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देवी की उपासना कर अभिभूत हुए भक्त

सदर दुर्गाबाड़ी में संधि पूजा के दौरान देवी के ओज और तेज से वातावरण दैदिप्यमान हो गया। दुर्गा पूजा के दौरान संधि काल का समय सबसे शक्तिशाली माना जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:30 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:30 AM (IST)
देवी की उपासना कर अभिभूत हुए भक्त
देवी की उपासना कर अभिभूत हुए भक्त

मेरठ, जेएनएन। सदर दुर्गाबाड़ी में संधि पूजा के दौरान देवी के ओज और तेज से वातावरण दैदिप्यमान हो गया। दुर्गा पूजा के दौरान संधि काल का समय सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इस दौरान ही चंड और मुंड नाम के राक्षसों ने देवी पर प्रहार किया था जिसके बाद क्रोध से उनका शरीर नीला पड़ गया था और आवेश में उन्होंने अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग कर चंड-मुंड का वध कर दिया था। इस विशेष पूजन के साक्षी होने के लिए बंग समाज ही नहीं अन्य लोगों का भी जबरदस्त उत्साह रहा। देवी की आराधना करते हुए महिलाओं ने शंख बजाए और मुंह से उलू देवा (पूजा के दौरान निकाली जाने वाले विशेष ध्वनि) किया। शाम को आरती के समय धुनुची नृत्य करती महिलाओं और युवतियों को देख कर भक्ति और उत्साह की ज्वाला तैरती नजर आई। अन्नपूर्णा मंदिर में स्थापित देवी मूíत स्थल पर यही नजारा रहा।

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अष्टमी पर भक्तों में सुबह से विशेष उत्साह रहा। नए वस्त्र पहने परिवार सहित लोग पूजा स्थलों पर डट गए थे। महिलाओं ने विशेष श्रंगार के साथ पारंपरिक परिधान धारण किए हुए थे। सदर अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य पुजारी माणिक चक्रवर्ती ने बताया कि संधिकाल अष्टमी के आखिरी 24 मिनट और नवमी के प्रथम 24 मिनट होता है। 48 मिनट तक मंत्रोच्चार के बीच विभिन्न द्रव्यों को अíपत करते हुए पूजन किया गया। 108 कमल पुष्प, 108 बेल के पत्ते आदि अíपत किए गए। महिलाओं ने देवी के सम्मुख 108 दिए प्रज्वलित किए। घंटी और शंख ध्वनि के बीच पूजन हुआ। पुलाव और रबड़ी का भोग लगाया गया। शाम को चौर चोड़ी, पांच भाजा (पारंपरिक बंगाली सब्जी) और चावल और खीर का भोग लगा। महिलाओं ने देवी को श्रंगार की सामग्री, कीमती कपड़े, गहने आदि भेंट किए। ऐसी मान्यता है कि इस समय देवी को प्रसन्न कर हर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

दुर्गाबाड़ी में संधि पूजन के बाद नवमी में चार वर्ष की बालिका का पूजन हुआ। दुर्गाबाड़ी में एसके भादुड़ी, पीके घोष और तापस पाल आदि मौजूद रहे। वहीं, सदर दुर्गाबाड़ी में सभापति श्यामल डे, अमिताभ मुखर्जी, डा. सुब्रत सेन, गोविद विश्वास, अभय गुप्ता आदि मौजूद रहे।

कमल पुष्प की जगह नेत्र अर्पण करने को तैयार थे भगवान राम

लंका पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने देवी का पूजन किया था। संधि पूजन करते समय देवी को प्रसन्न करने के लिए 108 कमल पुष्प गिन कर रखे थे। देवी ने परीक्षा लेने के उद्देश्य से एक पुष्प छिपा दिया। पूजा के समय उन्होंने कहा कि 107 पुष्प अíपत कर दिए तो देवी ने कहा कि 108 पुष्पों के बिना पूजन पूरा नहीं होगा। उस पर भगवान राम ने कहा कि वह पुष्प की जगह अपना नेत्र अíपत करेंगे। इस पर देवी प्रकट हो गई और विजय का आशीर्वाद दिया।

मुकुंदी देवी धर्मशाला में घट पूजन

घंटाघर स्थित मुकुंदी देवी धर्मशाला में घट पूजन हुआ। शहर सराफा से जुड़े बंगाली स्वर्ण कारीगर परिवारों द्वारा इस पूजा का आयोजन किया गया है। 25वीं दुर्गा पूजा को इस बार भव्य रूप से करने की तैयारी थी लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार केवल स्थापना की गई है। पूजन की पद्धति उसी प्रकार है जैसे मूíत स्थापित करने के दौरान होती है। शांतनु भुक्ता, तपन चक्रवर्ती, वरुण पाल आदि मौजूद रहे।


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