चुनाव में बने रहें दावेदार, इसलिए मैदान में उतारे रिश्तेदार
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की स्थिति गुरुवार को हुए नामांकन के बाद पूरी तरह से साफ हो चुकी है। पंचायत चुनाव के हर पद के लिए बड़ी संख्या में दावेदारों ने नामांकन कर दावेदारी पक्की की है।
मेरठ, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की स्थिति गुरुवार को हुए नामांकन के बाद पूरी तरह से साफ हो चुकी है। पंचायत चुनाव के हर पद के लिए बड़ी संख्या में दावेदारों ने नामांकन कर दावेदारी पक्की की है। उधर, ग्राम पंचायत सदस्य पद को छोड़कर लगभग हर पद के लिए प्रत्याशियों ने अपनों को ही विपक्षी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि नामांकन फार्म अगर किसी कारण से खारिज हो जाता है तो चुनाव मैदान में स्वजन या रिश्तेदार के रूप में दावेदारी पक्की रह सके।
पंचायत चुनाव की तैयारी हर स्तर पर जारी है। नामांकन की बात करें तो जिला पंचायत सदस्य के साथ ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के दावेदारों ने अपनी दावेदारी पक्की रखने के लिए अधिकांश ने रिश्तेदार और स्वजन को भी चुनाव मैदान में विपक्षी बनाकर उतार दिया है। वार्ड 28 से जिला पंचायत सदस्य के रूप में उतरे 10 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन फार्म जमा कराने के साथ भाई, पत्नी और साले तक का नामांकन फार्म भरवाया है। ऐसा ही हाल अन्य वार्ड का भी है। यही कारण रहा कि 33 वार्ड के लिए प्रत्याशियों की संख्या चार सौ के पार पहुंच गई हैं।
जांच के बाद वापस लेंगे नाम
प्रधान पद के लिए चुनाव मैदान में उतरे एक प्रत्याशी ने बताया कि उन्होंने अपने साथ अपने भाई और चाचा का भी नामांकन फार्म जमा कराया है। फार्म की जांच में उनकी दावेदारी पक्की रहती है तो चाचा और भाई अपना नाम चुनाव से वापस ले लेंगे। जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी का भी यही कहना है कि वह भी अपने रिश्तेदार का नाम जांच की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद वापस करा देंगे।
प्रत्याशी को नियम समझने के बाद ही नामांकन फार्म भरना चाहिए। बड़ी गलती होने पर ही नामांकन फार्म खारिज होता है। कई बाद प्रत्याशी को कमी पूरी करने के लिए मौका भी दिया जाता है। अधिक संख्या में नामांकन फार्म जमा कराना उचित नहीं है।
-शशांक चौधरी, सीडीओ