पछुआ हवा : व्यापारी एकता अब कल की बात, सियासत ने किया कद जमींदोज Meerut News
मुद्दों की हांड़ी धधकने पर व्यापारी प्रशासन को हिला देता था। एकता की डोर में बंधे व्यापारी समाज में तब सियासत का घुन नहीं लगा था। उनके आसपास खेमेबाजी का दलदल नहीं था।
मेरठ, [संतोष शुक्ला]। Special Column मुद्दों की हांड़ी धधकने पर व्यापारी प्रशासन को हिला देता था। एकता की डोर में बंधे व्यापारी समाज में तब सियासत का घुन नहीं लगा था। उनके आसपास खेमेबाजी का दलदल नहीं था। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप से पहले व्यापारी वर्ग अपनी लड़ाई खुद लड़ लेता था, लेकिन अब इस वर्ग का स्वाभिमान सियासत की चौखट पर गिरवी पड़ा है। जागृति विहार में एक युवा व्यापारी की हत्या से उबाल स्वाभाविक था। पुलिस के पास भी अपराधियों का कोई सुराग नहीं। व्यापारियों ने बाजार बंद करने की अपील की, जिसमें एक गुट बाहर हो गया। बाद में इन गुटों के बीच आपस में झगड़ा हो गया। जहां सरकार के पास व्यापारियों की एकता का संदेश पहुंचना था, वहां उनमें आपसी मारपीट, फायरिंग और धमिकयों की शिकायतें पहुंचीं। सियासत ने व्यापारियों का कद जमींदोज किया, वहीं अपराधियों का हौसला भी बढ़ाया। पुलिस रेफरी है।
कोरोना के कुरुक्षेत्र में तन्हा राजकुमार
कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य विभाग में खलबली मचा दी है। एक के बाद एक अपर मुख्य चिकित्साधिकारी कोरोना पाजिटिव मिल रहे हैं। सप्ताहभर पहले डाक्टर साहब संक्रमित क्या हुए, विभाग में काम करने वाले सभी कोरोना योद्धा भाग खड़े हुए। सूचना जारी होने के आधे घंटे बाद कैंपस में सन्नाटा पसर गया। दूसरे और तीसरे दिन भी अलग-अलग डाक्टर पाजिटिव आए, और स्टाफ ने आफिस आना ही बंद कर दिया। इधर, कोरोना का आंकड़ा दो सौ पार करने से दिनभर मास्क संभालने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी छुट्टियों का बहाना खोजने लगे, लेकिन इन सबके बीच सीएमओ डा. राजकुमार नियमित रूप से आफिस में बैठे। फरवरी से कोरोना डयूटी में डटे सीएमओ कभी संक्रमित होने से नहीं डरे। आफिस में मरीज मिलने पर भी उन्होंने बैठना नहीं छोड़ा। दर्जनों एसीएमओ व डिप्टी सीएमओ मन मारकर डयूटी पर आ रहे हैं, क्योंकि सीएमओ रोज पहुंच जाते हैं।
हिंदी का लिफाफा, अंग्रेजी का खत
हिंदी भाषा अंतरिक्ष में तैरते ऐसे पिंड के समान है, जो अभिव्यक्ति के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल सकती है। हिंदी दिवस की औपचारिकता निभाकर भाषा की समृद्धि नहीं की जा सकती। यह भाषा पृथ्वी के समान क्षमाशील होने की वजह से खामोश नजर आती है। यही कारण है कि हिंदी की लहरों में बेवजह गर्जना नहीं सुनाई पड़ती, जबकि इस भाषा के साहित्य साधक मानते हैं कि यहां अभिव्यक्ति का सबसे सुरम्य झरना बहता है। खड़ी भाषा के हृदयस्थली मेरठ में कार्यक्रम तो कई हुए, लेकिन मंचों के पीछे कई स्थानों पर पोस्टर और बैनर अंग्रेजी में लिखे गए थे। साहित्य रसिकों को बुलाने के लिए उन्हेंं अंग्रेजी में संदेश भेजे गए थे। अभिनय की दुनिया से जुड़े कई युवा अपनी पटकथा रोमन लिपि में पढ़ते हैं। उन्हेंं हिंदी कमजोर होने का फक्र है। उनका यही फक्र भाषा को कहीं बंजर न बना दे।
भाजपाइयों पर आया कोरोना का दिल
विधायक सत्यवीर त्यागी कोरोना को मात देकर एक बार फिर अपनों के बीच हैं। उन्हेंं दोबारा लक्षण उभर आए थे। कुछ दिन बाद पता चला कि सहकारी बैंक के चेयरमैन मनिंदरपाल सिंह कोरोना की गिरफ्त में आ गए। वो ठीक होकर आफिस नहीं संभाल पाए कि प्रदेश उपभोक्ता संघ के चेयरमैन संजीव सिक्का पाजिटिव हुए। वो गत दिनों लखनऊ में भी बैठक कर चुके हैं। उन्हेंं सोशल मीडिया पर लोगों ने जल्द स्वस्थ होने की शुभकामनाएं दीं, तब तक पता चला कि पूर्व क्षेत्रीय महामंत्री व लोकसभा पालक जयकर्ण गुप्ता परिवार समेत संक्रमित हो गए हैं। भाजपाइयों की मानें तो पदाधिकारी व कार्यकर्ता जांच कराने से बच रहे हैं, अन्यथा पार्टी में सैकड़ों संक्रमित हैं। एक प्रश्न यह भी चर्चा में है कि क्या भाजपाई शारीरिक दूरी की अवहेलना करते हुए जनसेवा में संक्रमित हो रहे हैं, या यह लापरवाही पर एक पर्दा है।