Pulwama Encounter : सैन्य सम्मान के साथ घर पहुंचा शहीद अजय का पार्थिव शरीर
पुलवामा एंनकाउंटर में शहीद हुए मेरठ के जानी निवासी अजय कुमार की अंतिम यात्रा सुबह मेरठ छावनी से शुरू हुई। इस दौरान सभी की आंखें नम थी।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:17 AM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 10:17 AM (IST)
मेरठ,जेएनएन। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सेना की ओर से चलाए जा रहे ऑपरेशन में शहीद हुए मेरठ के सिपाही अजय कुमार की अंतिम यात्रा मंगलवार सुबह सैन्य सम्मान के साथ छावनी से निकली। सोमवार देर रात शहीद का पार्थिव शरीर सैन्य अस्पताल पहुंच गया था। मंगलवार सुबह पूरे सैन्य सम्मान के साथ पश्चिम यूपी सब एरिया कमांडर मेजर जनरल पीएस साई,मिलिट्री हॉस्पिटल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एससी गुप्ता और 18 गढ़वाल के कमान अधिकारी ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। सैन्य धुन के साथ शस्त्र सलामी दी गई।
भारत माता की जयकारे, अजय कुमार अमर रहें
इसके बाद यहां से शहीद का पार्थिव शरीर शरीर अंतिम यात्रा के लिए निकाला गया। भारत माता की जयकारे और शहीद अजय कुमार अमर रहें के नारे के साथ उन्हें सेना के वाहन में रखकर मिलिट्री अस्पताल से रवाना किया गया। शहीद के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सेना के 18 गढ़वा रेजीमेंट को दी गई है। पूरी व्यवस्था को रेजीमेंट के कमान अधिकारी स्वयं देख रहे हैं।
रास्ते मे लोगों ने दे सलामी
अंतिम यात्रा निकलने के बाद रास्ते में जहां भी लोगों ने शहीद का नाम देखा वहां भारत माता के जयकारे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सलामी दी। रास्ते पर साइकिल,वाहन और मोटरसाइकिल से जाते हुए भी लोगों ने सलामी दी और शहादत को नमन किया। हर चौराहे पर खड़े लोगों ने शहीद का नाम देखा और भीगी पलकों के साथ प्रणाम किया।
एसपी ट्रैफिक से खींचतान
शहीद अजय कुमार के अंतिम यात्रा के लिए रूट को लेकर परिजन और एसपी ट्रैफिक में खींचतान भी नजर आई। एसपी ट्रैफिक अंतिम यात्रा को जानी से लेकर जाना चाहते थे जबकि परिजन मोदीनगर से होते हुए पतला की ओर जाने की मांग कर रहे थे। परिजनों का कहना था कि मोदी नगर में लोग अंतिम यात्रा का इंतजार करेंगे इसलिए वाहनों को उसी रास्ते पर ले जाया जाए।
मोदीनगर से होकर निकली अंतिम यात्रा
काफी खींचतान और बातचीत के बाद सेना के अधिकारियों ने एसपी ट्रैफिक से अंतिम यात्रा को मोदीनगर होकर ही ले जाने की सलाह दी और वहीं से होकर अंतिम यात्रा उनके घर तक पहुंची।एसपी ट्रैफिक के पास गांव से किसी विधायक का फोन आने के बाद उन्होंने शहीद अजय के परिजनों से बात करा कर रूट बदलने की कोशिश की। इस पर शहीद के परिजन भड़क गए और बीच रास्ते पर अंतिम यात्रा को रोकने का गुस्सा साफ दिखाई दिया। सभी ने गुस्से में कहा कि अगर पुलिस मोदीनगर से होकर नहीं जा सकती तो वह पार्थिव शरीर को स्वयं लेकर जाएंगे। उसमें पुलिस की कोई मदद नहीं चाहिए काफी देर की जद्दोजहद के बाद एसपी ट्रैफिक रास्ते जाने को राजी हुए और फिर अंतिम यात्रा यहां से रवाना हुई।
घर पहुुंचा मेजर अजय का पार्थिव शरीर
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सेना की ओर से चलाए जा रहे ऑपरेशन में शहीद हुए मेरठ के सिपाही अजय कुमार का पार्थिव शरीर अभी-अभी घर पहुंच गया है। पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही शहीद के घर में कोहराम मच गया। एक ओर लोग अजय कुमार अमर रहें के नारे लगा रहे हैं वहीं उनकी पत्नी प्रियंका अभी भी बेसुध हैं।
यह युद्ध है,सरकार तैयार करे रणनीति : जयंत
रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी का कहना है कि आतंकवाद से हमारे सैनिक रोज शहीद हो रहे हैं लेकिन लेकिन सरकारें अब तक ठोस एक्शन नहीं ले पाई हैं। सरकार को यह मानना पड़ेगा कि यह भी एक युद्ध है और हमें इस युद्ध से लड़ने के लिए अपनी तैयारियां और रणनीतियां इस नए प्रकार के युद्ध के लिए बनानी पड़ेगी उन्होंने कहा कि अब आमने सामने की लड़ाई पुरानी बातें हो चुकी हैं हमारे दुश्मन अब ऐसे ही छुप कर पीठ पीछे या आत्मघाती तरीके से ही हम पर वार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि हर साल तमाम सैनिक शहीद होते हैं हम नेता, अधिकारी,रिश्तेदार गांव के लोग इस मौके पर पहुंचते हैं शहीद के परिवार को सांत्वना देते हैं कुछ देर के लिए आंसू बहाते हैं लेकिन हम फिर अपनी दुनिया में लौट जाते हैं लेकिन इन परिवारों पर क्या बीती है यह हम नहीं समझ सकते इसलिए सरकारों को चाहिए कि कुछ ऐसा एक्शन ले जिस का सबक पाकिस्तान और आतंकवाद पर दिखाई पड़े उन्होंने अर्धसैनिक बल बल के जवान की शहादत को भी शहीद का दर्जा देने की मांग की।
भारत माता की जयकारे, अजय कुमार अमर रहें
इसके बाद यहां से शहीद का पार्थिव शरीर शरीर अंतिम यात्रा के लिए निकाला गया। भारत माता की जयकारे और शहीद अजय कुमार अमर रहें के नारे के साथ उन्हें सेना के वाहन में रखकर मिलिट्री अस्पताल से रवाना किया गया। शहीद के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी सेना के 18 गढ़वा रेजीमेंट को दी गई है। पूरी व्यवस्था को रेजीमेंट के कमान अधिकारी स्वयं देख रहे हैं।
रास्ते मे लोगों ने दे सलामी
अंतिम यात्रा निकलने के बाद रास्ते में जहां भी लोगों ने शहीद का नाम देखा वहां भारत माता के जयकारे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सलामी दी। रास्ते पर साइकिल,वाहन और मोटरसाइकिल से जाते हुए भी लोगों ने सलामी दी और शहादत को नमन किया। हर चौराहे पर खड़े लोगों ने शहीद का नाम देखा और भीगी पलकों के साथ प्रणाम किया।
एसपी ट्रैफिक से खींचतान
शहीद अजय कुमार के अंतिम यात्रा के लिए रूट को लेकर परिजन और एसपी ट्रैफिक में खींचतान भी नजर आई। एसपी ट्रैफिक अंतिम यात्रा को जानी से लेकर जाना चाहते थे जबकि परिजन मोदीनगर से होते हुए पतला की ओर जाने की मांग कर रहे थे। परिजनों का कहना था कि मोदी नगर में लोग अंतिम यात्रा का इंतजार करेंगे इसलिए वाहनों को उसी रास्ते पर ले जाया जाए।
मोदीनगर से होकर निकली अंतिम यात्रा
काफी खींचतान और बातचीत के बाद सेना के अधिकारियों ने एसपी ट्रैफिक से अंतिम यात्रा को मोदीनगर होकर ही ले जाने की सलाह दी और वहीं से होकर अंतिम यात्रा उनके घर तक पहुंची।एसपी ट्रैफिक के पास गांव से किसी विधायक का फोन आने के बाद उन्होंने शहीद अजय के परिजनों से बात करा कर रूट बदलने की कोशिश की। इस पर शहीद के परिजन भड़क गए और बीच रास्ते पर अंतिम यात्रा को रोकने का गुस्सा साफ दिखाई दिया। सभी ने गुस्से में कहा कि अगर पुलिस मोदीनगर से होकर नहीं जा सकती तो वह पार्थिव शरीर को स्वयं लेकर जाएंगे। उसमें पुलिस की कोई मदद नहीं चाहिए काफी देर की जद्दोजहद के बाद एसपी ट्रैफिक रास्ते जाने को राजी हुए और फिर अंतिम यात्रा यहां से रवाना हुई।
घर पहुुंचा मेजर अजय का पार्थिव शरीर
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सेना की ओर से चलाए जा रहे ऑपरेशन में शहीद हुए मेरठ के सिपाही अजय कुमार का पार्थिव शरीर अभी-अभी घर पहुंच गया है। पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही शहीद के घर में कोहराम मच गया। एक ओर लोग अजय कुमार अमर रहें के नारे लगा रहे हैं वहीं उनकी पत्नी प्रियंका अभी भी बेसुध हैं।
यह युद्ध है,सरकार तैयार करे रणनीति : जयंत
रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी का कहना है कि आतंकवाद से हमारे सैनिक रोज शहीद हो रहे हैं लेकिन लेकिन सरकारें अब तक ठोस एक्शन नहीं ले पाई हैं। सरकार को यह मानना पड़ेगा कि यह भी एक युद्ध है और हमें इस युद्ध से लड़ने के लिए अपनी तैयारियां और रणनीतियां इस नए प्रकार के युद्ध के लिए बनानी पड़ेगी उन्होंने कहा कि अब आमने सामने की लड़ाई पुरानी बातें हो चुकी हैं हमारे दुश्मन अब ऐसे ही छुप कर पीठ पीछे या आत्मघाती तरीके से ही हम पर वार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि हर साल तमाम सैनिक शहीद होते हैं हम नेता, अधिकारी,रिश्तेदार गांव के लोग इस मौके पर पहुंचते हैं शहीद के परिवार को सांत्वना देते हैं कुछ देर के लिए आंसू बहाते हैं लेकिन हम फिर अपनी दुनिया में लौट जाते हैं लेकिन इन परिवारों पर क्या बीती है यह हम नहीं समझ सकते इसलिए सरकारों को चाहिए कि कुछ ऐसा एक्शन ले जिस का सबक पाकिस्तान और आतंकवाद पर दिखाई पड़े उन्होंने अर्धसैनिक बल बल के जवान की शहादत को भी शहीद का दर्जा देने की मांग की।
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