मेरठ में रैन बसेरों की हालत बदतर, कोरोना से बचाव के उपाय भी अधूरे
निराश्रितों के लिए भले ही रैन बसेरों के द्वार खुल गए हों लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रबंध अधूरे हैं।
मेरठ, जेएनएन। निराश्रितों के लिए भले ही रैन बसेरों के द्वार खुल गए हों, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय अधूरे हैं। सैनिटाइजर की बोतल रखकर महकमे ने जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली है। रैन बसेरों में आने वालों की थर्मल स्कैनिग की कोई व्यवस्था नहीं है। यदि कोई बुखार पीड़ित पहुंच गया तो उसकी पहचान नहीं हो सकेगी।
बुधवार को बागपत रोड स्थित मुल्तान नगर के रैन बसेरे में यह स्थिति देखने को मिली। यहां मौजूद चौकीदार ने बताया कि दोपहर के समय एक व्यक्ति की एंट्री हुई है, जो देर शाम चला गया। उसके पास सैनिटाइजर की बोतल और साबुन मौजूद है, लेकिन थर्मल स्कैनिग की व्यवस्था नहीं है। रैन बसेरे में नए तख्त, गद्दे, चादर, तकिया का इंतजाम कर दिया गया है। प्रकाश व्यवस्था ठीक है। रंगाई-पुताई हो गई है, लेकिन बिस्तर की सफाई प्रतिदिन नहीं हो पाती है। वहीं, रैन बसेरे के शौचालय भी गंदे मिले। इसके अलावा महिलाओं के लिए अलग-अलग ठहरने की व्यस्था भी नहीं मिली। शहर में कुल 12 रैन बसेरे और चार आश्रय केंद्र हैं। लगभग सभी की स्थिति यही है।
अलाव जलेंगे, लकड़ी खरीदी जाएगी
सर्दी के मौसम में 15 दिसंबर से अलाव जलाने की व्यवस्था है। इस बार भी लकड़ी के अलाव जलाए जाएंगे। इसके लिए नगर निगम ने वन विभाग से 1200 कुंतल लकड़ी की डिमांड की है। शुरुआती दौर में 21 स्थानों पर, फिर लगभग 100 स्थानों पर अलाव जलाये जाते हैं।
इन्होंने कहा-
रैन बसेरों में थर्मल स्कैनिग की व्यवस्था जल्द की जाएगी। थर्मल स्कैनर जल्द खरीदे जाएंगे। इसके अलावा जो भी समस्याएं हैं, उन्हें दूर किया जाएगा। इस संबंध में नगर स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई है।
यशवंत कुमार, मुख्य अभियंता, नगर निगम