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मेरठ का वह क्षेत्र जिसे कहा जाता है एशिया का सबसे बड़ा कबाड़ बाजार, यहां यूं खपता है चोरी का माल

आपको हैरत होगी कि सोतीगंज में 1979 की अंबेसडर कार का ब्रेक पिस्टन भी मिलेगा तो सन 1960 की बनी महिंद्रा जीप क्लासिक का गेयर बाक्स भी। इतना ही नहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की विलिज जीप के टायर भी यहां मिल जाएंगे।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:32 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 12:32 PM (IST)
मेरठ का वह क्षेत्र जिसे कहा जाता है एशिया का सबसे बड़ा कबाड़ बाजार, यहां यूं खपता है चोरी का माल
मेरठ में एक ऐसा क्षेत्र है जहां चोरी का माल बड़े ही आराम से बिकता है।

सुशील कुमार, मेरठ। अगर आप सोतीगंज की सड़कों और तंग गलियों में तरीके से घूम लें तो आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। आलम यह है कि जो कहीं नहीं मिलता, वो सोतीगंज में जरूर मिलेगा, ऐसा कहा जाता है। आपको हैरत होगी कि सोतीगंज में 1979 की अंबेसडर कार का ब्रेक पिस्टन भी मिलेगा तो सन 1960 की बनी महिंद्रा जीप क्लासिक का गेयर बाक्स भी। इतना ही नहीं, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की विलिज जीप के टायर भी यहां मिल जाएंगे।

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फैक्ट्री में जिन वाहनों को बनाने में कई माह लग जाते हैं, सोतीगंज में दस से 15 मिनट के बीच उनका एक-एक पुर्जा अलग हो जाता है। चोरी का दोपहिया वाहन हो या चार पहिया कार, दोनों जब यहां कटने आते हैं तो एक ही समय में 10 से 15 मिस्त्री उसपर टूट पड़ते हैं। यह बाजार चोरी की गाडिय़ों और स्पेयर पार्ट का गढ़ माना जाता है। यहां सभी गाडिय़ों के सभी तरह के पार्ट मिल जाएंगे। यहां चोरी, पुरानी और दुर्घटना के दौरान खराब हुई गाडिय़ां धड़ल्ले से आती हैं।

मेरठ के सोतीगंज बाजार को एशिया का सबसे बड़ा कबाड़ बाजार भी कहा जाता है। वस्तुत: चोरी के वाहनों को खपाने के लिए सबसे बड़ा गढ़ बन चुका है सोतीगंज। अब, मेरठ के चेहरे से इस बदनुमा धब्बे को साफ करने के लिए यहां के लोकसभा सदस्य राजेंद्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है कि कृपया कार्रवाई करवाएं, शहर की इज्जत बचाएं। बहरहाल, इस पत्र से प्रशासनिक अमले में हलचल यह हुई है कि एक एएसपी को यहां की गंदगी साफ करने का टास्क सौंप दिया गया है।

बीच शहर में काला कारोबार

करीब 60 साल पहले सोतीगंज में कोयला, रद्दी और पशुओं का चारा बिका करता था। स्थानीय दुकानदार ताहिर प्रधान बताते हैं कि सबसे पहले चार दुकानें खुली थीं। उसके बाद घरों के अंदर तक दुकानें और गोदाम खुलते चले गए। वैसे बीते बरस तक यहां कबाड़ की खरीद-बिक्री के लिए 48 दुकानें पंजीकृत थीं। इससे उलट इन दिनों सोतीगंज में करीब 800 दुकानें, 80 गोदाम और चोरी के वाहनों को यहां लाने वाले 300 से ज्यादा कांट्रेक्टर सक्रिय हैं। इन कांट्रेक्टरों का काम उप्र, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश के साथ-साथ नेपाल व अन्य पड़ोसी देशों से चोरी की गाडिय़ों के लिए संपर्क कर उन्हें यहां मंगवाना है। इसके बाद मिनटों में दुकानों व गोदामों में इनका कटान होता है। पुलिस का शिकंजा यदा-कदा कसते ही बाहरी क्षेत्र में कटान शुरू हो जाता है। इस समय ज्यादा गोदाम शहर के बाहरी क्षेत्र में हैं। वहां से वाहन काटने के बाद स्पेयर पार्ट सोतीगंज में लाकर बेचे जाते हैं।

सोतीगंज पर यह है आरोप

- यहां पर काटे जाते हैं चोरी के वाहन

- मांग के अनुसार भी कराई जाती है वाहनों की चोरी

- बदल दिया जाता है चेसिस, इंजन नंबर और पूरी डिजाइन

- यहां के वाहन चोर कई तरह से काम करते हैं। अगर गाड़ी की स्थिति ठीक है तो इंजन, चेसिस नंबर बदलकर उसे बेच देते हैं। ज्यादातर कारें दक्षिण भारत, नेपाल और जम्मू-कश्मीर में खपती हैं। अगर वाहन की स्थिति ठीक नहीं होती तो उसे कबाड़ में बेच देते हैं। कुछ कारें मेरठ व आसपास के जिलों में भी खप जाती हैं

- दुर्घटनाग्रस्त नीलाम गाडिय़ों के कागजात भी यहां बेच दिए जाते हैं। लग्जरी गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन एक से डेढ़ लाख, और सामान्य गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन को 30 से 50 हजार में बेचते हैं

- इसी रजिस्ट्रेशन पर चोरी के वाहन चलाए जाते हैं। वहीं, वाहन स्वामी वाहन को चोरी दिखाकर बीमा की रकम ले लेता है। पूरी करतूत में कबाड़ी की मुख्य भूमिका होती है

- लग्जरी गाडिय़ों से लेकर मोटरसाइकिल तक के सभी पार्ट आधी कीमत पर उपलब्ध। इतना ही नहीं, दुकानदार वारंटी कार्ड भी दे रहे हैं

- अपराध को बढ़ावा, राजस्व को भारी नुकसान।

ऐसे चलता है काला धंधा

20 से 40 लाख रुपये की कोई चोरी की लक्जरी कार जब यहां आती है, कांट्रेक्टर कार की स्थिति देख वाहन चोर को 80 हजार से एक लाख रुपये तक दे देता है। अगर चोर ने किसी तीसरे व्यक्ति को कार बेच दी, और वह व्यक्ति यहां गाड़ी कटवाने आता है तो उसे डेढ़ से दो लाख रुपये तक देकर कांट्रेक्टर लक्जरी कार अपने कब्जे में ले लेता है। मिस्त्रियों से खुलवाकर उसके पार्ट अपने गोदाम में रखवा देता है। ये तमाम पार्ट चार से पांच लाख रुपये में बिक जाते हैं। चोरी की बाइक के रेट भी तय हैं। चोरी की मोटरसाइकिलें यहां कांट्रेक्टर द्वारा चार हजार रुपये तक में ले ली जाती हैं।

हाजी गल्ला के बाद मन्नू कबाड़ी, मोहसिन और काला

सोतीगंज शुरू से ही हाजी गल्ला के नाम से जाना जाता है। फिलहाल हाजी गल्ला की सक्रियता कम होने से इरफान उर्फ राहुल काला, मोहसिन और मन्नू कबाड़ी ने यहां की कमान संभाल ली है। ये तीनों चोर कई थानों में वांछित हो चुके हैं। हाल में मन्नू कबाड़ी और मोहसिन को नौचंदी तथा टीपीनगर थाने से भी वांछित कर दिया गया है। इरफान उर्फ काला हाल ही में जेल से छूटकर आया है, वह दिल्ली के गोकुलपुरी थाने में वांछित है। दिल्ली पुलिस की टीम भी इन चोरों की धरपकड़ में लगी है।

एसएसपी ने क्‍या कहा 

सोतीगंज में चोरी के वाहनों की कटान अब पूरी तरह से बंद करा दी गई है। पुराने मुकदमों में वांछित वाहन चोरों की गिरफ्तारी के लिए संबंधित थाने और क्राइम ब्रांच की टीम को लगा दिया है। क्षेत्र के सभी सीसीटीवी, और दुकानों में रखवाए गए रजिस्टरों की चेकिंग की जा रही है। अब, एएसपी इरज राजा को सोतीगंज में चोरी के वाहनों का कटान बिल्कुल खत्म कर देने का टास्क दिया गया है।

- अजय साहनी, एसएसपी 


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