यहां एथलेटिक का प्रशिक्षण शुरू किया था। शुरुआत में डिस्कस थ्रो, शाटपुट और भाला फेंक स्पर्धा को चुना। धीरे-धीरे भाले पर उनकी पकड़ मजबूत होती गई। अन्नू के शुरुआती प्रशिक्षक उनके पिता व बड़े भाई ही थे लेकिन खेल जीवन में उतरने के बाद गुरुकुल के आचार्य स्वामी विवेकानंद सरस्वती के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण में अन्नू ने भाले को ही अपना साथी बना लिया। शुरुआत में भाला न होने के कारण बांस के भाले से अभ्यास करती थीं। पहला भाला अन्नू को आचार्य सरस्वती ने ही दिलवाया था।
हर पड़ाव पर मिले नए गुरु
मनुष्य के जीवन में गुरु के बिना कोई भी उपलब्धि आसान नहीं है। अन्नू स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हैं कि उसे हर पड़ाव पर मिले गुरुओं ने उसके हुनर को निखार कर आगे बढ़ाया। इसकी शुरुआत सबसे पहले उनके बड़े भाई उपेंद्र कुमार ने ही की थी। बड़े भाई उपेंद्र ने प्रतिभा परखी तो उन्होंने गुरुकुल प्रभात आश्रम के आचार्य स्वामी विवेकानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। अन्नू के वर्तमान गुरु जर्मनी के उवे हार्न हैं।
प्रतिस्पर्धा से निखरता है अन्नू का प्रदर्शन, पिछले दो साल से कर रही हैं कड़ा अभ्यास
ओलंपिक को लक्ष्य मानकर दो साल से कठिन परिश्रम कर रही अन्नू ने प्रशिक्षण में कोई कसर न रह जाए इसलिए घर पर ज्यादा समय नहीं बिताया। वह लगातार राष्ट्रीय कैंपों में प्रशिक्षण करती रहीं। हर बार कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच उनका प्रदर्शन निखरकर सामने आया। वर्ष 2014 में लखनऊ में आयोजित इंटर-स्टेट चैंपियनशिप में अन्नू ने भाला फेंक में 14 साल पुराने गुरमीत कौर के रिकार्ड को तोड़कर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा लिया था। वर्ष 2016 में ही 56वीं ओपन नेशनल एथलेटिक चैंपियनशिप में अन्नू ने 60.01 मीटर भाला फेंक कर नया कीर्तिमान स्थापित किया था। इसके बाद अन्नू लगातार नेशनल चैंपियन रहीं।
भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी के नाम दर्ज हैं अनेक उपलब्धियां
- 2014 में आयोजित इंचिओन एशियाड में कांस्य पदक।
- एशियाई चैंपियनशिप 2015 में कांस्य पदक।
- एशियाई चैंपियनशिप 2017 में रजत पदक।
- आठ बार की राष्ट्रीय रिकार्ड होल्डर महिला एथलीट।
- कामनवेल्थ गेम्स 2014 में प्रतिभाग।
- ओस्त्र गोल्डन स्पाइक प्रतियोगिता के कांस्य पदक।
- जैवलिन थ्रो में 60 मीटर की दूरी पार करने वाली देश की पहली महिला एथलीट।
- वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला एथलीट।
- वल्र्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आठवां स्थान।