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सफाई वाला : आखिर ये आग कब बुझेगी, कौन है जो शहर की हवा को बना रहे जहरीली Meerut News

मेरठ शहर को वायु प्रदूषण से बचाना है तो इसकी पहल हमें खुद से ही करनी होगी। किसी भी स्‍थान पर कूड़े को जलाने से बचना होगा। जन जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है लेकिन निगम अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर करा कूड़े की आग बुझा रहा है।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:30 AM (IST)
सफाई वाला : आखिर ये आग कब बुझेगी, कौन है जो शहर की हवा को बना रहे जहरीली Meerut News
शहर में जगह-जगह जल रहे कड़े को जलने से रोकना ही होगा।

मेरठ, [दिलीप पटेल]। वायु प्रदूषण बढऩे के लिए पराली और कूड़ा जलाने को जिम्मेदार माना जा रहा है। पर्यावरण की सेहत की चिंता करने वाली संस्थाएं पराली और कूड़ा जलाने को प्रतिबंधित कर चुकी हैं, लेकिन यह आग बुझ नहीं रही है, क्योंकि इस अभियान में जन भागीदारी नजर नहीं आ रही। मेरठ शहर में किसी भी तरफ से प्रवेश करेंगे, कचरे के ढेर और उससे उठता धुआं दिख जाएगा। जो लोग कूड़े में आग लगा रहे हैं, शहर की हवा को जहरीली बना रहे हैं, शायद वो यह भूल रहे हैं कि इसी शहर में उनका परिवार भी रहता है। इसी शहर की आबोहवा में सांस लेता है। बीमारी फैलेगी तो वह भी चपेट में आ सकते हैं। बस, यही बात घर-घर पहुंचानी होगी। इसके लिए जन जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है, लेकिन निगम बस अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर करा कूड़े की आग बुझा रहा है।

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स्मार्ट मीटर की उछाल

एक समय था जब घरों में लगे मीटर गर्मी और ठंड के मौसम का फर्क उपभोक्ताओं को कराते थे। ठंड के मौसम में बिजली के बिल सुकून देते थे, लेकिन जबसे घरों के बाहर स्मार्ट मीटर लगे हैं, उपभोक्ताओं का यह सुकून छिन गया है। अब साल के बारह महीने एक जैसे बिल आ रहे हैं। भले ही कूलर पंखे बंद हैं, फिर भी मीटर उछाल मार रहे हैं। बिजली समाधान शिविरों में सबसे ज्यादा शिकायतें यही हैं। हालांकि नए स्मार्ट मीटर लगाने पर 31 अक्टूबर तक रोक है, लेकिन इसके बाद क्या होगा, यह सवाल उपभोक्ताओं के मन में हिलोरे ले रहा है। दरअसल बिजली का पूरा खेल ही मीटर पर टिका है। बिजली में अगर सबसे ज्यादा प्रयोग हुए हैं तो वह मीटर को लेकर देखने को मिले हैं। यह बात दीगर है कि तमाम बदलावों के बाद भी जनता को सहूलियत नहीं मिली।

होम कंपोस्टिंग की हरियाली

हर घर के किचन से निकले गीले कचरे से खाद बनेगी। खाद से बागवानी तैयार होगी। घर, परिसर हरा-भरा दिखेगा। कुछ ऐसा ही सपना संजोया है नगर निगम ने। शुरुआत भी हो गई है। इंदौर कर सकता है तो मेरठ क्यों नहीं। यही बात नागरिकों से निगम कह रहा है। तकनीकी सलाह के लिए चार संस्थाएं भी लगा दी हैं। उकृष्ट बागवानी पर पुरुस्कार योजना भी है। बस, अब परीक्षा नागरिकों की होनी है। कहने को यह सरकारी मुहिम है, लेकिन यह पर्यावरण की सेहत से जुड़ी है, जिसमें हम सांस लेते हैं, जिसमें हम स्वस्थ्य जीवन की परिकल्पना करते हैं। पर्यावरण की सेहत खराब कर रहा है कचरा। ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक हो रही है, इसलिए अब घर का कचरा घर में ही खत्म करना होगा। होम कंपोस्टिंग बेहद आसान है। बस, दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है।

जुर्माने से बदलेगी सूरत

शहर को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम ने सख्ती शुरू कर दी है। गंदगी सड़क पर फैलाई नहीं कि चालान कटना तय है। एक दो नहीं, तीन हजार सफाई कर्मचारी अब गंदगी फैलाने वालोंं पर ही नजर रख रहे हैं। गत दिनों बड़ी संख्या में कार्रवाई हुई। इसके सुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं। जिन स्थानों पर जुर्माने की कार्रवाई हुई है, उन स्थानों पर कार्रवाई के दूसरे दिन गंदगी फैली नहीं मिली है। यह रिपोर्ट सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों की है। नगर निगम के एक अधिकारी से चर्चा हुई तो वो बोले, अब ढिलाई बहुत हो चुकी। सुबह झाड़ू लगने के बाद दुकान खुलते ही कचरा सड़क पर फेंक दिया जाता है। ऐसे लोगों की आदतें जुर्माने से ही बदलेंगी। जुर्माने से बचना है तो दुकानदार डस्टबिन रखें। घरों में लोग डस्टबिन रखें। कूड़ा लेने गाड़ी आए, तब कचरा निकालें। सफाई तभी दिखाई देगी।


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