चुनाव की धार को तेज करते हैं गीत
विधानसभा चुनाव में सभी पार्टी और प्रत्याशी वर्चुअल से लेकर वास्तविक धरातल पर प्रचार कर रहे हैं। इसमें वे गीत और कविताओं के माध्यम से जनता के बीच अपनी बात पहुंचा रहे हैं। चुनाव में इन गीतों से लोगों का मनोरंजन भी हो रहा है।
मेरठ, जेएनएन। विधानसभा चुनाव में सभी पार्टी और प्रत्याशी वर्चुअल से लेकर वास्तविक धरातल पर प्रचार कर रहे हैं। इसमें वे गीत और कविताओं के माध्यम से जनता के बीच अपनी बात पहुंचा रहे हैं। चुनाव में इन गीतों से लोगों का मनोरंजन भी हो रहा है। वहीं, समर्थकों को चुनावी गीत खूब भा रहा है। चुनावी गीतों का जनता पर कितना असर पड़ता है, इसे लेकर कवियों की अलग-अलग राय है।
प्रदेश में इस समय भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर के गीत यूपी में का बा.. को सपा, रालोद, कांग्रेस के प्रत्याशी और उनके समर्थक अलग- अलग मंचों पर वायरल कर रहे हैं। इसके जवाब में भाजपा के समर्थक यूपी में का का बा.. गीत के माध्यम से जवाब दे रहे हैं। इसमें गोरखपुर के सांसद और अभिनेता रविकिशन, दिल्ली के सांसद व अभिनेता मनोज तिवारी के गीत भी गाए जा रहे हैं। अब मेरठ की कवयित्री अनामिका अंबर भी बुंदेलखंडी अंदाज में यूपी में बाबा हैं.. गीत लेकर आई हैं। यह वायरल हो रहा है। ये गीत लोगों के मत को अपनी तरफ कर पाएंगे या नहीं, इसके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन चुनावी प्रचार में ये गीत तड़का तो लगा ही रहे हैं। चुनाव पर नहीं डालते असर
कवि डा. हरिओम पंवार कहते हैं कि चुनावी गीत केवल मनोरंजन करते हैं। इन गीतों को सुनकर मतदाता का मन नहीं बदलता है। जिस पार्टी के गीत होते हैं, उस पार्टी और उनके समर्थकों को अच्छा लगता है। जो समर्थक नहीं होते उन्हें अच्छा नहीं लगता है। ऐसे गीतों से जनमत नहीं बनता है। जनता के लिए हो गीत
हास्य कवि पापुलर मेरठी कहते हैं कि चुनावी गीत का असर होता है, बशर्ते वह जनता के लिए लिखा गया हो। किसी पार्टी से जुड़कर गीत लिखने से कवि एक पार्टी से बंध जाता है। हर पार्टी में अच्छे-बुरे नेता होते हैं, गीतों से हम जनता को जागरूक कर सकते हैं।