Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: नेताजी के साथ लड़ी थी बागपत के वीरों ने आजादी की जंग, अंग्रेजों के नाक में कर दिया था दम
यूं तो देश की आजादी की लड़ाई में बागपत के वीर सपूतों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन कुछ ऐसे सपूत थे जिन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिल जीतने में कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। ढिकौली गांव ने तो नेताजी का साथ निभाने में मिसाल ही कायम कर दी थी।
बागपत, जेएनएन। यूं तो देश की आजादी की लड़ाई में बागपत के वीर सपूतों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन कुछ ऐसे सपूत थे जिन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिल जीतने में कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। ढिकौली गांव ने तो नेताजी का साथ निभाने में मिसाल ही कायम कर दी थी, क्योंकि इस गांव में 12 वीर सपूत आजाद हिंद फौज में शामिल होकर अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।
ढिकौली गांव के 94 वर्षी कैप्टन राज सिंह बताते हैं कि उनके गांव के लहरी सिंह 1939 में आजाद हिंद फौज में शामिल हुए और कुछ ही दिनों में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के इतने विश्वासपात्र बन गए कि उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभालने लगे। अंग्रेजों को चकमा देने को लहरी सिंह पठानी शूट पहनकर नेताजी की सुरक्षा देखते थे।
वहीं दो सगे भाई जिले सिंह और अलम सिंह नेताजी से इतने प्रभावित हुए कि आजाद हिंद फौज में शामिल होकर उनके साथ देश को आजाद कराने को काम किया था। ढिकौली के ही दिलावर सिंह, कालू, बेगराज, अनूप सिंह, खेचूड, भीम सिंह और नदान काले समेत कुल 12 वीर सपूत आजाद हिंद फौज में थे।
कैप्टन राज सिंह बताते हैं कि हमनें आजादी से पहले सुना तो यहां तक था कि एक बार नेताजी अपनी सुरक्षा का जिम्मा देखने वाले लहरी सिंह के साथ रात में ढिकौली के जंगल में एक बाग में कुछ देर रुके थे, लेकिन इसका कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है।