रोहित को बचपन से ही था सेना में जाने का जुनून
सेना में हवलदार पिता को देख बचपन से ही शहीद रोहित सिवाच भी सेना में जाने के
मेरठ,जेएनएन। सेना में हवलदार पिता को देख बचपन से ही शहीद रोहित सिवाच भी सेना में जाने के सपने बुनने लगे थे। सिर पर इस कदर जुनून हावी था कि गांव के रास्तों पर दौड़ लगाना, प्रतिदिन अभ्यास करना आदि सेना का अनुशासन रोहित के लिए आदर्श था। पिता लोकेश कुमार बताते हैं कि रोहित जब छुट्टी पर घर आता था तो वह आराम के बजाय अभ्यास करना ही पसंद करता था। छुट्टी के दौरान वह स्टेडियम में दौड़ लगाने के साथ जमकर पसीना बहाता था। रोहित के शहीद होने से पिता, मां, पत्नी व भाई पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। रविवार को रोहित की पार्थिव देह घर पहुंची तो उसके दोस्त व शुभचितक अपने आंसूओं को रोक न सके। घर पर शहीद की एक झलक पाने को लोगों की भारी भीड़ जमा थी।
प्रिस को नहीं देख पाए रोहित
स्वजन के अनुसार, रोहित अंतिम बार होली पर छुट्टी लेकर घर आए थे। होली का त्योहार उन्होंने बखूबी मनाया था। दो माह पूर्व ही रोहित दूसरे बेटे के पिता बने। रोहित अपने छोटे बेटे को नहीं देख सके।
दादा की गोद में खेलता रहा विवान
रोहित का ढाई वर्षीय बड़ा बेटा विवान अपने पिता की मौत से अंजान था। वह अपने दादा लोकेश कुमार की गोद में खेल रहा था। अंत्येष्टि स्थल पर विवान ने अपने दादा की गोद में ही पिता को मुखाग्नि दी। मासूम विवान को मालूम नहीं था कि उसके पिता देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे गए हैं।
'जब तक सूरज चांद रहेगा, रोहित तेरा नाम रहेगा'
मवाना रोड पर रोहित की पार्थिव देह को लेने पहुंचे रजपुरा के सैकड़ों लोग तिरंगे के साथ खड़े थे। युवाओं ने भारत माता की जय, वंदे मातरम और जब तक सूरज चांद रहेगा रोहित तेरा नाम रहेगा के नारे लगाए। कसेरू बक्सर चौपले पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने फूल बरसाए तो गांव तक युवाओं ने लगातार देशभक्ति के नारे लगाए।