मिशन एग्जामिनेशन : बोर्ड में आधा पर प्रतियोगी परीक्षा को पढ़े पूरा सिलेबस
सीबीएसई के एक्स एग्जाम कंट्रोलर पवनेश कुमार का कहना है कि बोर्ड परीक्षा के सिलेबस पढ़ाई व मूल्यांकन को दो सेमेस्टर में विभाजित करने से छात्र-छात्राओं का तनाव कम होगा। उन्हें दोनों ही टर्म एग्जाम के लिए छह-छह महीने का ही सिलेबस पढ़ना पड़ेगा।
मेरठ, जेएनएन। सीबीएसई के एक्स एग्जाम कंट्रोलर पवनेश कुमार का कहना है कि बोर्ड परीक्षा के सिलेबस, पढ़ाई व मूल्यांकन को दो सेमेस्टर में विभाजित करने से छात्र-छात्राओं का तनाव कम होगा। उन्हें दोनों ही टर्म एग्जाम के लिए छह-छह महीने का ही सिलेबस पढ़ना पड़ेगा। लेकिन बोर्ड के साथ ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से आयोजित नीट व जेईई परीक्षाओं की तैयारी पर असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि टर्म-वन के बाद टर्म-टू की तैयार के दौरान अधिकतर बच्चे टर्म-वन के सिलेबस को पढ़ना छोड़ देंगे। जबकि प्रतियोगी परीक्षाओं में छह महीने के नहीं बल्कि पूरे साल के सिलेबस के आधार पर प्रश्न पूछे जाएंगे।
मूल्यांकन बदला तो पढ़ाई भी बदलनी होगी
पवनेश कुमार के अनुसार मूल्यांकन पद्धति में बदलाव के पहले शिक्षण पद्धति में बदलाव अनिवार्य होता है। एमसीक्यू यानी बहुविकल्पीय प्रश्न आधारित परीक्षा देखने में भले ही आसान लगे लेकिन यह बहुत की वैज्ञानिक होती है। एमसीक्यू आधारित प्रश्नपत्र तैयार करना थ्योरी प्रश्नपत्र तैयार करने से बिलकुल अलग है। इसके लिए सीबीएसई को देश भर में शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं आयोजित कराई जानी चाहिए जिसमें उन्हें एमसीक्यू आधारित प्रश्नों को तैयार करना सिखाया जाए।
हर स्कूल को केंद्र बनाना चुनौतिपूर्ण होगा
सीबीएसई की कई बोर्ड परीक्षाएं करा चुके एक्स एग्जाम कंट्रोलर पवनेश कुमार के अनुसार टर्म-वन के लिए सीबीएसई कुछ परीक्षा केंद्र बनाएगा या हर विद्यालय केंद्र होगा, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन हर स्कूल को केंद्र बनाना बेहद चुनौतिपूर्ण होगा। परीक्षा प्रबंधन में दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए कुछ परीक्षा केंद्र ही बनाकर परीक्षा कराने की ही संभावना अधिक है जिससे पेपर आदि भेजने में दिक्कत न हो।
एनईपी सुझावों का अमल है यह व्यवस्था
पवनेश कुमार के अनुसार 10वीं व 12वीं में सेमेस्टर व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दिए गए सुझावों के ही अनुरूप किया गया है। उसमें नौवीं से 12वीं तक सेमेस्टर व्यवस्था लागू करने का सुझाव है। लेकिन यह व्यवस्था एनसीएफ यानी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क बनने के बाद लागू होनी चाहिए थी। एनसीएफ में देरी होने के कारण इस साल यह व्यवस्था अस्थायी तौर पर कोविड परिस्थितियों के कारण लागू हुई है। एनसीएफ तैयार होने के बाद इसका सही स्वरूप सामने आएगा।