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पछुआ हवा : जिंदगी बची, और संवेदना मर गई और वो फर्श पर यूं ही लेटी रही Meerut News

जिला अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ महिला मरीज को फटकार कर भगा देता है। उसे कोरोना जांच रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा गया और इतना सुनते ही महिला बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ी। किसी ने पलटकर नहीं पूछा कि वो फर्श पर क्यों लेटी है।

By Prem BhattEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 01:40 PM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 01:40 PM (IST)
पछुआ हवा : जिंदगी बची, और संवेदना मर गई और वो फर्श पर यूं ही लेटी रही Meerut News
जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष के सामने संवेदनाएं दम तोड़ती नजर आईं।

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष के सामने मरीजों की आवाजाही जारी है। पीछे वाले भवन में कोरोना की जांच की जा रही है। इमरजेंसी में डाक्टर के साथ ड्यूटी कर रहा पैरामेडिकल स्टाफ एक महिला मरीज को फटकार कर भगा देता है। उसे कोरोना जांच रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा गया, और इतना सुनते ही महिला बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ी। वो हाथ में एक दवा और गिलास लेकर पहुंची थी। उसे उम्मीद थी कि तत्काल इलाज मिल जाएगा। महिला जमीन पर लेटी आने जाने वालों को देखती रही। किसी ने पलटकर नहीं पूछा कि वो फर्श पर क्यों लेटी है। कई सीनियर डाक्टर मास्क पहने हुए महिला से बचकर निकलते देखे गए। पैरामेडिकल स्टाफ संवेदनहीन बना रहा। सीएमएस के हस्तक्षेप के बाद उसकी जांच हुई, लेकिन तब तक जमाने के प्रति महिला की आंखों में भरोसे का पानी सूख गया था।

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धुएं में जिंदगी, कूड़े में शपथ

पर्यावरण की सेहत में चिंगारी लगाने वालों के लिए आखिर यह सब कितना आसान है। साफ हवा-पानी का संकल्प क्षण मात्र में भस्म कर दिया जाता है। मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना कूड़ा जलाते हुए पास में खड़े होकर सिगरेट पीने वालों का हौसला देखिए। ऐसा लगता है जैसे उन्होंने कूड़ा निस्तारण का हल खोज लिया हो। जिस क्षेत्र की मानीटरिंग का जिम्मा क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर है, वहां सुबह से शाम तक दो बार कूड़े को नियमित रूप से जलाया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने किस्तों में फटकार और जुर्माना लगाया। ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल ने गत दिनों मेरठ का निरीक्षण पर यहां के प्रदूषण को नई दिल्ली-एनसीआर के लिए घातक बताया था। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर शपथ लेने वालों में स्पर्धा रहती है, लेकिन विडंबना देखिए कि सांसों में जहर घोलने वालों के खिलाफ कोई सामने नहीं आता।

छोटे शहर के बड़े क्रिकेट उस्ताद

क्रिकेट हाल तक मुंबई, नई दिल्ली, बंगलुरु और चेन्नई जैसे महानगरों की चकाचौंध में फंसा हुआ था, लेकिन छोटे शहरों के बड़े उस्तादों ने गेंद और बल्ले की दुनिया बदल दी। रांची के महेंद्र सिंह धौनी इसके बड़े उदाहरण हैं, लेकिन इस कड़ी में मेरठ जैसे छोटे शहर की प्रतिभाओं ने हैरतअंगेज प्रदर्शन किया है। दुबई में खेली जा रही आइपीएल में तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार (अब चोटिल) और युवा बल्लेबाज प्रियम गर्ग शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले भुवनेश्वर कुमार और कर्ण शर्मा साथ नजर आते रहे हैं। कुछ और पीछे जाएं तो अंतरराष्ट्रीय मैचों एवं आइपीएल के कुछ सीजन भुवनेश्वर और प्रवीण कुमार साथ खेले। इंडिया-19 से चमके मेरठ के प्रियम गर्ग बेहतरीन फुटवर्क से दिग्गज बल्लेबाजों की याद दिलाते हैं। पड़ोसी जिले के तेज गेंदबाज कार्तिक त्यागी और अमरोहा के शमी किसी मैच का रुख बदलने की क्षमता रखते हैं।

बेबस भाजपाई, हर कदम मिली खाई

सरकार अपनी तो बनी, लेकिन बात कुछ नहीं बनी। तकरीबन चार साल से कुछ ऐसा दर्द ढोते भाजपाइयों पर कोरोनाकाल ज्यादा भारी पड़ा। दिग्गजों ने अपनों का भी हाथ छोड़ दिया, और कई तो सियासी मझधार में डूब गए। गत दिनों नगर निगम के अधिकारियों से अधिकार की लड़ाई करने गए युवा भाजपाइयों की पिटाई हो गई। संगठन ने कहा कि उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया, और कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें किसी ने पूछा नहीं। भाजयुमो नेता के भाई को कंकरखेड़ा पुलिस ने बैठा लिया। घंटों हंगामा हुआ। बार-बार बताना पड़ा कि हम योगी समर्थक भाजपाई हैं। एक महिला कार्यकर्ता ने इस्तीफा दिया, और फिर वापस भी ले लिया। कैंट बोर्ड की एक सदस्य के खिलाफ भाजपा के दो गुट आमने सामने आ गए। महानगर महामंत्री कृषि कानून के विरुद्ध प्रदर्शनकारियों के साथ नजर आए। लगता है कि कहीं सुनवाई नहीं है।


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