मा के पैरों में निकला दम तो कहीं मा के लिए रोकर हारा बेटा
मा की गोद में पड़ा जवान बेहोश बेटा सरक कर नीचे गिर गया।
मेरठ, जेएनएन। मा की गोद में पड़ा जवान बेहोश बेटा सरक कर नीचे गिर गया। मा ने ई-रिक्शा रुकवाकर अंतिम प्रयास किया। उसे हिलाया डुलाया..और चीख पड़ी मा। देखने वालों की रूह काप गई। मा अपने जवान बेटे को लेकर इलाज के लिए घटों भटकती रही। इलाज क्या मिलता, किसी ने दिलासा दिलाने की संवेदना भी नहीं दिखाई। प्रशासन पंगु है। अस्पताल बेजान हैं। लोगों के चेहरों पर खौफ है। मा ने रोते हुए जनमानस को झकझोर दिया..कहा कि मदद करने वाले तो जैसे रहे ही नहीं।
महामारी की खौफनाक परछाई लंबी होती जा रही है। दर्जनों जवानों को निगलने वाली महामारी ने प्रशासनिक तंत्र को भी संक्रमित कर दिया। आक्सीजन के लिए दम तोड़ना ऐसा हादसा है, जो स्वजनों के दिलों दिमाग से कभी नहीं मिट पाएगा। आर्यनगर स्थित सर्वोदय अस्पताल के सामने एक ई रिक्शा में बिठाकर मा अपने बेटे के इलाज के लिए भटक रही थी। बेटे की आक्सीजन गिरती चली गई। सप्ताहभर से इधर-उधर इलाज चलता रहा। जाच कराने गया तो भीड़ की वजह से लौट आया। भर्ती होने पहुंचा तो कोविड रिपोर्ट न होने का बहाना लेकर लौटा दिया गया। आखिर जान चली गई। वहीं, दर्जनों आडियो और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें कोई अपन मा के लिए गिड़गिड़ाता नजर आ रहा है तो कहीं गैस की तलाश में निकले लोग रोते सुनाई पड़ रहे हैं। गैस एजेंसी वालों ने फोन नंबर बंद कर लिया है। अधिकारी एक वाक्य भी पूरा नहीं सुनते। डाक्टरों ने फीस दोगुनी कर दी है, लेकिन देखने से हिचकते हैं। मेडिकल कालेज में तो फिर भी जिंदगी मिल रही है, लेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों को मना करने की होड़ लगी हुई है। हर अस्पताल के सामने एंबुलेंस में कराहते मरीज, रोते परिजन और मायूस भीड़ नजर आ रही है। अधिकारी बेशक भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन दिशाहीनता की वजह से कोई परिणाम नहीं निकल सका। आक्सीजन फिर खत्म है..डर है कहीं सास की आस में जिंदगी की डोर न छूट जाए।