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हो सकता है दोबारा संक्रमण, मास्क न छोड़ें

यदि कोरोना संक्रमण होने के बाद आप ठीक हो गए हों तो भी मास्क लगाना बिल्कुल न छोड़ें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 10:01 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 10:01 AM (IST)
हो सकता है दोबारा संक्रमण, मास्क न छोड़ें
हो सकता है दोबारा संक्रमण, मास्क न छोड़ें

मेरठ, जेएनएन। यदि कोरोना संक्रमण होने के बाद आप ठीक हो गए हों तो भी, मास्क लगाना बिल्कुल न छोड़ें। वजह, तीन माह के अंदर दोबारा संक्रमण हो सकता है क्योंकि कई मरीजों में बेहतर एंटीबाडी टाइटर नहीं बन पा रही है। जिन मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता पहले से बेहतर है, उनमें कोरोना संक्रमण के बाद एंटीबाडी तीन माह तक, जबकि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों के शरीर में माहभर में ही एंटीबाडी खत्म हो सकती है। कोरोना वायरस में एंटीजेनिक ड्रिफ्ट यानी हल्का बदलाव मिलने से दोबारा संक्रमण की आशका बढ़ी है। हालाकि, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजकुमार ने दावा किया है कि मेरठ में अब तक ऐसा एक भी केस नहीं मिला है कि किसी को दोबारा कोरोना हो गया हो। दोबारा संक्रमण में उभरते हैं कई लक्षण

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सीएमओ एवं चेस्ट फिजिशियन डा. राजकुमार ने बताया कि नाक की इपीथीलियम सेल में कोरोना आरएनए वायरस पड़ा रहता है। यहा से स्वेब लेने पर जाच पाजिटिव आ सकती है। इसे रिशेडयूल्ड इंफेक्शन कहते हैं। इसमें वायरस का जेनेटिक मैटेरियल यानी जैविक संरचना समान मिली, लेकिन बाद में नए प्रकार का संक्रमण देखा जा रहा है। सास एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. संतोष मित्तल बताते हैं कि हागकाग में अगस्त में पहली बार दोबारा संक्रमण का केस मिला। पता चला कि इस मरीज को मार्च में भी कोविड हुआ था। बाद में भारत में चार डाक्टरों में दोबारा कोरोना मिला। इसमें दोनों मामलों में वायरस की जैविक संरचना अलग थी, यानी वायरस में बदलाव की वजह से संक्रमण हुआ। कई मरीज ऐसे थे, जो पहली बार के संक्रमण में लक्षण रहित थे, लेकिन दूसरी बार संक्रमण में बुखार, खासी, थकान और सास फूलने जैसे कई लक्षण उभरे। हल्के संक्रमण से दोबारा हो सकता कोरोना

कई डाक्टरों का कहना है कि ऐसे लोगों में दोबारा संक्रमण की आशका ज्यादा है, जिनमें पहली बार हल्का संक्रमण हुआ। इस वजह से पर्याप्त मात्रा में एंटीबाडी नहीं बन पाई। इससे मरीज दोबारा संक्रमित हो सकते हैं। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी विभागाध्यक्ष डा. अमित गर्ग कहते हैं कि कोरोना फिर से हो सकता है, लेकिन ऐसे मामले बेहद कम सामने आए हैं। वायरस में एंटीजेनिक शिफ्ट-बड़ा चेंज या ड्रिफ्ट-हल्का चेंज होता रहता है। जैविक संरचना में बड़ा बदलाव म्यूटेशन कहलाता है, लेकिन कोरोना के दोबारा संक्रमण के पीछे वायरस में हल्का म्यूटेशन माना जा सकता है। दोबारा संक्रमण के बावजूद मरीज गंभीर अवस्था में नहीं पहुंच रहे हैं। इनका कहना--

स्वस्थ लोगों में कोरोना होने पर एंटीबाडी तीन माह तक, जबकि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों में माहभर में खत्म हो सकती है। इनमें बेहतर एंटीबाडी टाइटर नहीं बन पा रहे हैं, जिससे कोविड की दोबारा आशका होती है। वायरस में एंटीजेनिक ड्रिफ्ट यानी हल्का बदलाव होने से भी यह व्यक्ति को दोबारा संक्रमित कर सकती है। हालाकि ऐसे केस बेहद कम हैं। बचाव यह है कि कोरोना से उबरने वाले भी हमेशा मास्क पहनें, शारीरिक दूरी का पालन करें, और इधर-उधर न छुएं, हाथ धोते रहें।

-डा. सूर्यकात त्रिपाठी, नोडल अधिकारी व

विभागाध्यक्ष, रिस्पेरेटरी मेडिसिन, केजीएमयू


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