खुले खत्ते और कचरे की दुर्गध से मुक्त होगा शहर
जगह-जगह खुले में पड़े कचरे के ढेर व बिना ढके ट्रैक्टर से बिखरते और दुर्गध
मेरठ,जेएनएन। जगह-जगह खुले में पड़े कचरे के ढेर व बिना ढके ट्रैक्टर से बिखरते और दुर्गध फैलाते हुए ढोया जाता कचरा। यह व्यवस्था मेरठ शहर के लिए किसी बदनुमा दाग जैसी है, लेकिन अब यह व्यवस्था बदलेगी। नगर निगम प्रशासन ने जो कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन बनाने की कार्ययोजना तैयार की है, उससे खुले खत्तों और कचरे की दुर्गंध दोनों से शहर को मुक्ति मिल जाएगी।
खुले खत्तों को समाप्त करने के लिए नगर निगम वर्ष 2025 तक शहर में कुल 20 कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन स्थापित करेगा। इसके लिए पोर्टेबल कांपेक्टर (कचरे को ढककर रखने के सिलेंडर) और हुक लोडर के माध्यम से दुर्गंध रहित कचरा परिवहन की आधुनिक प्रणाली अपनाई जाएगी। इस कड़ी में प्रथम चरण में पांच कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन स्थापित करने की कवायद शुरू हो गई है। शहर के कंकरखेड़ा मार्शल पिच, बच्चा पार्क चौराहे के पास, मंगलपांडे नगर, सूरजकुंड, हापुड़ रोड पर पुराने कमेले के पास आदि का चयन किया गया है। यहां कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन के सिविल कार्य के लिए निर्माण अनुभाग के इंजीनियरों ने ड्राइंग लगभग तैयार कर ली है। अगले 15 दिन मे सिविल कार्य के लिए टेंडर भी जारी हो जाएंगे। पोर्टेबल कांपेक्टर और हुक लोडर की खरीद भी जल्द की जाएगी।
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ऐसी होगी कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन की संरचना
-20 फीट ऊंचा टिन शेड बनाया जाएगा, जो तीन तरफ से कवर रहेगा। इसके नीचे पोर्टेबल कांपेक्टर रखे जाएंगे।
-प्रत्येक कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन पर दो पोर्टेबल कांपेक्टर रखे जाएंगे। इनकी क्षमता 10 से 16 टन होगी।
-पोर्टेबल कांपेक्टर में बंद कचरे से निकलने वाले लीचेट (गंदा पानी) एकत्र करने एक पिट बनाई जाएगी।
-बिजली से पोर्टेबल कांपेक्टर आपरेट होगा। कचरा डालने के लिए खोलने और बंद करने के लिए एक आपरेटर तैनात होगा।
-पोर्टेबल कांपेक्टर लोहे का एक बड़ा सिलेंडरनुमा बाक्स है। प्रेशर से इसमें कचरे को दबाया जाता है।
-प्रत्येक कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन पर 10 किलोवाट का बिजली कनेक्शन और 10 एचपी की मोटर लगाई जाएगी।
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इस तरह एकत्र और परिवहन होगा कचरा
-एक कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन पर रखे पोर्टेबल कांपेक्टर में न्यूनतम 15 टन कचरा इकट्ठा होगा। कम से कम चार से पांच वार्ड का कचरा एक स्थान पर एकत्र होगा।
-वार्ड से डोर टू डोर कूड़ा गाड़ियां और हाथ ठेलों से कचरा कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन आएगा। कचरे को पोर्टेबल कांपेक्टर में पलटा जाएगा और फिर बंद कर दिया जाएगा।
-जब कचरे से पोर्टेबल कांपेक्टर भर जाएगा, तो हुक लोडर उसे लादकर ट्रेचिग ग्राउंड ले जाएगा, जहां वह खाली होगा। फिर उसे वापस कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन पर छोड़ दिया जाएगा।
-कचरे से निकलने लीचेड से टैंक भरने पर उसे टैंकर से एसटीपी भेजकर निस्तारित किया जाएगा।
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ये होंगे फायदे
-जो डोर टू डोर कूड़ा गाड़ियां अभी ट्रेंचिग ग्राउंड जा रही हैं, वे कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन तक जाएंगी। इससे कम समय में ज्यादा घरों से कचरा कलेक्शन होगा। साथ ही ईंधन की खपत कम होगी। खर्च की बचत होगी।
-जगह-जगह खुले खत्ते समाप्त हो जाएंगे। पोर्टेबल कांपेक्टर के जरिए बंद कचरा परिवहन होगा। इससे वातावरण में कचरे की गंदगी व दुर्गंध नहीं होगी। जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। बीमारियों का खतरा कम होगा।
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- शहर में दो से तीन महीने में कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन स्थापित कर दिए जाएंगे। नगर आयुक्त के निर्देश पर तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि 15 जून तक सिविल वर्क और पोर्टेबल कांपेक्टर, हुक लोडर खरीद के लिए टेंडर कर दिए जाएंगे। यह काम 15वें वित्त आयोग के मद से किया जाएगा।
-ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त व नोडल अधिकारी, कचरा निस्तारण