जाम का जंजाल :कष्ट के लिए माफ करना..जिम्मेदार गहरी नींद में हैं
मेरठ । गढ़ रोड से लोगों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने का जिम्मा संभालने वाले सोहराब गेट बस अड्डा
मेरठ । गढ़ रोड से लोगों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने का जिम्मा संभालने वाले सोहराब गेट बस अड्डा बदहाली का शिकार है। बस अड्डे के बाहर बसों के रुकने का न कोई सलीका है और न ही व्यवस्था बनाने वाले जिम्मेदारों को अपने कर्तव्य का बोध। नतीजा, लोग जाम से जूझने को मजबूर हैं। हैरत में डालने वाली बात यह है कि परिवहन विभाग व पुलिस के कर्मचारियों को लोगों की इस परेशानी से कोई सरोकार नहीं।
गौरतलब है कि शहर को जाम के झाम से मुक्त कराने के लिए दैनिक जागरण ने जाम का जंजाल अभियान छेड़ा हुआ है। इसके पहले चरण में दिल्ली रोड पर जाम प्वाइंट के नाम से बदनाम भैंसाली बस अड्डे का चुना गया। दस दिन तक अभियान चलाकर व्यवस्था सुनिश्चित कराई। बिगड़ैल चालकों पर अंकुश की रणनीति बनी और सजा भी मुकर्रर की। अभियान के दूसरे चरण में गढ़ रोड स्थित सोहराब गेट बस अड्डे को टारगेट पर लिया गया है। सोमवार के अंक में सोहराब गेट बस अड्डे की बदहाली प्रमुखता से प्रकाशित कर अधिकारियों को आइना दिखाया। लेकिन अफसोस, अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंगी। व्यवस्था बनाने वाले जिम्मेदार हमेशा की तरह लापरवाह दिखे।
यहां नियम न कानून.. मनमर्जी का राज है
सोहराब गेट बस अड्डे की बात करें तो यहां के दोनों द्वारों से बसों का संचालन होता है। दोनों द्वारों से अलग-अलग स्थानों के लिए बसें मिलती हैं। बसें आएंगी और सड़क पर ही खड़ी होकर सवारियां उतारी जाएंगी। इसके अलावा बस अड्डे में सवारी बैठाने के बाद भी बाहर निकलने वाली बसें भी सड़क पर खड़ी होंगी। परिचालक आवाज लगाएगा, चालक हॉर्न बजाएगा। इस दौरान जाम लगना तय होता है। कुल मिलाकर बस अड्डे के बाहर कोई नियम नहीं माना जाता। यहां मनमर्जी कानून चलता है।
ई-रिक्शा व डग्गामारों की खुली मनमानी
बस अड्डे के बाहर रोडवेज बसों के चालकों की ही नहीं, बल्कि ई-रिक्शा, टेंपो व डग्गामार वाहनों के चालकों की भी खुली मनमानी है। सड़क पर ही वाहन खड़े होंगे। सवारी बैठायी व उतारी जाएंगी, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं दिखेगा। जाम लगे, लोग परेशानी झेलें, इससे परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा पुलिस के जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं।
अफसरों को अतिक्रमण भी नहीं दिखता
शहर में तमाम स्थानों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चला। व्यवस्था भी सुधरी, हालांकि कुछ ही दिनों में पुराने ढर्रे पर भी आ गई। गौर करने वाली बात यह है कि अफसरों को यहां का अतिक्रमण भी दिखाई नहीं देता। दुकानों, ठेलों व गोदामों के बाहर सड़क पर अतिक्रमण साफ देखा जा सकता है।
आखिर कब नींद से जागेंगे अफसर
वही महकमा, वही अफसर। लेकिन कार्रवाई में दोगली नीति। भैंसाली बस अड्डे पर बिगड़ैल चालकों की मनमानी रोकने को ट्रैफिक पुलिस तैनात है, परिवहन विभाग के अधिकारी भी लगे हैं और रविवार से इंटरसेप्टर भी लगा दी गई। वहीं, उसी विभाग के सोहराब गेट बस अड्डे पर उक्त में कोई इंतजाम नहीं है। यहां व्यवस्था बनाने वाले रोडवेज कर्मी नहीं दिखेंगे। पुलिस सहायता केंद्र है, लेकिन पुलिसकर्मी नजर नहीं आएंगे। अब देखना यह है कि अफसर आखिर नींद से कब जागेंगे।
इन्होंने कहा ..
भैंसाली बस अड्डे की तरह ही सोहराब गेट बस अड्डे पर भी मनमाने चालकों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। बीच सड़क बस खड़ी कर सवारी बैठाने वाले चालकों के चालान काटे जाएंगे। बार-बार नियम तोड़ने वालों के खिलाफ रिपोर्ट भेजी जाएगी।
- संजीव बाजपेयी, एसपी ट्रैफिक
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