प्रमाण पत्रों ने मेरठ में छीन लिया गरीबों का आशियाना
मेरठ। कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पास सड़क की पटरी पर झुग्गी में रहने
मेरठ। कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पास सड़क की पटरी पर झुग्गी में रहने वालों को आवास देने के आदेश दिए थे। जिला नगरीय विकास अभिकरण ने आवास प्रदान करने के लिए आवेदन भी कराया और सभी आवेदकों को अपात्र घोषित कर दिया है।
सरकार हर गरीब और आवास विहीन परिवार को छत देने के लिए कई आवासीय योजनाएं संचालित कर रही है। इसमें प्रधानमंत्री आवासीय योजना मुख्य है। विवि रोड पर काफी समय से सड़क की पटरी पर कब्जा कर झुग्गी में रहने वालों के लिए आयुक्त ने घर उपलब्ध कराने के निर्देश संबंधित विभाग के अधिकारियों को कुछ माह पहले दिए थे। जिला नगरीय विकास अभिकरण ने पटरी पर रहने वाले लुहार और पत्थर तोड़ने वाले करीब तीन दर्जन परिवारों से आवास देने के लिए आवेदन फार्म भरवाया। आवेदन फार्म प्राप्त होने के बाद जनवरी, फरवरी और अप्रैल ने विभिन्न अधिकारियों से आवेदकों की पात्रता को लेकर जांच कराई गई। जांच के बाद सभी आवेदकों को अपात्र घोषित कर दिया गया। जांच अधिकारी जिला पूर्ति अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में सड़क के किनारे रहने वालों को अपात्र घोषित कर दिया है। रिपोर्ट में अपात्र होने का कारण जरूरी प्रमाण पत्र आवेदक के पास न होना रहा। प्रमाण पत्रों के जाल में उलझा आवास
शहरी क्षेत्र से गरीबी मिटाने और आवास उपलब्ध कराने के लिए पात्रता के कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। निर्धारित नियमों के अनुसार आवेदक के पास आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, राशन कार्ड आदि का होना आवश्यक है। आवेदन फार्म के साथ इन सभी प्रमाण पत्रों को लगाया जाना जरूरी है। सड़क के किनारे रहने वाले लुहार और पत्थर तोड़ने वाले अधिकांश बाहरी ही है, इस कारण कोई भी आवेदक पात्रता पूर्ण नहीं कर सका।
मामले के जांच अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी उमेश द्विवेदी ने बताया कि आवेदकों की जांच की गई थी, जांच में निर्धारित मानक आवेदक पूरे नहीं कर सके। इस कारण उन्हें अपात्र मान लिया गया।