एनसीसी से लेकर सेना की शूटर तक संघर्षपूर्ण रहा सफर, प्रेरित करती है मेरठ की प्रिया की कहानी
मेरठ की अंतरराष्ट्रीय शूटर प्रिया के साथ उतार-चढ़ाव रहे जिन्हें पार कर वह आगे बढ़ी तो सेना की वेशभूषा में देखने का उनका सपना पूरा हो ही गया। एनसीसी की कैडेट बनकर शूटिंग का सफर शुरू करने वाली प्रिया वर्तमान में भारतीय सेना के असम राइफल्स का हिस्सा हैं।
[अमित तिवारी] मेरठ। जिंदगी सफलता का स्वाद चखाने से पहले कई असफलताओं से सामना कराती है। मेरठ की अंतरराष्ट्रीय शूटर प्रिया के साथ भी कुछ ऐसे ही उतार-चढ़ाव रहे जिन्हें पार कर वह आगे बढ़ी तो स्वयं को सेना की वेशभूषा में देखने का उनका सपना पूरा हो ही गया। एनसीसी की कैडेट बनकर शूटिंग का सफर शुरू करने वाली प्रिया वर्तमान में भारतीय सेना के असम राइफल्स का हिस्सा हैं और सेना की ओर से शूटिंग स्पर्धाओं में हिस्सा ले रही हैं।
बड़ी बहन ने एनसीसी में जाने को किया प्रेरित
मेरठ में मवाना क्षेत्र में भैंसा गांव की रहने वाली प्रिया पुत्री बृजपाल सिंह ने कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई गांव में ही आदर्श कन्या इंटर कालेज में की। कृषक पीजी कालेज मवाना में बीए करने के दौरान ही प्रिया को एनसीसी की जानकारी मिली। उन्होंने बड़ी बहन को बताया। बड़ी बहन ने प्रिया को एनसीसी में पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित किया। एनसीसी प्रशिक्षण के दौरान प्रिया ने पहले संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया। कैंप में .22 बोर की राइफल से शूटिंग कराई गई। शूटिंग में मिली पांच गोली में से प्रिया ने तीन लक्ष्य पर दागा। यहीं से प्रिया का आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
एनसीसी यूनिट ने शुरू कराई शूटिंग
प्रिया मवाना में 73 बटालियन एनसीसी के अंतर्गत प्रशिक्षण ले रही थी। कैंप से लौटने के बाद यूनिट के सुबेदार मेजर ने यूनिट में बुलाया और .22 बोर की राइफल शूटिंग के लिए बुलाया और प्रशिक्षण शुरू हो गया। प्रशिक्षण के साथ ही दिन प्रति दिन दिलचस्पी बढ़ती गई। उसी समय प्रिया को नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के बारे में पता चला कि एनसीसी टीम से वह भी हिस्सा ले सकती हैं और सर्टिफिकेट मिलने पर स्पोट्र्स कोटे में नौकरी मिल सकती है। इसके बाद शूटिंग के प्रति प्रिया की दिलचस्पी बढ़ती गई। प्रिया की शूटिंग के बारे में केवल बड़ी बहन को ही जानकारी थी। पहली शूटिंग प्रतियोगिता में एनसीसी की 11 यूनिटों में हुई शूटिंग चैंपियनशिप प्रथम स्थान प्राप्त किया और रिकार्ड भी बनाया। पहली सफलता के बाद परिवार के अन्य लोगों को पता चला तो सभी ने खुशी जाहिर की और प्रोत्साहित भी किया। गांव में रहने की कुछ दिक्कतें भी थी लेकिन प्रिया ने अपना प्रशिक्षण जारी रखा।
नेशनल पहुंची तो मिला जीवन का लक्ष्य
साल 2015 में प्रिया ने 59वें नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में स्थान बनाया और बेहतरीन प्रदर्शन के साथ इंटरनेशनल चैंपियनशिप के ट्रायल के लिए क्वालीफाई किया। साल 2016 में पुणे में नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया जिसमें टीम स्वर्ण और आल इंडिया में पांचवां स्थान प्राप्त किया। इसके बाद चार नेशनल और इंटरनेशनल ट्रायल के बाद देश के टा-15 शूटर्स को चयनित किया गया जिसमें प्रिया 16वें नंबर पर रहने के कारण चयनित नहीं हुईं। घर आकर बहुत रोईं और शूटिंग को छोड़ने तक का ख्याल मन में आ गया। पिता ने समझाया और आगे बढ़ने को प्रेरित किया। साल 2017 में फिर शूटिंग शुरू की और उस साल देश के टाप-आठ में स्थान बना लिया।
उधार की शूटिंग से खेली प्रतियोगिता
साल 2017 में वापसी करने के बाद प्रिया का चयन सरदार सज्जन शूटिंग प्रतियोगिता के लिए हुआ जिसमें प्रथम स्थान पर रहीं और स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद सुरेंद्र सिंह शूटिंग प्रतियोगिता के लिए प्रिया का चयन हुआ। प्रिया के पास अपनी राइफल नहीं थी। दिल्ली एनसीसी से प्रिया को राइफल मिली तो उन्होंने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। 2017 में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और नौवें स्थान पर रहीं। साल 2018 में एनसीसी का सी-सर्टिफिकेट लेकर उत्तीर्ण हुई अौर उसी समय नेशनल टीम में चयन होने के साथ ही जूनियर शूटिंग वल्र्ड कप के लिए भी चयन हुआ। एनसीसी से उत्तीर्ण होकर निकलने के बाद वहां से राइफल नहीं मिल सकी। प्रिया और उनके पिता ने बहुत कोशिश की की प्रिया को वहीं राइफल मिल जाए जिससे उन्होंने प्रशिक्षण किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। किराए की राइफल लेकर प्रिया जर्मनी में जूनियर वल्र्ड कप में हिस्सा लेने गई। पदक नहीं जीत सकीं लेकिन भारतीय टीम में दूसरा स्थान मिला।
असम राइफल्स से खुला आगे बढ़ने का रास्ता
अपनी राइफल न होने और नई राइफल न खरीद पाने के बीच प्रियश और उनके परिवार का संघर्ष जारी रहा। प्रिया इस दौरान किराए की राइफल से प्रशिक्षण करती रहीं। इसी बीच पहली बार असम राइफल्स की ओर से शूटिंग से कुछ रिक्तियां निकाली गईं। प्रिया के मुंह बोले बड़े भाई पवन सहरावत ने प्रिया का फार्म भर दिया और ट्रायल देने को कहा। असम राइफल का ट्रायल मेघालय के शिलांग में हुआ। प्रदर्शन की मेरिट पर प्रिया का चयन हो गया। साल 2018 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी चयन हो गया और प्रशिक्षण और राइफल के खर्च की चिंता भी दूर होती गई। इस सफर में प्रिया के मित्र त्रिलोकी त्रिवेदी का साथ भी निरंतर मिलता रहा।
सेना की होकर साधा निशाना
प्रिया ने 18 सितंबर 2018 को असम राइफल में सेवा की शुरुआत की। एक साथ तक अन्य प्रशिक्षण व प्रक्रिया के दौरान रहीं और शूटिंग बंद रही। एक साल बाद वापस शूटिंग शुरू की। असम राइफल की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रिया के अभ्यास के लिए खेलो इंडिया के तहत दिल्ली के डा. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में बुलाया गया। प्रिया ने इसकी जानकारी अपने वरिष्ठ अफसर ले. कर्नल पर्वतदान को दी तो उन्होंने भी प्रिया को दिल्ली जाने की अनुमति दी और बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया। छह महीने दिल्ली में अभ्यास करने के बाद प्रिया ने इसी महीने असम राइफल माक्र्समैन यूनिट की टीम के साथ इसी सप्ताह नार्थ ईस्ट शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। प्रिया ने एक स्वर्ण व 10 मीटर में एक रजत पदक जीता। उनकी यूनिट ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।
देश के लिए जीतने हैं पदक
सेना तक पहुंचने के सपने को जीने के बाद अब प्रिया देश के लिए शूटिंग स्पर्धा में पदक जीतना चाहती हैं। साथ ही असम राइफल में रहते हुए देश की रक्षा में भी अपना योगदान देना चाहती हैं। अब तक असम राइफल की टीम शूटिंग नेशनल में हिस्सा नहीं लेती थी। इस साल पहली बार टीम नेशनल में हिस्सा लेगी। प्रिया का फोकस अब नेशनल पर है जिससे अपनी टीम के लिए भी पदक जीत सकें।
मिल चुके हैं तीन सम्मान
एनसीसी से भारतीय सेना तक के प्रिया के सफर में उन्हें तीन बड़े सम्मान भी मिल चुके हैं। साल 2015 में प्रिया को मुख्यमंत्री सर्टिफिकेट मिला। साल 2016 में राज्यपाल पुरस्कार मिला और साल 2018 में रक्षा मंत्री पदक से सम्मानित किया गया। यह सभी सम्मान उन्हें एनसीसी में मिली शूटिंग सफलताओं के आधार पर मिले।