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पछुआ हवा : ममता की गोद में निहाल हुए पालनहार, गणेश चतुर्थी पर गजानन भक्तों के घर पधारे Meerut News

Special Column गणेश चतुर्थी पर गजानन भक्तों के घर पधारे हैं। भगवान गणेश शुभत्व के देव हैं जिनके कई रूप भक्तों को विभोर कर देते हैं। पढ़िए विशेष कॉलम।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 01:20 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 01:20 PM (IST)
पछुआ हवा : ममता की गोद में निहाल हुए पालनहार, गणेश चतुर्थी पर गजानन भक्तों के घर पधारे Meerut News
पछुआ हवा : ममता की गोद में निहाल हुए पालनहार, गणेश चतुर्थी पर गजानन भक्तों के घर पधारे Meerut News

मेरठ, [संतोष शुक्ला]। Special Column गणेश चतुर्थी पर गजानन भक्तों के घर पधारे हैं। भगवान गणेश शुभत्व के देव हैं, जिनके कई रूप भक्तों को विभोर कर देते हैं। गणेश चतुर्थी पर मूर्तियों को खरीदने वाले भक्त बाजार में उमड़े तो भक्ति का रंग वात्सल्य से पीछे छूट गया। महिलाओं ने कहीं भगवान गणेश की मूर्ति को आंचल में छुपा लिया तो किसी ने गजानन को धूप, बारिश और धूल से बचाने के लिए ढक लिया। एक महिला गोद में गणेश मूर्ति को लेकर बाइक पर बैठी नजर आईं, जिसके ममतामयी स्पर्श से प्रभु निहाल नजर आए। काव्य के पथिक हों या भक्ति मार्ग के अनन्य साधक, आखिरकार सभी ने मां के स्वरूप को ईश्वर से श्रेष्ठ माना है। यहां भी जगत के पालक एक मां की गोद में स्थान पाकर वात्सल्य की गंगा में नहा रहे हैं। भक्ति की गंगा के सामने वात्सल्य का महासागर लहराता मिला।

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पन्ने फडफ़ड़ाने से भगवा खेमे में भूचाल

सियासत में अर्श और फर्श के बीच ज्यादा फासला नहीं होता। भाजपा महानगर उपाध्यक्ष पार्टी के लिए पूरी मेहनत करते थे, लेकिन कारोबार की एक सीढ़ी फिसलकर अब फर्श पर पहुंच गए। पुलिस की मानें तो उनके गोदाम में काली कमाई की नींव काफी गहरी मिली है, हालांकि ऐसा रातों-रात नहीं हुआ होगा। पुलिस और प्रशासन की छांव में ही ऐसे कारोबार फलते हैं। सवाल इसलिए और गंभीर है कि यही भाजपाई कारोबारियों को टैक्स चोरी से बचने और जीएसटी की पैरोकारी की सीख दे रहे थे। आरोपों की आंच विधायक तक भी पहुंची है। चंद दिनों पहले हुक्का बार में पार्टी के सिद्धांत धुआं बनकर उड़ते पाए गए। तेल प्रकरण हो या जमीन पर कब्जे का मामला, कीचड़ में कमल खिलाने वाली विचारधारा स्थानीय स्तर पर दलदल में नजर आ रही। नकली किताबों से कई असली मुद्दे हवा में उछल गए हैं।

स्वतंत्र की टीम में पावरहाउस बना मेरठ

मेरठ को प्रदेश की दूसरी सियासी राजधानी माना जा रहा है, जिसका प्रमाण प्रदेश इकाई के ताजा विस्तार में भी नजर आया है। प्रदेश इकाई में अश्विनी त्यागी को महामंत्री बनाया गया, वहीं कांता कर्दम और देवेंद्र चौधरी उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। स्वतंत्रदेव सिंह की टीम में इतनी तवज्जो लखनऊ, बनारस, प्रयागराज, आगरा और गोरखपुर को भी नहीं मिली। मेरठ को भाजपा अपना राजनीतिक पावरहाउस बनाती नजर आ रही है। पश्चिमी उप्र की 14 लोकसभा और 71 विधानसभा सीटों की कमान मेरठ को दी गई है। यहीं पर क्षेत्रीय कार्यालय भी बनाया गया है। बेशक, मेरठ के पड़ोसी जिलों को संगठन में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका, लेकिन पार्टी कई अन्य मानकों पर संतुलन साधती नजर आई है। दो साल पहले प्रदेश कार्यसमिति का आयोजन भी मेरठ में हुआ, जहां अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, सुनील बंसल जैसे दिग्गज पहुंचे थे।

चेहरा ही खुरदुरा, आईना क्या देखे शहर

उत्तर प्रदेश का सबसे कमाऊ पूत होने के बाद भी विकास और स्वच्छता के पैमाने पर मेरठ एक बार फिर खाई में गिरा मिला। असीम क्षमताओं वाले मेरठ ने स्मार्ट सिटी की लंबी लड़ाई लड़ी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का हृृदय कहलाने वाले इस शहर की नस-नस में हालांकि अब, प्रदूषण और भ्रष्टाचार का घुन लग चुका है। स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट में मेरठ उत्तर प्रदेश का सबसे गंदा शहर मिला, ऐसे में प्रश्न सिर्फ प्रशासनिक पहलुओं पर ही नहीं उठ रहा, बल्कि जनप्रतिनिधियों की नाकामी भी बजबजाकर सामने आ गई है। खेल विवि की मांग हो या एयरपोर्ट, हर जगह आश्वासन और तिरस्कार मिला। दस साल पहले जिस मेरठ की खरीद क्षमता बंगलुरु के बाद देश में दूसरे नंबर पर आंकी गई, उसी नगर की नब्ज बैठ रही है। देखें, सबसे पहले कौन सा जनप्रतिनिधि आगे बढ़कर नाकामी की जिम्मेदारी लेने का साहस दिखाता है।


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