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लापरवाही का अंजाम सामने है..अब तीन गायों की मौत

इसे सरकारी तंत्र की लापरवाही ही कहा जाएगा कि अस्थाई गोवंश केंद्र में लगातार बेजुबान दम तोड़ रहे हैं। नौ दिनों में 12 गोवंश की मौत हो चुकी है। कई बीमार हैं। अफसरों के दावे भी उनकी जान नहीं बचा पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 03:00 AM (IST)
लापरवाही का अंजाम सामने है..अब तीन गायों की मौत
लापरवाही का अंजाम सामने है..अब तीन गायों की मौत

मेरठ । इसे सरकारी तंत्र की लापरवाही ही कहा जाएगा कि अस्थाई गोवंश केंद्र में लगातार बेजुबान दम तोड़ रहे हैं। नौ दिनों में 12 गोवंश की मौत हो चुकी है। कई बीमार हैं। अफसरों के दावे भी उनकी जान नहीं बचा पा रहे हैं। सूरजकुंड वाहन डिपो में बनाए गए अस्थाई गोवंश केंद्र में मंगलवार को भी तीन गोवंश की मौत हो गई। निगम और पशु पालन विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए भाजपा पार्षदों ने गोवंश केंद्र में जमकर हंगामा किया। फिलहाल गोवंश केंद्र में 160 गोवंश मौजूद हैं।

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सूचना पर पशु पालन विभाग के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एके सिंह पहुंचे और पशु चिकित्सकों की टीम बुलाकर बीमार गायों का उपचार कराया। इसके बाद पार्षदों का गुस्सा शांत हुआ। पार्षद विपिन जिंदल, ललित नागदेव, अंशुल गुप्ता सहित अन्य ने कहा कि विगत सोमवार को बारिश के बाद से लगातार गोवंश केंद्र में गोवंशों की मौत हो रही है। वह तो इसका कारण जानने आए थे। पता चला कि तीन गायों की और मौत हो गई, जबकि दो बछड़े और एक गाय मरणासन्न अवस्था में हैं। यहां 100 से अधिक गोवंश खुले आसमान के नीचे हैं। उनको ठंड से बचाने के कोई उपाए नहीं हैं। पार्षदों के पूछने पर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि गोवंश की मौत ठंड लगने से हुई है। इसके बाद पार्षदों ने नगर आयुक्त मनोज कुमार चौहान से फोन पर बात की। उन्होंने खुले आसमान के नीचे मौजूद गोवंशों को टीनशेड का निर्माण पूरा होने तक तिरपाल के नीचे रखने के लिए कहा। पार्षदों की मांग पर तिरपाल की व्यवस्था नगर निगम प्रशासन ने फौरन कर तो दी, लेकिन देर शाम तक गोवंश खुले आसमान के नीचे ही मौजूद रहे।

प्रवेश से पहले हो चिकित्सीय जांच

पार्षदों ने केंद्र में प्रवेश से पहले प्रत्येक गोवंश की चिकित्सीय जांच करने की मांग मुख्य पशु चिकित्साधिकारी से की। उनका तर्क था कि इससे पता चलेगा कि कौन सा गोवंश बीमार है और उसे त्वरित उपचार दिया जा सके। इसके लिए स्थाई रूप से गोवंश केंद्र में पशु चिकित्सक की नियुक्ति की जाए। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने पार्षदों को समाधान का आश्वासन दिया।

ठेकेदार को शीघ्र कार्य पूरा करने के निर्देश

उधर, गोवंशों की मौत को लेकर नगर आयुक्त सुबह ही गोवंश केंद्र पहुंच गए थे। टीनशेड के कार्य में तेजी लाने और शीघ्र कार्य पूरा करने का निर्देश दिया। साथ ही गोवंश की देखभाल का कार्य देख रही संस्था महिला विकास क्लब के संस्थापक राकेश गौड़ को समय पर चारा-पानी मुहैया कराने के साथ उपचार के दौरान उनकी विशेष देखभाल के इंतजाम करने को कहा।

कंचनपुर घोपला से आई थी बीमार गाय

राकेश गौड़ ने बताया कि 28 जनवरी को सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र कुमार सिंह के निर्देश पर कंचनपुर घोपला से गोवंशों को लेकर हस्तिनापुर स्थित पशु पालन विभाग की गोशाला में छोड़ने गए थे, लेकिन उनमें से दो गाय बीमार थी। इस कारण हस्तिनापुर में तैनात कर्मचारियों ने उनको लेने से मना कर दिया था, जिसके बाद उनको सूरजकुंड गोवंश केंद्र लाया गया था। राकेश गौड़ ने भी नगर आयुक्त और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पत्र लिखकर टीनशेड और पशु चिकित्सक की तैनाती की मांग की है।

टीनशेड के बजाए बना रहे थे दरवाजे-खिड़की

गोवंश केंद्र में टीनशेड का कार्य करा रहा ठेकेदार टीनशेड के बजाए दरवाजे, खिड़की और ग्रिल का कार्य कर्मचारियों से करा रहा था। पार्षदों ने इसका विरोध किया तो कर्मचारी सामग्री लेकर भाग खड़े हुए। पार्षदों ने नगर आयुक्त से शिकायत की कि नगर निगम की बिजली चोरी कर यह कार्य कराया जा रहा था। ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

गोवंश मर रहे, नहीं उठा नगर आयुक्त का फोन

सूरजकुंड में तीन गायों की मौत और बीमार गोवंशों को लेकर पार्षदों का हंगामा और टिनशेड के निर्माण के दौरान ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा ग्रिल व दरवाजे का कार्य नगर निगम की बिजली चोरी कर किए जाने के मामले में नगर आयुक्त मनोज कुमार चौहान से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन नहीं उठा। ये हालात तब हैं जब लगातार गोवंशों की मौत हो रही है।

-गोवंशों को चिकित्सीय उपचार मुहैया कराया गया है। पशु चिकित्सकों की ड्यूटी लगा दी गई है। ठंड गोवंशों की मौत की एक वजह है। जहां तक चारे की बात है तो ये गोवंश कूड़ा, पालीथिन सहित अन्य प्रकार का अपशिष्ट अभी तक खा रहे थे। अब इनको भूसा और हरा चारा दिया जा रहा है, जिसे पचाने में परेशानी हो सकती है।

डॉ. एके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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