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संस्कारों को बचाकर रखिए तभी बचेगा परिवार, मेरठ में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में आयोजित संगोष्ठी में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि महामना का जीवन एक ऐसी मशाल है जो जीवन भर दूसरों के लिए जलती रही। उन्होंने अपने संकल्प से बता दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है।

By Parveen VashishtaEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 10:45 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 10:45 PM (IST)
संस्कारों को बचाकर रखिए तभी बचेगा परिवार, मेरठ में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में आयोजित संगोष्ठी में स्वामी चिदानंद सरस्वती और अन्‍य

मेरठ, जागरण संवाददाता। शिक्षा के मंदिर को संस्कारों का मंदिर बनना होगा। आज कारों के काफिले बढ़ रहे हैं तो संस्कार कम होने लगे हैं। हमें संस्कारों को बचाकर रखना होगा तभी परिवार भी बचेगा। यह कहना है परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती का। वह सोमवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महामना मदन मोहन मालवीय के विचारों की प्रासंगिकता पर बतौर मुख्य अतिथि अपना व्याख्यान दे रहे थे।

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एक छोटा सा प्रयास भी दिला सकता है बड़ी सफलता

महामना मालवीय मिशन की स्थापना दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि महामना का जीवन एक ऐसी मशाल है, जो जीवन भर दूसरों के लिए जलती रही। उन्होंने अपने संकल्प से बता दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। एक छोटा सा प्रयास भी बड़ी सफलता दिला सकता है। आज देश बदल रहा है, 70 साल में बाद भारत में ऐसी प्रतिभाएं सम्मानित हो रही हैं जो धरातल पर समाज के हित में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महामना चलते फिरते शिक्षा मंदिर थे, आज हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि अगर किसी की पुण्य तिथि या जन्मदिन मनाएं तो उसके साथ पेड़ तिथि भी मनाएं। पर्यावरण पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि अगर समय रहते हम पेड़ और पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं हुए तो जिस तरह से सरस्वती नदी विलुप्त हो गई, उसी तरह से गंगा भी एक नदी थी, कहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज विश्व के बड़े बड़े कांफ्रेंस में जिस पर्यावरण की चिंता की जा रही है, उसे भारतीय संस्कृति ने पहले ही विश्व को बता दिया था। विश्व की सोच भी भारत के प्रति बदली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आने के बाद यह बदलाव दिखा है। विश्व के लोगों के दिलों में भी भारत बसने लगा है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने करते हुए मदन मोहन मालवीय के शिक्षा और समाज में किए योगदान को बताया। मिशन के महासचिव मुनीष कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। गोष्ठी को मिशन के अध्यक्ष एसडी भारद्वाज, सचिव पीपीएस चौहान, ओपी शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मिशन से जुड़े सदस्य, बनारस हिंदू विश्वविद्याल के पुरातन छात्र भी उपस्थित रहे।

शापिंग सेंटर से नहीं खरीद सकते हैं शांति

स्वामी चिदानंद ने भौतिकता की दौड़ में भागने वाले युवाओं को भी संदेश दिया। कहा कि नेट से जुड़िए, लेकिन अपने अंतरमन से भी जुड़े रहिए। छह अंकों का पैकेज पाने की लालसा में अपनी फिगर को मत बिगाडि़ए। किसी शापिंग सेंटर से शांति नहीं खरीदी जा सकती है। अगर अपनी जड़ों से नहीं जुड़ेंगे तो सब सेट होगा लेकिन खुद अपसेट होते रहेंगे।


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