राम का वन गमन..वियोग में दशरथ ने त्यागे प्राण
सरधना कस्बे में अशोक की लाट के पास मैदान में रामामंडल के कलाकारों ने रामलीला का शानदार मंचन किया। इसी क्रम में शुक्रवार को भगवान श्रीराम लक्ष्मण व सीता वन को जाते हैं तो उनके साथ भी अयोध्यावासी चलते है। इसके बाद प्रभु श्रीराम वन में आराम करते है।
मेरठ, जेएनएन। सरधना कस्बे में अशोक की लाट के पास मैदान में रामामंडल के कलाकारों ने रामलीला का शानदार मंचन किया। इसी क्रम में शुक्रवार को भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व सीता वन को जाते हैं तो उनके साथ भी अयोध्यावासी चलते है। इसके बाद प्रभु श्रीराम वन में आराम करते है। जब अयोध्यावासी सो जाते है। तत्तपश्चात प्रभु आगे चल देते है। वहीं, राम के वियोग में राजा दशरथ प्राण त्याग देते हैं। रामलीला कमेटी के प्रधान देवेंद्र कुमार बंसल, उपप्रधान शरद त्यागी, कोषाध्यक्ष मूलचंद सैनी व मंत्री तेजस्वी भगवान मित्तल, प्रमोद सक्सेना, सोनू त्यागी व एडवोकेट विरेंद्र सिंह सैनी आदि मौजूद रहे।
अगस्त मुनि ने राम को भेंट किए अस्त-शस्त्र : किठौर कस्बे में शुक्रवार को चित्रकूट लीला, सूपर्नखा की नाक कटना, खर-दूषण का वध तक की लीला का मंचन किया गया। लीला मंचन को देखने के लिए लोग उमड़ पड़े। अगस्त्य मुनि ने राम को अमोघ अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए और उनके प्रयोग की विधि तथा उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय भी बताए।
श्रीराम के प्रकार आग्रह करने पर मुनि ने विविध प्रकार के अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए तथा कहा कि इनका सावधानी से प्रयोग करना। तत्पश्चात राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ आसुरी शक्तियों के विनाश और ऋषियों मुनियों की रक्षा करने के लिए यज्ञ किया। शोभायात्रा के रूप में राम,सीता, लक्ष्मण वापस बड़ी ब्रह्मापुरी स्थित लीला स्थल तक आए। लीला के दूसरे चरण में राम से दुराग्रह पूर्वक विवाह करने की जिद वाली सूपर्नखा को राम ने समझाया कि वे विवाहित हैं, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थी। फिर लक्ष्मण ने भी उसे बहुत समझाया, लेकिन सूपर्नखा नहीं मानी। अंतत: लक्ष्मण ने उसे नाक कान विहीन कर दिया। बाद में खर-दूषण वध की लीला का मंचन किया गया। भाषकरण शर्मा, अमन बंसल, संदीप वशिष्ठ, यश, मुकेश गोयल व मनोज आदि रहे।