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मेरठ की दस शिक्षण संस्थाओं की सेहत बता रहा स्कोपस

मेरठ के दस शिक्षण संस्थानों को शोध की कसौटी पर कसा जा रहा है। विश्व की शीर्ष संस्थाओं में एक स्काेपस में मेरठ दस संस्थान पंजीकृत हैं।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 01:11 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 01:11 PM (IST)
मेरठ की दस शिक्षण संस्थाओं की सेहत बता रहा स्कोपस
मेरठ की दस शिक्षण संस्थाओं की सेहत बता रहा स्कोपस
मेरठ, जेएनएन। चौ. चरण सिंह विवि और उससे जुड़े डिग्री कॉलेजों में शोध का स्तर अभी काफी पीछे है। शोध की गुणवत्ता भी बेहतर नहीं है, जिसकी वजह से उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिंग में विवि जगह नहीं बना पा रहा है। विश्व की शीर्ष शोध संस्था स्कोपस पर मेरठ के केवल दस शिक्षण संस्थान रजिस्टर्ड हैं, जो यहां की शैक्षणिक सेहत को बताने के लिए काफी है।
रैंकिंग बताता है
विश्वस्तरीय शोध की शीर्ष संस्था स्कोपस पर शिक्षक और शोधार्थी जो रिसर्च प्रकाशित करते हैं। उसके आधार पर स्कोपस उन संस्थाओं की रैंकिंग भी बताता है। उस रैंकिंग के आधार पर विश्व के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति उस शोधार्थी और शिक्षण संस्थान व उसका स्तर पता कर सकता है।
स्कोपस की सूची में शामिल संस्थान
स्कोपस की सूची में मेरठ जिले के जिन दस संस्थाओं का नाम है, उसमें सबसे पहले चौ. चरण सिंह विवि है। दूसरे नंबर पर लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज, तीसरे पर मेरठ कॉलेज, चौथे पर मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पांचवें पर शोभित यूनिवर्सिटी, छठे पर डीएन डिग्री कॉलेज, सातवें पर सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि, आठवें पर भारत इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, नौवें पर सरदार वल्लभ भाई पटेल विवि का कॉलेज ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और दसवें स्थान पर कृषक पीजी कॉलेज मवाना का नाम है।
यह है स्कोपस
नीदरलैंड में वर्ष 2004 में स्कोपस को लांच किया गया था। शोध के लिए यह विश्व की शीर्ष संस्था है। स्कोपस में शोध प्रकाशित होने के बाद संबंधित शिक्षक और संस्था की रैंकिंग भी तैयार होती है। दुनिया भर के छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थियों, शिक्षाविदों व प्रकाशकों आदि की सूचना से संबंधित आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्कोपस को डिजाइन किया गया है। स्कोपस पर लाइफ साइंसेज, सोशल साइंसेज, फिजिकल साइंसेज, हेल्थ साइंसेज का विश्वस्तरीय डेटाबेस है। चौ. चरण सिंह विवि के गणित विभाग के प्रो. शिवराज सिंह बताते हैं कि स्कोपस शोध को स्मार्ट टूल्स से विजुलाइज करके शोध की आवश्कता को पूरा करता है। यहां से किसी भी संस्था के एकेडमिक हेल्थ का पता लगाया जा सकता है।

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