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इतने वाहन खरीद रहे हम कि एक दिन धुआं-धुआं हो जाएगा शहर

देश में को'िच के बाद मेरठ में पंजीकृत हुए सर्वाधिक वाहन। सीएसई ने पेश की 14 शहरों में वाहनों की पंजीकरण वृद्धि दर। वाहनों की बढ़ती संख्या पर्यावरण के लिए भी खतरनाक।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 05:00 PM (IST)
इतने वाहन खरीद रहे हम कि एक दिन धुआं-धुआं हो जाएगा शहर
इतने वाहन खरीद रहे हम कि एक दिन धुआं-धुआं हो जाएगा शहर

मेरठ (ओम बाजपेयी)। क्रांति शहर जहरीली डगर पर फर्राटा भर रहा है। सीएसई की रिपोर्ट ने आशंका को धरातल पर उतार दिया है। वाहनों की पंजीकरण वृद्धि दर में मेरठ देश में दूसरे नंबर पर है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने 14 शहरों में वाहन पंजीकरण वृद्धि दर की जो सूची जारी की है, उसमें कोच्चि को छोड़ दें तो मेरठ पहले नंबर पर है। हालांकि, सीएसई के सर्वे में मेरठ शामिल नहीं था।

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सीएसई ने वर्ष 2016 में वाहन पंजीकरण वृद्धि दर के लिए देश के 14 महानगरों में सर्वे किया। हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट पर नजर डालें तो कोच्चि में वाहन पंजीकरण की दर में सर्वाधिक वृद्धि 26.5 प्रतिशत दर्ज की गई। मेरठ में यह वृद्धि दर करीब 20 फीसद है। इसके बाद पुणे और लखनऊ का नंबर है। मेरठ का आंकड़ा वर्ष 2018 का है। विजयवाड़ा 3.3 प्रतिशत वृद्धि के साथ सबसे निचले पायदान पर है।

सीएसई रिपोर्ट का मुख्य फोकस

निजी वाहन के प्रति बढ़ती लोगों की ललक ने शहरों की आबोहवा को जहरीला बना दिया है। वाहनों की खरीद दर में इजाफा बता रहा है कि लोग सार्वजनिक वाहन या वाहन पूल को पूरी तरह दरकिनार कर वातावरण को जहरीला बना रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि 1952 से अब तक देश में 10.5 करोड़ वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। पिछले छह सालों में सर्वाधिक इजाफा हुआ है।

इस तरह बढ़ रहा वाहनों से प्रदूषण

रिपोर्ट के आकलन के अनुसार 10 किमी का सफर बस से करने में औसतन एक व्यक्ति द्वारा औसतन 0.01 ग्राम पर्टिकुलेंट मैटर (पीएम) उत्सर्जित होता है। उतनी ही दूरी अगर कार से तय की जाए तो 0.08 ग्राम (आठ गुना अधिक) पीएम उत्सर्जित होता है। दोपहिया द्वारा 0.1 ग्राम (दस गुना अधिक) पीएम उत्सर्जित होता है। डीजल चलित आटो रिक्शा भी अत्यधिक प्रदूषण (.46 ग्राम पीएम प्रति 10 किमी) फैलाते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में चंडीगढ़ में एक वाहन द्वारा औसतन 26.46 ग्राम पीएम और 250 ग्राम कार्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जित किया जाता है जबकि दिल्ली में यह औसत 9.91 और 120 ग्राम है। चंडीगढ़ में निजी वाहनों के अधिक और सार्वजनिक परिवहन साधन (बस, लोकल ट्रेन) आदि के कम प्रयोग के कारण ऐसा हो रहा है। मेरठ के लोग भी निजी वाहन से यात्रा को तरजीह दे रहे हैं जिससे दिनोंदिन वाहनों की संख्या बढ़ रही है। यहां बस जैसे साधनों (एक साथ 50-60 लोगों की यात्रा) की स्थिति लचर है।

चौधरी चरण सिंह विवि के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरके सोनी का कहना है कि वाहन संचालन से नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बनडाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। वाहनों का जितना प्रयोग होगा, प्रदूषण में उतना ही इजाफा होगा।

आरटीओ डॉ. विजय कुमार का कहना है कि वर्ष 2018 में वाहनों के पंजीकरण दर में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2016 में यह प्रतिशत करीब 17 था।

मेरठ में रफ्तार पकड़ती पंजीकरण दर

2015-16 30,808

2016-17 48,824

2017-18 57,127

2018-19 26,539

(1 अप्रैल से 31 जुलाई तक)

वर्षवार हुए कारों के पंजीकरण)

2015-16 5,513

2016-17 8,649

2017-18 10,402

(1 अप्रैल से 31 जुलाई तक)

सड़क पर बाइक- 6,12,799

सड़क पर कार - 95,808

कुल वाहन - 7,63,955

देश के महानगरों में पंजीकरण की वृद्धि दर

विजयवाड़ा - 3.3

कोलकाता - 5.4

हैदराबाद - 6.5

मुंबई - 9.9

चंडीगढ - 9.8

अहमदाबाद -11.0

दिल्ली 11.1

चेन्नई - 12.8

जयपुर - 14.4

बंगलुरू - 14.9

भोपाल -15.2

लखनऊ - 17.8

पुणे - 18.3

कोच्चि - 26.5


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