इस बार जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को वृष लग्न में हुआ था। लंबे समय बाद ऐसा ही संयोग बन रहा है।
मेरठ। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ऐसा ही संयोग बन रहा है, जैसा श्रीकृष्ण के जन्म के समय पर बना था। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक दो सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। हालांकि, कुछ दो को तो कुछ तीन सितंबर को व्रत रखेंगे। वहीं, शहर के विभिन्न मंदिरों में दोनों दिन ही कार्यक्रम आयोजित होंगे।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को वृष लग्न में हुआ था। लंबे समय बाद ऐसा ही संयोग बन रहा है। आचार्य प्रभु शंकर शास्त्री ने बताया कि दो सितंबर को अष्टमी तिथि रात्रि 8.46 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी सोमवार को शाम 7.16 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र रात्रि 8.48 बजे से सुबह 8.04 बजे तक रहेगा। वहीं वृष लग्न रात्रि दस बजे शुरू होकर मध्यरात्रि 11.57 बजे तक रहेगी। ऐसे में दो सितंबर यानी रविवार को व्रत व पूजन आदि करना श्रेष्ठ है। ऐसा संयोग कभी-कभी बनता है।
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण और शालिग्राम की विधि-पूर्वक पूजा करें। जन्म के समय यानी मध्यरात्रि को मेवे और फल-फूल आदि प्रभु को अर्पित करें। अगर संभव हो तो पूरी रात्रि भगवान की आराधना करें। जन्माष्टमी का श्रद्धापूर्वक व्रत करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं।
जन्माष्टमी को लेकर बाजार में छाने लगी रौनक
मेरठ। रक्षाबंधन के बाद बाजारों में जन्माष्टमी का रंग छाने लगा है। मंदिरों में भी तैयारियां शुरू हो रही है। शहर में जन्माष्टमी के नजदीक आने के बाद बाजारों में कान्हा की मूर्तियों की पोषाक की ब्रिकी शुरू हो गई है। बाजारों में पहुंचकर महिलाएं खरीदारी कर रही हैं। ज्यादातर भक्त नए कलेक्शन को खरीदना पसंद कर रहे हैं। दुकानों पर लड्डू गोपाल सजने लगे हैं।
लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव समारोह में अब एक दिन बचा है। मंदिरों से लेकर घरों तक तैयारियां शुरू हो गई है। कस्बे से लेकर गांवों तक के मुख्य बाजारों में बर्तन और मूर्तियां की दुकानों पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं सज गई हैं। राधा-कृष्ण की पोषाकों की ब्रिकी होने लगी है।
कान्हा के श्रंगार का सामान भी बिक रहा है। बाजारों में श्रीकृष्ण की मूर्तियां, रंग-बिरंगे आकर्षक झूले। श्री राधाकृष्ण की मनामोहक पोषाकें, ¨सहासन, बंशी वालों की चोटी, कान के टॉप्स, नग वाली बाली और मोतियों व विभिन्न रत्नों से जड़ित मुकुट लोग खरीद रहे हैं। कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है। अधिकतर लोग कान्हा की नई ड्रेसों को भी पसंद कर रहे है। घरों में बने मंदिरों को सजाने के लिए अबरी कागजों की खरीदारी की जा रही है। स्कूलों में भी जन्माष्टमी को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन होना शुरू हो गया है। किराना बाजार से लेकर पूजन साम्रगी बेचने वालों तक के यहां भीड़ लगी है।