Special Column: जहां शून्य नंबर पाकर भी... डर के आगे अब परीक्षा है Meerut News
CCSU Campus बीएड एक ऐसी डिग्री है जो शिक्षक बनने की पहली सीढ़ी मानी जाती है। शिक्षक बनने की चाह रखने वाले या न रखने वाले दोनों हर साल इसकी परीक्षा देते हैं।
मेरठ, [विवेक राव]। Special Column बीएड एक ऐसी डिग्री है, जो शिक्षक बनने की पहली सीढ़ी मानी जाती है। शिक्षक बनने की चाह रखने वाले या न रखने वाले दोनों हर साल इसकी परीक्षा देते हैं। इस बार कोविड-19 के डर के बीच परीक्षा कराई गई। नौ अगस्त को प्रदेशभर में परीक्षा थी। मेरठ से 15 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े अन्य जिलों में भी इसकी परीक्षा हुई। सभी केंद्रों के भीतर शारीरिक दूरी बनाकर परीक्षा कराई गई, हालांकि केंद्रों से बाहर मानक भी टूटते रहे। दो पालियों में छह घंटे तक चली प्रवेश परीक्षा में पूरा प्रशासनिक अमला भी लगा रहा। हालांकि सवाल उठता है कि जिस बीएड प्रवेश परीक्षा में शून्य नंबर भी पाने वाले प्रवेश पा लेते हैं, वहां इतनी बड़ी परीक्षा का औचित्य क्या है। शून्य नंबर की पढ़ाई से किसी का भला तो नहीं होने वाला है।
प्रोन्नति देना भी एक परीक्षा है
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में छात्रों को बगैर परीक्षा के प्रोन्नत किया जा रहा है, लेकिन प्रोन्नत भी विश्वविद्यालय के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। प्रोन्नत के कई आधार बनाए गए हैं, जिसमें जरा सी चूक परिणाम को इधर से उधर कर सकती है। दरअसल, जिसने परीक्षा दी या नहीं दी, दोनों को पास करना है। अब छात्रों की पहले कुछ परीक्षाएं हुई थीं, कुछ की नहीं हो पाईं। जिनकी परीक्षा हुई, उनको अंक के आधार पर फेल पास करना है। जो परीक्षा में गैरहाजिर थे, उन्हें भी पास करना है। इस फार्मूले को बैठाने पर ऐसे छात्र जिन्होंने परीक्षा दी, वे अपने विषय में फेल हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, जो परीक्षा नहीं दे पाए, वे पास हो रहे थे। विश्वविद्यालय परीक्षा न देने वाले का रिजल्ट रोक रहा है। अन्य प्रोन्नत के परिणाम पर भी पैनी नजर रखे हुए है।
सब हुए पास, फेल हुई पढ़ाई
आरटीइ यानी राइट टू एजुकेशन के तहत कक्षा आठवीं तक के स्कूल किसी बच्चे को फेल नहीं कर सकते। यानी बगैर पढ़े और बगैर फेल हुए आठवीं तक बच्चे पहुंच जाते हैं। 10वीं में बोर्ड का रिजल्ट सुधारने के लिए कुछ स्कूल नौवीं कक्षा में कमजोर छात्रों को रोक देते हैं, जिससे नौंवी कक्षा में कुछ छात्रों को फेल का स्वाद चखना पड़ता है। इस बार कोविड-19 के चलते नौंवी में भी कोई फेल नहीं किया गया। सभी को पास कर दसवीं में भेज दिया गया है। मेरठ के कुछ स्कूलों में नौंवी कक्षा में पांच-पांच विषय में फेल छात्र भी अब 10वीं के विद्यार्थी हैं। इन फेल छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने में शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं। दसवीं के बोर्ड रिजल्ट सुधारने की कोशिश में जुटे स्कूल चिंतित हैं। अगले साल 10वीं के बोर्ड परीक्षा परिणाम को लेकर अभी से परेशान हैं।
डर के आगे अब परीक्षा है
शहर में कोविड-19 के संक्रमण फैलने का डर अभी कायम है, लेकिन अब इस डर को जीतने का समय है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे जुड़े एक हजार कॉलेजों की अब परीक्षा शुरू होने वाली है। करीब डेढ़ लाख से अधिक छात्र- छात्राएं परीक्षा देंगे। परीक्षा को लेकर कुछ छात्र संगठनों की ओर से लगातार विरोध भी किया जा रहा है। इस विरोध के बीच अंतिम वर्ष की परीक्षा कराई जा रही है कि छात्र अपनी डिग्री को लेकर मन में कुंठा न पालें और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहें। विश्वविद्यालय के सामने अब दो चुनौती है। एक, परीक्षा की सुचिता को लेकर रहेगी वहीं दूसरी ओर, कोविड के खतरे से छात्रों को बचाते हुए परीक्षा कराने की रहेगी। विश्वविद्यालय को दोनों मोर्चे पर सफल होना है, तो छात्रों को भी डर से आगे परीक्षा में सफल होना ही है।