Research On Vaccine: नाक से कोरोना वैक्सीन देना बनेगा गेमचेंजर, मेरठ में बाल रोग विशेषज्ञों ने दी ये जानकारियां
Research On Vaccine मेरठ में यूनिसेफ अधिकारी ने कहा एक हजार शिशुओं में मौत की दर 10 से कम लानी है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डा. वीएन त्रिपाठी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से इंकार किया।
मेरठ, जागरण संवाददाता। देश के जाने-माने नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने शिशु मृत्यु दर घटाने से लेकर कोरोना संक्रमण की आशंका एवं प्रबंधन समेत कई पहलुओं पर जानकारी दी। सेंट्रल जोन-यूपी नियोकान में दूसरे दिन एम्स नई दिल्ली के डा. अशोक देवरारी ने अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए डाक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने पर जोर दिया। प्रदेश के पूर्व चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डा. वीएन त्रिपाठी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका से इंकार किया। उन्होंने बच्चों के लिए मांसपेशियों एवं नेजल कोरोना वैक्सीन पर चल रहे ट्रायल की जानकारी दी। कहा कि यह गेमचेंजर साबित होगा।
शाक में इको बेस्ड मैनेजमेंट
बाईपास स्थित ग्रैंड-5 होटल में आयोजित नियोकान में सोमवार को डा. लकी जैन ने नवजातों में सांस में संक्रमण, डा. डेविड ने वेंटिलेशन में फेफड़ों की सुरक्षा, डा. मोहित ने शाक में इको बेस्ड मैनेजमेंट पर जानकारी दी। डा. संजय वजीर ने एनआइसीयू में एंटीबायोटिक के प्रयोग, डा. अमित उपाध्याय ने भारत में नवजातों की स्थिति, डा. मनीष ने जिला एवं ग्रामीण इलाकों में नवजातों के इलाज के प्रबंधन, डा. अतुल जिंदल ने नवजातों की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार पर नई जानकारियां दीं।
फायदे के बारे में बताया
डा. उमंग अरोड़ा ने एक ही निडिल में छह बीमारियों से बचाव के टीके से होने वाले फायदे की जानकारी दी। यूनिसेफ के अधिकारी डा. विवेक ने कहा कि भारत में प्रति एक हजार शिशुओं में 25 की मौत हो जाती है, जिसे 2030 तक दस से कम पर लाना है। उन्होंने स्तनपान पर जोर देते हुए कहा कि इससे नवजातों में संक्रमण एवं सेप्सिस से मरने की आशंका में 40 फीसद तक कमी आ जाती है। सेंट्रल जोन-2021-22 के ईबी मेंबर डा. अमित उपाध्याय ने बताया कि दो दिनी वर्कशाप पूरी तरह सफल रही। वर्कशाप में शामिल बाल रोग विशेषज्ञों को नई जानकारियां मिलीं।
बच्चे सुरक्षित, उन्हें अब कोरोना नहीं होना: डा. वीएन त्रिपाठी
डा. वीएन त्रिपाठी ने वर्कशाप में बताया कि देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण एवं कोविड संक्रमण की वजह से बच्चे सुरक्षित हो गए हैं। बच्चों को अपने घर के बड़ों से संक्रमण लगता था, लेकिन अब वो मास्क भी पहनते हैं। बच्चों में कोरोना संक्रमण की आशंका न्यूनतम रह गई है। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली बड़ों से बेहतर है, ऐसे में वो और सुरक्षित हैं। दस में से नौ बच्चे वेंटिलेटर से वापस आ जाते हैं, जबकि वयस्कों में यह आंकड़ा कमजोर है। डा. त्रिपाठी ने नवजातों को बचाने के लिए कई नए फार्मूलों की चर्चा की।
बच्चों की वैक्सीन पर किया सफल ट्रायल
डा. वीएन त्रिपाठी ने बताया कानपुर के निजी अस्पताल में बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल सफल रहा। ढाई वर्ष की एक बच्ची से लेकर 17 साल के तक लड़के को टीका लगाया गया, जिसकी रिपोर्ट आइसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया को दी गई। यह प्रयोग सफल माना गया। बच्चों में वैक्सीन प्रभावी साबित हुई। वहीं, बाद में कानपुर में नेजल रूट से कोविड वैक्सीन देने पर शोध किया गया, जो गेमचेंजर बनेगा। यह नाक और गले में वायरस को रोकने में ज्यादा कारगर मिली। सितंबर के अंत तक रिजल्ट आ जाएगा।