Move to Jagran APP

सपने अपने : स्मार्ट सिटी के स्मार्ट प्रोजेक्ट, इन दो अहम जरूरतों को साकार करने से पड़ेगा फर्क Meerut News

मेरठ शहर में अवैध पार्किंग और जाम से जूझते शहर को जरूरत थी मल्टी लेवल पार्किंग की। ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नौचंदी मेला मैदान को दिल्ली की तरह हाट के रूप में परिवर्तित करना जरूरी है क्‍योंकि यहां पर बाकी समय इसमें गंदगी फैली रहती है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:00 AM (IST)
सपने अपने : स्मार्ट सिटी के स्मार्ट प्रोजेक्ट, इन दो अहम जरूरतों को साकार करने से पड़ेगा फर्क Meerut News
मेरठ और स्‍मार्ट सिटी बनाने के लिए कुछ पहल की जरूरत है।

मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। मेरठ स्मार्ट सिटी बनने वाली है। शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जरूरी है कि उसके प्रोजेक्ट भी स्मार्ट हों। फिलहाल नगर निगम को 100 करोड़ रुपये मिलेंगे। इतनी कम धनराशि में यदि शहर के लिए बहुप्रतीक्षित जरूरत का प्रोजेक्ट बना दिया जाए तो यह भी एक स्मार्ट तरीका हुआ। अवैध पार्किंग और जाम से जूझते शहर को जरूरत थी मल्टी लेवल पार्किंग की। ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नौचंदी मेला मैदान को दिल्ली की तरह हाट के रूप में परिवर्तित करना, क्योंकि साल में एक बार मेला लगता है, और बाकी समय इसमें गंदगी फैली रहती है। इन दो महत्वपूर् जरूरतों को साकार कर देने से शहर पर फर्क पड़ेगा। किसी शहर में मल्टी लेवल पार्किंग और हाट भी उसे स्मार्ट बनाते हैं। बाकी इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम भी व्यवस्था बेहतर करेगा, मगर उसे भी किसी न किसी योजना के तहत समायोजित कर लिया जाएगा।

loksabha election banner

प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी है

वैसे तो कुछ विभाग ऐसे होते हैं जिनका जब विशेष समय आता है तब उनकी शक्ति और सक्रियता अलग से दिखती है। जैसे दीपावली के वक्त खाद्य विभाग। अब एक विशेष समय आया है वायु प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई का। इसके लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण जिम्मेदार विभाग है। हालांकि शहर के लोग इस विभाग को इस वक्त भी ठीक से नहीं जान पाए हैं। वैसे तो कहीं भी कूड़ा जलता हुआ मिल जाता है। चिमनियां धुआं उगलती हुई दिखाई दे जाती हैं, लेकिन विभाग की शक्तियां जिस तरह से इस समय दिखाई देनी चाहिए, वह नदारद है। टीम का निरीक्षण या छापेमारी भी लोगों का ध्यान नहीं खींच पा रही। कुछ विभाग दिखते नहीं हैं, मगर कार्रवाई गंभीर कर देते हैं। हालांकि कहीं भी इस विभाग की गंभीर कार्रवाई की भी चर्चा नहीं है। ...फिर भी याद आता है कि यह विभाग भी है।

पूछना पड़ेगा तिराहे से कितनी राह

परतापुर तिराहा पहले पूरी तरह से तिराहा ही था, मगर अब कोई उसे देखकर ऐसा नहीं कह सकता। उसका हुलिया रोजाना बदल रहा है। तिराहे को अब दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए इंटरचेंज में बदला जा रहा है। यहां पर अब रास्ते ही रास्ते होंगे। इस तिराहे से दिल्ली जाने का एक ही रास्ता है, मगर अब कुछ माह बाद दो रास्ते हो जाएंगे। देहरादून बाईपास से आने वाले वाहन भी अब तीन तरफ बंटेंगे। मेरठ शहर से निकलने वाले वाहन भी कई तरफ बंटेंगे। वाहनों को इधर-उधर बांटने के लिए तीन-तीन अंडरपास हैं। लूप बनाया जा रहा है। दो रैंप बन रहा है। कुछ माह बाद वाहन चालक अक्सर पूछते हुए मिलेंगे या वहां पर साइन बोर्ड को ध्यान से पढ़ते हुए मिलेंगे। नहीं तो जाना होगा वाया डासना, पहुंच जाएंगे वाया मोदीनगर। हालांकि बात तिराहे की, शायद लोग तिराहा ही तब भी बोलें।

नए वीसी के विकास की प्रतीक्षा

मेरठ विकास प्राधिकरण को इस बार जो वीसी मिले हैं, वह मुख्य विकास अधिकारी पद पर रह चुके हैं। पढ़ाई में प्रबंधन के डिग्रीधारी हैं। तो अब, शहर में सुनियोजित विकास कराने वाले विकास प्राधिकरण के मुखिया बन गए हैं। अक्सर लोग चर्चा करते हैं कि युवा आइएएस में ऊर्जा ज्यादा होती है, उनके उत्साह का फायदा भी कभी-कभार यादगार कार्य के रूप मेंं मिल जाता है। अब शहरवासी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि नवागत वीसी कुछ बेहतर करेंगे। पिटारे से मेरठ के लिए कुछ तो निकालेंगे। शासन से कुछ लाएंगे। कहा जाता है कि शासन से कोई योजना लेने के लिए प्रयास का तरीका भी स्मार्ट रखना होता है, वरना बाजी बाकी लोग मार लेते हैं। बहरहाल, विकास प्राधिकरण को समझने का समय लगभग बीतने वाला है। अब समय प्राधिकरण के गठन के मकसद को सकारात्मक रूप से दिखाने का आ गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.