टैक्स चोरी का गड़बड़झाला, कमीशन दीजिए, मनचाहा बिल बनवाइए
सरकार व केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर विभाग की तमाम निगरानी व बंदोबस्त के बावजूद टैक्स डकारने वालों ने सिस्टम में सेंधमारी के रास्ते खोज निकाले हैं।
मेरठ : सरकार व केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर विभाग की तमाम निगरानी व बंदोबस्त के बावजूद टैक्स डकारने वालों ने सिस्टम में सेंधमारी के रास्ते खोज निकाले हैं। विभाग द्वारा पकड़े गए सीए व वकील सहित तीन आरोपित भी ऐसे ही लोगों की फेहरिस्त का एक हिस्सा हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उक्त लोगों से जुड़े लोग व कंपनियां भी रडार पर हैं। जल्द ही उन पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
ऐसे होती है टैक्स चोरी
टैक्स चोरी की शब्दावली में टैक्सी फर्म शब्द प्रचलित है। यह ऐसी फर्म होती हैं जिनका माल के लेनदेन से कोई वास्ता नहीं होता। यह सिर्फ बिल जनरेट करती हैं। कमीशन लेकर मांगने वाली कंपनी को दे देती हैं। यह बिल कंपनी के स्टेटमेंट, बैंक लोन और टैक्स क्रेडिट क्लियर करने के काम आते हैं, जबकि वास्तव में इनमें किसी प्रकार का टैक्स सरकार को जमा नहीं किया जाता है।
आरोपितों ने ऐसे किया कारनामा
जीएसटी में रिटर्न दाखिल करने के लिए बिलों की जरूरत होती है। इनके आधार पर ही कंपनियां सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करती हैं। नंबर दो में माल खरीदने वाली कंपनियों को बिलों की जरूरत यह टैक्सी फर्मे पूरी करती हैं। मंगलवार को गिरफ्तार हुए तीनों लोग देश हर कोने बेंगलुरु, कोच्चि, चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली, नोएडा जैसे शहरों की नामी गिरामी और लिमिटेड कंपनियों के लिए बिल उनकी डिमांड पर काटते थे। इसके बदले में वह एक प्रतिशत का कमीशन लेते हैं।
अब तक 115 करोड़ रुपये की वसूली
सीजीएसटी के आसूचना महानिदेशालय के एडीजी मनीष गोयल
ने बताया कि 15 जुलाई तक मेरठ जोनल यूनिट में अब तक 70 मामलों में 280 करोड़ की टैक्स चोरी सामने आई है। जिसमें 115 करोड़ की वसूली कर ली गई है।