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मां की मौत के बाद दो बच्चों को भी स्वाइन फ्लू, ठंड बढ़ने से खतरनाक हुआ वायरस

ठंड बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू के केस भी बढ़ते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले जिस महिला की मौत हुई थी उसके दो बच्चों में भी स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आया है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 01:05 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:05 PM (IST)
मां की मौत के बाद दो बच्चों को भी स्वाइन फ्लू, ठंड बढ़ने से खतरनाक हुआ वायरस
मां की मौत के बाद दो बच्चों को भी स्वाइन फ्लू, ठंड बढ़ने से खतरनाक हुआ वायरस

मेरठ, जेएनएन। ठंड बढ़ने के साथ ही स्वाइन फ्लू का वायरस भी खतरनाक होता जा रहा है। तीन दिन पहले हुई महिला की मौत के बाद अब उसके दो बच्चों में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा एक अन्य महिला भी स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाई गई है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर से अलर्ट जारी कर दिया है।
पॉजिटिव आई रिपोर्ट
कंकरखेड़ा निवासी जिस महिला की मौत तीन दिन पहले स्वाइन फ्लू से हुई थी। उसके दो बच्चे भी एन1एच1 पॉजिटिव पाए गए हैं। बुखार और सर्दी-जुकाम होने के कारण इनके सेंपल मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को भेजे गए थे। बुधवार को रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू वायरस की पुष्टि हुई। हालांकि मां के इलाज के दौरान बच्चों को दवाएं खिला दी गईं थी। इस वजह से बच्चे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। उनका घर पर ही उपचार हो रहा है। वहीं, महावीर नगर की एक महिला की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। महिला लंबे समय से दिल की मरीज है। बुखार और सर्दी ठीक न होने की दशा में चिकित्सकों ने जांच कराई। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर महिला को विशेष उपचार पर रखा गया है। महिला मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती है।
26 दिन में 10 केस
दिसंबर के 26 दिन बीते हैं और स्वाइन फ्लू के 10 केस सामने आ चुके हैं। जिसमें एक मौत भी हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. अमित गर्ग का कहना है कि इस वायरस के लिए सर्दी का मौसम अनुकूल होता है। ठंड अधिक पड़ने पर यह सक्रिय हो जाता है। हालांकि बीते वर्ष इसकी सक्रियता अधिक थी।
ये है स्वाइन फ्लू
यह एक प्रकार का एंफ्लुएंजा वायरस है। जो छींक, हवा, खांसी, हाथ मिलाने, मेज या दरवाजों को छूने से फैलता है। अधिकतर मरीजों में एच1 एन1 वायरस मिलता है। पहली बार 1976 में फोर्टडिस्क में पहला मरीज मिला था। एच3 एन2 भी फ्लू संक्रमित करने वाला वायरस है। इसमें छींक, सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द, सांस फूलने, थकान, आंखों के सामने अंधेरा छाने के लक्षण मिलते हैं।

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रखें विशेष ध्यान

  • हाथ नियमित साबुन और शुद्ध पानी से धोयें।
  • छींकते और खांसते वक्त मुंह और नाक को रूमाल से ढकें।
  • नाक, मुंह और आंख को बार-बार न छुएं।
  • भीड़ वाली जगह में जाने सें बचें। फ्लू संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें।
  • फिजीशियन के परामर्श के बिना दवाई न लें।

इलाज को बनाई गई तीन कैटेगरी

  1. कैटेगरी ए: बुखार, गले में दर्द, कफ, हेडेक, डायरिया हो तो 24 से 48 घंटे तक जांच व दवा की जरूरत नहीं।
  2. कैटेगरी बी: उपरोक्त लक्षण के साथ तेज बुखार, गले में तेज दर्द हो तो मरीज को अलग करें। जांच की जरूरत नहीं, लेकिन टेमीफ्लू टेबलेट शुरू कर देनी चाहिए।
  3. कैटेगरी सी: उपरोक्त लक्षणा के साथ सांस में परेशानी, छाती में दर्द, बेहोशी, नींद, रक्तचाप, बलगम में खून, नाखून का रंग बदले तो खतरनाक है। तेज बुखार, खाना न खाना, सांस उखड़ने की समस्या होने पर मरीज को भर्ती कराएं।

इनका कहना है
स्वाइन फ्लू को लेकर सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को सतर्कता बरतने को कहा गया है। साथ ही मेडिकल अफसरों को ऐसे मरीजों की निगरानी रखने और आशंका पर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। संक्रामक बीमारी है इसलिए लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।
-डॉ. राजकुमार, सीएमओ


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