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हाईब्रिड के हुस्न पर भारी देसी का दमदार स्वाद, दाम में भी अंतर

हाईब्रिड और देसी सब्जियों के स्वाद के साथ ही इनके रेट में भी अंतर है। नई पीढ़ी नहीं जानती देसी और हाईब्रिड सब्जियों के स्वाद का फर्क।

By Edited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 04:59 AM (IST)
हाईब्रिड के हुस्न पर भारी देसी का दमदार स्वाद, दाम में भी अंतर
हाईब्रिड के हुस्न पर भारी देसी का दमदार स्वाद, दाम में भी अंतर
मेरठ, [संदीप शर्मा]। चमचमाते बैंगन, सुर्ख लाल टमाटर, लंबे करेले, ताजी शिमला मिर्च मन को खूब सुहाते हैं। हाईब्रिड सब्जियों की यही पहचान है कि ये दिखने में बहुत मनोरम होती हैं, लेकिन स्वाद में आज भी देसी सब्जियों के सामने कहीं नहीं टिकतीं। आजकल बाजार से लेकर गलियों में घूमने वाले विक्रेता सब्जी की दो किस्में लेकर घूमते हैं। दैनिक जागरण ने मंगलवार को सब्जियों की देसी व हाईब्रिड किस्मों के स्वाद और दाम पर लोगों की राय जानी।
हाईब्रिड ने बढ़ाए देसी सब्जियों के दाम
हाईब्रिड सब्जियों की अधिकता के कारण आज देसी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। गढ़ रोड पर सब्जियों की काफी दुकानें सड़क किनारे लगती हैं। ठेले से सब्जी खरीद रही बुजुर्ग रमादेवी ने बताया कि पहले तो केवल देसी सब्जियां ही आती थीं, जिनका स्वाद लाजवाब होता था। आज अधिकता में आने वाली हाईब्रिड सब्जियां स्वाद में देसी के सामने कहीं नहीं ठहरती। थोड़ा आगे चलने पर सब्जी खरीद रहे राहुल देसी करेले लेने पर ही अड़े थे। राहुल ने बताया कि घर से देसी करेले कहकर ही भेजा गया है। दुकानदार हरीश ने बताया कि देसी और हाईब्रिड दोनों रखनी पड़ती हैं। क्योंकि देसी महंगी होने के बावजूद अधिकतर लोगों की यही पसंद है। ब्रह्मपुरी की गलियों में सब्जियां लेकर घूम रहे इकराम ने बताया कि मेरे तो लगे-बंधे ग्राहक हैं, जिनमें अधिकतर देसी सब्जियां ही लाने को कहते हैं। देसी सब्जियां भले ही थोड़ी महंगी हों, लेकिन स्वाद में अलग हैं।

दोनों में यह है फर्क
देसी खीरे पर बिंदी उभरी होती हैं, जबकि हाईब्रिड चिकना होता है। वहीं, देसी टमाटर गोल और कम लाल, जबकि हाईब्रिड लाल सुर्ख और थोड़ा लंबा होता है। देसी करेला थोड़ा मोटा और ज्यादा उभरी हुई लकीरें होती हैं, जबकि हाईब्रिड अपेक्षाकृत लंबा, हरा और कम धारीदार होता है। देसी गाजर ज्यादा लाल, लंबी और मोटी होती हैं, जबकि हाईब्रिड छोटी और केसरिया रंग की होती हैं। देसी शिमला मिर्च गोल, जबकि हाईब्रिड थोड़ा लंबी और बड़ी होती है।
हाईब्रिड सब्जियों का उत्पादन ज्यादा होता है: सेंगर
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में प्रोफेसर डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि हाईब्रिड सब्जियों का उत्पादन ज्यादा होता है इसीलिए ये सस्ती होती हैं। देसी ब्रीड का उत्पादन कम और स्वाद अधिक होता है। शुक्र है अभी तक वेस्ट यूपी में देसी सब्जियां बाजार में मिल जाती हैं। कई राज्यों में तो देसी सब्जियां खत्म होने की कगार पर हैं।
अगर ताजी हैं तो देसी ही बेहतर : डॉ. भावना गांधी
न्यूटिशनिस्ट डॉ. भावना गांधी ने बताया कि अगर ताजी हैं तो देसी सब्जियों में पानी और ज्यादा खनिज होते हैं। देसी सब्जियां आसपास के क्षेत्रों से ही ली जानी चाहिए। ये ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकतीं। वहीं, हाईब्रिड सब्जियां ज्यादा दिनों तक चल जाती हैं।
हाईब्रिड टमाटरों में खट्टापन, खीरे में कसैलापन और करेलों की कड़वाहट खत्म
देसी सब्जियां रंगरूप के साथ ही स्वाद में हाईब्रिड से बिल्कुल अलहदा होती हैं। अब हाईब्रिड टमाटरों को ही लें। देखने में लाल सुर्ख और चमकीले, लेकिन स्वाद में खट्टापन तो दूर कभी-कभी मीठे लगते हैं। वहीं, एक-दो देसी टमाटर ही सब्जी में खट्टापन ला देते हैं। हाईब्रिड खीरे बिना ऊपर से घिसे भी खाए जा सकते हैं, लेकिन देसी खीरें घिसकर ही असली स्वाद में आते हैं। हाईब्रिड मिर्चे लंबी और मोटी तो होती हैं, लेकिन चरचरी नहीं। वहीं, दो देसी मिर्च ही पूरी सब्जी का स्वाद बदल देती हैं। करेला पाककला की मिसाल माना जाता है। कड़वे करेले को स्वादिष्ट बनाने वाले को माहिर माना जाता है। लेकिन हाईब्रिड करेले में नाममात्र को कड़वाहट मिलती है। पकौड़े से लेकर मुगलई स्वाद देने वाला बैंगन और शिमला मिर्च में केवल देसी का राज है। पहले केवल हाईब्रिड गाजर ही 12 महीनें मिला करती थीं, लेकिन आजकल देसी गाजर भी मौजूद हैं।

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