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जिले में पर्याप्त हैं.. पर स्कूलों में नहीं शिक्षक

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ ऐसे जिलों में शुमार है जहां प्राइमरी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक तैनात हैं। हालांकि यदि स्कूल स्तर पर बात करें तो नगर क्षेत्र में कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र-शिक्षक अनुपात गड़बड़ाया हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 08:00 AM (IST)
जिले में पर्याप्त हैं.. पर स्कूलों में नहीं शिक्षक
जिले में पर्याप्त हैं.. पर स्कूलों में नहीं शिक्षक

मेरठ, जेएनएन : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ ऐसे जिलों में शुमार है, जहां प्राइमरी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक तैनात हैं। हालांकि यदि स्कूल स्तर पर बात करें तो नगर क्षेत्र में कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र-शिक्षक अनुपात गड़बड़ाया हुआ है।

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एक परिसर तीन विद्यालय

नगर क्षेत्र के केसर गंज स्थित परिसर में एक प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व राजकीय स्कूल शांतिनगर में संचालित हैं। प्राथमिक स्कूल में 107 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां प्रधानाध्यापक, एक सहायक शिक्षिका सहित तीन शिक्षामित्र तैनात हैं। उच्च प्राथमिक स्कूल में 30 बच्चे पंजीकृत हैं, जबकि प्रधानाध्यापक तैनात हैं। राजकीय विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित छह शिक्षिका तैनात हैं। कंबोह गेट स्थित प्राथमिक स्कूल में 30 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां प्रधानाध्यापक, एक शिक्षिका व एक शिक्षामित्र तैनात हैं। बीआरसी पूर्वा अहिरान परिसर में संचालित प्राथमिक स्कूल में 46 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन एक भी शिक्षक तैनात नहीं। एक शिक्षामित्र के सहारे ही स्कूल चल रहा है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूल में 35 बच्चे पंजीकृत हैं। यहां प्रधानाध्यापक और एक शिक्षिका तैनात हैं। स्कूल शिक्षामित्र के सहारे

प्राथमिक स्कूल कंबोह गेट में सोमवार को प्रधानाध्यापक और शिक्षिका स्कूल समय में मौजूद नहीं थे। छात्र शिक्षामित्र के भरोसे थे। दूसरी ओर प्राथमिक स्कूल पूर्वा अहिरान में भी शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ा रही थीं।

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बीटीसी प्रशिक्षु पढ़ा रहीं बच्चे

उच्च प्राथमिक विद्यालय पूर्वा अहिरान में प्रधानाध्यापक मौजूद नहीं थे। शिक्षिका परिसर में घूम रही थीं। जबकि यहां प्रशिक्षण ले रहीं दो बीटीसी प्रशिक्षु एक ही कक्ष में तीन कक्षाओं के बच्चों को पढ़ा रही थीं। बच्चे खेल रहे कंचे, साफ कर रहे बर्तन

केसरगंज में संचालित प्राथमिक स्कूल में सोमवार सुबह 11.30 बजे जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची तो बच्चे पढ़ने के बजाय नल पर बर्तन साफ कर मीले। एक शिक्षिका हाथ में डंडा लेकर बच्चों से बर्तन साफ करा रही थीं। अधिकांश बच्चे परिसर में कंचे खेल रहे थे। वहीं कुछ मिड-डे मील के बर्तन साफ करते नजर आए।

ये है छात्र-शिक्षक अनुपात

प्राथमिक स्कूल में 30 बच्चों पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक स्कूल में 35 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात होना चाहिए। उच्च प्राथमिक स्कूल में एक शिक्षक पर अधिकतम 40 बच्चे हो सकते हैं। इन्होंने कहा-

- स्कूलों का निरीक्षण कर स्थिति को देखा जाएगा गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों के विलय का मामला कोर्ट में होने के कारण विलय नहीं हो पा रहा है।

- एसके गिरी, खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र। - स्कूलों में बच्चों से बर्तन साफ नहीं कराए जाते हैं। हमारे यहां अधिकांश स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात के तहत ही शिक्षक तैनात हैं।

- सतेन्द्र कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।


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