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Sardar Vallabhbhai Patel: लौह पुरुष के बुलंद व्यक्तित्व का गवाह है मेरठ, भाषण बना था चर्चा का विषय,पढ़िए रिपोर्ट

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti आज 31 अक्‍टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मोत्सव राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। देशभर में उथल-पुथल के बीच 1946 को मेरठ में भी अधिवेशन किया गया था। लौह पुरुष की यादें मेरठ से भी जुड़ीं हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 08:50 AM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 08:50 AM (IST)
Sardar Vallabhbhai Patel: लौह पुरुष के बुलंद व्यक्तित्व का गवाह है मेरठ, भाषण बना था चर्चा का विषय,पढ़िए रिपोर्ट
1946 में विक्टोरिया पार्क में कांग्रेस के अधिवेशन में सरदार पटेल का भाषण बना था चर्चा का विषय।

ओम बाजपेयी, मेरठ। अपने निर्भीक और बुलंद व्यक्तित्व के चलते लौह पुरुष सरदार पटेल आज भी राजनीतिक विमर्श का केंद्र बने हुए हैं। उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व की कई ऐतिहासिक यादें मेरठ से जुड़ी हैं। ऐसा ही एक प्रसंग देश की आजादी के पहले कांग्रेस के अंतिम अधिवेशन से संबधित है। इसने उस समय हलचल मचा दी थी और बात महात्मा गांधी तक पहुंच गई थी।

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तलवार का जवाब तलवार से

यह अधिवेशन 23 और 24 नवंबर 1946 को मेरठ के विक्टोरिया पार्क में हुआ था। उस दौरान मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन डे काल किया था। देशभर में उथल-पुथल मची थी। अधिवेशन में अपने भाषण में जिसमें स्वयं जवाहरलाल नेहरू, आचार्य कृपलानी, मृदुला साराभाई समेत बड़े नेता मौजूद थे। लौह पुरुष ने कहा था कि तलवार का जवाब तलवार से ही दिया जा सकता है। तलवार चलाने वाले के सामने निहत्थे होकर नारेबाजी कर हम जिंदा नहीं रह सकते हैं। महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों पर चलने वाली कांग्रेस के बड़े नेताओं को सरदार पटेल की यह बात नागवार गुजरी थी।

गांधी जी को स्थिति स्पष्ट कराई

महात्मा गांधी उस दौरान पश्चिम बंगाल के नौआखाली में थे। कुछ दिन बाद नौआखाली में अधिवेशन में भाग लेने वाले नेता महात्मा गांधी के पास गए थे। उन्होंने सरदार पटेल के तेवरों के बारे में बताया था। जिसके बाद महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को पत्र लिख कर उनसे उस भाषण के संबंध में जवाब मांगा था। वरिष्ठ इतिहासकार डा. केडी शर्मा बताते हैं कि सरदार पटेल ने पत्र के माध्यम से गांधी जी को स्थिति स्पष्ट कराई थी। सरदार पटेल का भाषण कांग्रेस के अधिवेशन के कार्यवृत्त में उल्लिखित है। अधिवेशन में आजाद भारत की संविधान सभा का प्रस्ताव भी पारित हुआ था।

जहां मंच बना, 90 साल पहले वहां थी जेल

अधिवेशन में देशभर से जो प्रतिनिधि आए थे उनके रहने के लिए शर्मा नगर में तंबू लगाए गए थे। जहां अधिवेशन का मंच बना था, उस स्थल पर पहले जेल हुआ करती थी। 10 मई 1857 को तीसरी अश्व सेना के सवारों ने अपने जेल में बंद 85 साथियों को कैद से छुड़ाकर आजादी की रणभेरी बजाई थी। विक्टोरिया पार्क में उस स्थल को स्मारक के रूप में बनाया गया है। जिसमें इस आशय के शिलापट्ट भी लगे हैं।

मेरठ के कलेक्टर पर जताया था विश्वास

565 रियासतों को एक झंडे के नीचे लाकर आजाद भारत का खाका खींचने वाले सरदार पटेल को कुशल प्रशासक माना जाता है। देश मे जब अंतरिम सरकार बनी थी तब मेरठ के कलेक्टर शंकर प्रसाद थे। देश के आजाद होने के बाद उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उन्हें दिल्ली का डिप्टी कमिश्नर नियुक्त किया था। बाद में उन्हें अजमेर में सांप्रदायिक घटनाओं को रोकने के लिए भेजा था।


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