मेरठ: डेंगू के साथ सेप्टीसीमिया दे रहा जख्म, स्वस्थ होने में लग रहा अधिक समय
सेप्टीसीमिया तब होता है जब बैक्टीरिया का संक्रमण शरीर के किसी हिस्से में होता है और वह रक्त के प्रवाह में चला जाता है। आमतौर पर कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में इसकी आशंका अधिक होती है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। डेंगू का हमला जिस तरह से लगातार जारी है, उसमें कुछ मरीजों में डेंगू के साथ-साथ अन्य समस्याएं भी सामने आ रही है। इसमें कुछ मरीजों में डेंगू के अलावा सेप्टीसीमिया भी मिल रहा है। ऐसे मरीजों की रिकवरी में भी डेंगू के मरीज से अधिक समय लग रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि चिंता की बात यह है कि ऐसे रोगी तब सामने आ रहे हैं, जब उनकी हालत बिगड़ जा रही है। मेडिकल कालेज की इमरजेंसी, जिला अस्पताल आदि में रोगी इस अवस्था में पहुंच रहे हैं। इमरजेंसी व भर्ती मरीजों में बुखार न उतरने की दशा में टीएलसी आदि जांच कराने पर शरीर में संक्रमण के कारण टीएलसी काउंट बढ़ा मिल रहा है। ऐसे में रोगी की जरा सी लापरवाही घातक बन सकती है।
यह होता है सेप्टीसीमिया
सेप्टीसीमिया तब होता है जब बैक्टीरिया का संक्रमण शरीर के किसी हिस्से में होता है और वह रक्त के प्रवाह में चला जाता है। आमतौर पर कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में इसकी आशंका अधिक होती है। इसके वजह से शरीर के कई अंग तंत्र प्रभावित हो सकते हैं और शरीर के विभिन्न आर्गन फेल्योर का भी रिस्क होता है।
10 मरीजों में से दो से तीन में मिल रहा सेप्टीसीमिया
मेडिकल कालेज में सहायक प्रोफेसर डा. अरविंद कुमार कहते हैं कि मेडिकल कालेज की ओपीडी हो या डेंगू वार्ड के 10 मरीजों में से करीब दो से तीन मरीजों में सेप्टीसीमिया या सेकेंडरी बैक्टीरियल संक्रमण मिल रहा है। इन मरीजों को ठीक होने में डेंगू के मरीजों से अधिक पांच से छह दिन लग जा रहे हैं। देखने में मिला है कि पिछले बार से अधिक लोगों में यह समस्या देखने को मिल रही है।
लापरवाही साबित हो सकती है घातक
बाल रोग विशेषज्ञ डा. अमित उपाध्याय ने बताया कि बच्चों में डेंगू के साथ हेपेटाइटिस व शाक सिंड्रोम से अधिक रिस्क है। शाक सिंड्रोम अधिक घातक बन रहा है। तीन से चार दिन तक अगर तेज बुखार या बुखार नहीं उतर रहा है तो अच्छे चिकित्सक से जरूर दिखाएं। क्योंकि ऐसी परिस्थिति में लापरवाही घातक साबित हो सकती है।