शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर विशेष: शहीद-ए-आजम से यह है सहारनपुर का नाता
शहीद सरदार भगत सिंह का सहारनपुर से पुराना नाता है। उनके भतीजे किरणजीत सिंह बताते हैं कि उनके पिता कुलतार सिंह जब उनके ताऊ भगत सिंह से मिलने के लिए लाहौर जेल में गए तो वह भगत सिंह को देखकर रोने लगे।
सहारनपुर, जागरण संवाददाता। देश की आजादी में अहम योगदान निभाने वाले महान क्रांतिकारी शहीद सरदार भगत सिंह का सहारनपुर से पुराना नाता है। उनके भतीजे और उनका परिवार शहर की प्रद्युम्न नगर कालोनी में रहता है।
सहारनपुर के प्रदुमन नगर में रहते हैं भगत सिंह के भतीजे
जैन डिग्री कालेज रोड पर स्थत प्रदुमन नगर में रहने वाले सरदार भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह बताते हैं कि उनके परिवार में उनकी पत्नी मंजीत कौर और दो बेटियां हैं। किरणजीत सिंह ने सरदार भगत सिंह की बात करते हैं तो वह भावुक हो जाते हैं। मंगलवार को शहीद भगत सिंह का जन्मदिन है। भगत सिंह के जन्मदिन पर यह पूरा परिवार गरीबों को भोजन कराता है और कपड़े बांटता है। किरणजीत सिंह ने बताया कि भगत सिंह का जन्म लाहौर के लायलपुर में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। भगत सिंह के पिता सरदार किशन चंद्र थे। किशन चंद्र के चार और भाई थे, जिनके नाम सरदार राजेंद्र सिंह , कुलतार सिंह , राजवीर सिंह और कुलवीर सिंह थे। उनकी तीन बहनें थीं। अमर कौर, बीबी प्रकाश कौर और फिर शकुंतला थी। किरणजीत सिंह ने बताया कि जब भगत सिंह मां विद्यावती के गर्भ में थे, उस समय पिता किशन चंद्र और चाचा को अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। 28 सितंबर 1907 को ही सरकार भगत सिंह पैदा हुए और उसकी दिन पिता चाचा भी रिहा हुए थे। किरणजीत सिंह ने बताया कि देश के बंटवारे के समय उनका परिवार भारत आ गया था। भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह 1959 में सहारनपुर में आए थे।
कुलतार सिंह जेल में मिलने गए तो रोने लगे
किरणजीत सिंह बताते हैं कि उनके पिता कुलतार सिंह जब उनके ताऊ भगत सिंह से मिलने के लिए लाहौर जेल में गए तो उनकी उम्र उस समय मात्र 12 साल की थी। वह भगत सिंह को देखकर रोने लगे। इसके बाद भगत सिंह ने अपने अंतिम पत्र में लिखा था कि तुम्हारी आंखों में आंसू देखकर दुख हुआ। हौसले से रहना।