विकास होगा, तभी जाति-धर्म की बातें भी अच्छी लगेंगी
दोपहर का समय और आसमान से झांकते सूरज को निहारते हुए कई लोग चाय की चुस्की ले रहे थे। हापुड़ अड्डा चौराहे की एक चाय की दुकान पर यह धर्म और जाति का मेल-मिलाप था। चाय पीते हुए चर्चा दो लोगों ने शुरू की थी।
मेरठ, जेएनएन। दोपहर का समय और आसमान से झांकते सूरज को निहारते हुए कई लोग चाय की चुस्की ले रहे थे। हापुड़ अड्डा चौराहे की एक चाय की दुकान पर यह धर्म और जाति का मेल-मिलाप था। चाय पीते हुए चर्चा दो लोगों ने शुरू की थी। उनकी बातों में रस का आनंद लेते हुए कुछ और लोगों ने अपनी बातें शामिल कीं। धीरे से बेंच पर जगह बनाई और चाय का आर्डर दिया। इसी अड्डे से प्रदीप द्विवेदी की एक रिपोर्ट..
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शहर के व्यस्तम चौराहों में से एक हापुड़ अड्डे पर चाय की दुकान पर जगदीश आहूजा, रणबीर जाटव, इस्लाम, इकबाल सिद्दीकी, विक्की सैनी और अन्नू बैठे थे। देखते ही देखते सभी चुनावी चर्चा में मशगूल हो गए। चर्चा के बीच जगदीश आहूजा ने कहा कि समय विकास के लिए सोचने का है। जब चारों तरफ विकास होगा। सड़कें बनेंगी। चौड़ी होंगी। विश्वविद्यालय, अस्पताल आदि होंगे, तभी जाति और धर्म को भी फायदा मिलेगा। सिर्फ जाति-जाति, धर्म-धर्म करते रहने से बदलाव थोड़े ही आएगा।
इकबाल ने उन्हें बीच में टोका। बोले, महंगाई पर भी सरकार को लगाम लगानी चाहिए। बिजली महंगी है। बिल भरने में ही पसीना निकल आता है। इकबाल ने उनकी बात को आगे बढ़ाया। बोले, बड़े लोग ही बड़े हो रहे हैं। आम लोग तो मेहनत का पूरा मेहनताना भी नहीं कमा पा रहे हैं। सरकारों को व्यवस्था में बदलाव लाना चाहिए।
रणबीर जाटव अपनी बारी का ज्यादा इंतजार नहीं कर सके। जाति वाली बात पर बोले, अब कोई भी जाति सबसे पहले अपनी संतानों के भविष्य, रोजगार व विकास पर सोचने लगी है। सिर्फ किसी दल विशेष का वोट बैंक बनकर कोई नहीं बैठा है। एक दल ऐसा ही सोच रहा था, जो उसे खोता जा रहा है। सभी को खुद अपने हिसाब से सोचकर वोट करना चाहिए। विक्की बोले कि युवाओं पर खास ध्यान देने की जरूरत है। युवाओं का पूरा समय संघर्ष में बीत जाएगा, तब वे कब रोजगार करेंगे और कब समाज के लिए कुछ कर पाएंगे। युवाओं को अपने भविष्य का ध्यान रखने वाले दल के बारे में सोचना चाहिए।
अन्नू ने कहा, माहौल पूरी तरह से गर्म है। किसे किस दल को वोट करना है, इस पर लोग सोच चुके हैं। ये सब बातें थीं आम लोगों की। लोग अब खुलकर बातें रखते हैं। एक मतदाता का मत यानी वोट ही नहीं, उसका मत यानी विचार भी लोकतंत्र को मजबूती देता है। मतदाता अब मुद्दों पर बात करते हैं। समस्याओं और चुनौतियों पर बात करते हैं। विकास और भविष्य की सोच पर राय रखते हैं। सोमवार को ऐसा ही कुछ हापुड़ अड्डा चौराहे पर एक चाय की दुकान पर देखने को मिला।