Shraddha Amavasya: इस बार पितृविसर्जनी अमावस्या पर गज छाया योग, दान का अति महत्व,पढ़ें-मेरठ के आचार्य की राय
Shraddha Amavasya पितृीय श्राद्ध अमावस्या पर इस बार विशेष योग का निर्माण हो रहा है। चतुर्दशी को केवल उन्हीं का श्राद्ध होता है जिनकी विष या शस्त्र से या अपमृत्यु हुई हो। इस प्रकार अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध कर्म पांच अक्टूबर को होगा।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Shraddha Amavasya पितृविसर्जनी अमावस्या छह अक्टूबर को है। इसे सर्व पितृीय श्राद्ध अमावस्या कहा जाता है। ज्योतिषविद् भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि जिन पूर्वजों की मृत्यु चतुर्दशी को हुई हो उनका श्राद्ध कर्म अमावस्या को करना चाहिए। चतुर्दशी को केवल उन्हीं का श्राद्ध होता है जिनकी विष या शस्त्र से या अपमृत्यु हुई हो। इस प्रकार अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध कर्म पांच अक्टूबर को होगा। हालांकि पितृ पक्ष को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार की भ्रांतियां रहती हैं।
ऐसा शुभ योग
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि सर्वपितृ अमावस्या पर गज छाया और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। ऐसे शुभ योग में श्राद्ध कर्म करने और दान करने से पितरों का आशीर्वाद और अक्षय फल मिलेगा। बताया कि सात वर्ष पूर्व 2010 में यह योग बना था। अब वर्ष 2029 में यह योग बनेगा। गज छाया योग का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है। इस समय श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है।
कर्ज से मुक्ति
ऐसे में कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि और शांति आती है। आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि इस समय किए गए श्राद्ध और दान से पितृ अगले 12 वर्षों के लिए तृप्त होते हैं। छह अक्टूबर को गज छाया योग सूर्योदय से शाम 4.34 तक रहेगा। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों बुध की राशि अर्थात कन्या में रहेंगे। इसमें पूर्वजों को प्रिय खाने पीने की सामग्री का दान करना चाहिए।
पितृपक्ष में चांदी की चमक से गुलजार है बाजार
मेरठ में गणेशोत्सव से ही बाजारों की रौनक बढऩे लगती है, जो दीपावली और उसके बाद तक जारी रहती है। गणेशोत्सव के बाद पितृपक्ष में खरीदारी और नए काम को लेकर लोगों की धारणा अब बदल रही है। लोग ज्वेलरी, बर्तन, भूमि, भवन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं। नवरात्र और त्योहारी सीजन के लिए दुकानदार भी पितृपक्ष में ही सारी खरीदारी करते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भी पितृपक्ष में खरीदारी निषेध होने का कोई प्रमाण नहीं है। माना जाता है कि इस समय पितर पृथ्वी पर होते हैं और वह स्वजन की उन्नति और खुशी से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देकर वापस पितृलोक को लौट जाते हैं।
त्योहारों से पहले थोक बाजार में मची है हलचल
पितृपक्ष के दौरान खुदरा बाजार में जहां धीमी गति से परिवर्तन हो रहा है, वहीं थोक बाजार में इस समय हलचल मची हुई है। नवरात्र, दशहरा, करवाचौथ, दीपावली और भाईदूज के लिए दुकानदार बिक्री के लिए थोक बाजार से जमकर खरीदारी कर रहे हैं, जिससे नवरात्र शुरू होते ही वह अपनी दुकान सजा सकें। चांदी की कीमत 62 हजार रुपये प्रति किलोग्राम होने से भी बाजार का रुख बदल गया है। ऐसे में बाजार में एकाएक चांदी के बर्तन, गहने, मूर्तियां और सिक्कों की मांग बढ़ गई है। मेरठ से चांदी का व्यापार मुरादाबाद, बरेली, रामपुर, अमरोहा, हल्द्वानी, ऋषिकेश और गाजियाबाद तक किया जाता है, और विक्रेताओं ने खरीदारी के लिए भंडारण करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इस बार बाजार में 40 फीसद तेजी अभी से आ गई है।
इस बार बाजार में 40 फीसद तेजी... बढिय़ा है
थोक बाजार की बात की जाए तो इसमें त्योहारी सीजन के लिए सबसे ज्यादा खरीदारी की जाती है। दुकानदार त्योहार शुरू होने से पहले ही सामान लाकर बिक्री करना शुरू कर देते हैं। यदि वह नवरात्र शुरू होने का इंतजार करेंगे तो काफी देर हो जाएगी और ग्राहकों को उनकी पसंद का सामान नहीं मिल सकेगा। इस समय चांदी के बर्तन और गहनों की ही मांग काफी बढ़ गई है।
- विजय आनंद अग्रवाल, महामंत्री, मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन
पिछले एक माह में चांदी के मूल्य कम होने से भी बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। विक्रेताओं ने चांदी के बर्तन, मूर्तियां, सिक्के, नोट और ज्वेलरी की खरीदारी कर ली है, जिससे आने वाले त्योहारी सीजन में उन्हें परेशानी न हो।
- दीपक रस्तोगी, न्यादरमल चंद्रप्रकाश ज्वेलर्स सराफा
पिछले साल की अपेक्षा इस बार बाजार में 40 फीसद तेजी देखने को मिल रही है। इस समय थोक बाजार की चमक दिन रात बढ़ रही है। ऐसे में चांदी की चमक भी बरकरार है। वैसे भी नवरात्र से लेकर दीपावली तक चांदी के बर्तन, मूर्तियां, सिक्के, मंदिर और गिफ्ट आइटम की मांग रहती है।
- प्रदीप अग्रवाल, आरएमपी ज्वेलर्स सराफा बाजार