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अनहद : हाफ पैंट की फुल टेंशन, बड़े खाप के चौधरी के फरमान से सुधरेगा समाज

खाप के फरमान अक्सर खौफ पैदा करते हैं लेकिन इस बार पहली बार खाप के फरमान से खौफ तो नहीं हालांकि बालकों को टेंशन जरूर हो गई है। सबसे बड़े खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने युवकों को हाफ पैंट न पहनने को कहा।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 09:30 AM (IST)
अनहद : हाफ पैंट की फुल टेंशन, बड़े खाप के चौधरी के फरमान से सुधरेगा समाज
खाप के फरमानों के बीच जाटलैंड के छोरे थोड़ी दुविधा में हैं।

मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। खाप के फरमान अक्सर खौफ पैदा करते हैं, लेकिन इस बार पहली बार खाप के फरमान से खौफ तो नहीं, हालांकि बालकों को टेंशन जरूर हो गई है। सबसे बड़े खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने युवकों को हाफ पैंट न पहनने को कहा। बताया, इससे समाज सुधरेगा। पहले लड़कियों को जींस न पहनने को कहा था, उन्होंने माना ...लिहाजा लड़के भी मान जाएंगे। बदले जमाने में बात-बात में बात न बढ़े, इसलिए बयान में यह भी जोड़ा, जोर-जबरदस्ती किसी से नहीं होगी। सभी अपने विवेक से फैसला लें। हाफ पैंट की पाबंदी जिन्हें अच्छी लगी, उन्होंने कुछ ही देर में इसकी होली भी जला दी। इसके बाद से जाटलैंड के छोरे थोड़ी दुविधा में हैं। फैशन और सहूलियत का हवाला देकर नेकर या हाफ पैंट में गांवभर को नापते हुए खेत-खलिहान तक घूम आने वालों की अब तो टोका-टाकी भी शुरू हो गई है।

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इस बार ट्रंप कार्ड ...स्वाहा

लोकल के लिए हमेशा वोकल रहने वाले मेरठ के कुछ महानुभाव इस बार ग्लोबल विषय पर मुखर हुए। नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित करने वाली अखिल भारतीय हिंदू महासभा इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में कूदी। चौंकिए मत, शर्माजी चुनाव लडऩे अमेरिका नहीं गए बल्कि पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप के लिए यज्ञ-हवन करने बैठे। अक्सर विवादों में रहने वाले साहब ने तर्क दिया, आतंकवाद के खात्मे के लिए ट्रंप का फिर से राष्ट्रपति बनना जरूरी है। चूंकि मुद्दा इंटरनेशनल था, लिहाजा जितनी बार हवन की आहुति न पड़ी, उससे कहीं ज्यादा फ्लैश चमके। खूब दावे हुए, अंतरराष्ट्रीय राजनीति का पाठ भी पढ़ाया गया। खैर, फिलहाल नतीजे ट्रंप के लिए धुंधले हैं। अब आलोचक तो यह भी कहने लगे हैं कि ट्रंप की जीत की मनोकामना कर स्वाहा-स्वाहा करने वाली महासभा की वजह से ही कहीं जीत की उम्मीदें भी स्वाहा तो न हो गईं।

बाल पर बवाल, बिगड़ी बात

आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला तो याद है न। जी हां, फिल्म की स्क्रिप्ट हूबहू मेरठ में भी दोहराई गई। अंतर बस इतना है कि रील लाइफ की स्टोरी की एंडिंग हैप्पी थी, जबकि मेरठ की रियल लाइफ स्टोरी का क्लाइमैक्स बिल्कुल उलट। दरअसल, बाल के मामले में कंगाल एक युवक ने विग लगाकर नए जमाने की पढ़ी-लिखी लड़की से शादी की। वर-वधू दोनों खुश थे, लेकिन विदाई बाद जब पति-पत्नी अकेले में बैठे तो बगैर विग पति का चेहरा देख पत्नी का चेहरा पीला पड़ गया। काटो तो खून नहीं। खाता-बही की पढ़ाई-लिखाई कर अपनी जिंदगी के बैलेंस शीट में जैसे ही सस्पेंस एकाउंट का खाता खुलता देखा तो गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उल्टे पांव मायके लौट आयी। पति मना रहा है, माफी मांग रहा है, लेकिन लड़की मानने को तैयार नहीं। शादी नहीं, वह इसे धोखाधड़ी और मानहानि बता रही है।

शीर्ष सेवा वाले शीर्ष पर

मेरठ में इन दिनों एक खास संयोग बना है। शीर्ष सेवा वाले शीर्ष पद पर विराजमान हो गए हैं। जिला चलाने वाले से लेकर शहर के विकास का खाका तैयार करने, और शहर की नगरीय सेवाएं आम शहरी को सुनिश्चित हों, इसके जिम्मेदार अफसर आइएएस हैं और युवा भी। डीएम, एमडीए उपाध्यक्ष और नगरायुक्त तीनों के आइएएस और युवा होने से यहां के लोगों की एक बार फिर उम्मीद जगी है। यानी के. बालाजी, मृदुल चौधरी और मनीष बंसल की इस तिकड़ी से। अमूमन नगरायुक्त और एमडीए वीसी का पद सीनियर पीसीएस को सौंपा जाता रहा है, जो या तो यहां काम करते हुए आइएएस में प्रमोट हो जाते हैं या प्रमोट होकर यहां सेवाओं से जुड़ते हैं। अब चूंकि शासन ने जो यह बदलाव किया है, इसे अब केवल संयोग माना जाए या सोची-समझी रणनीति, यह तो अगले कुछ दिनों में जरूर दिखने लगेगा।


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