बारिश के पानी से हरी कर रहे धरती की कोख
न्यूनतम लागत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम यूनिट लगाने में करते हैं मदद। निजी आवास, सरकारी भवन, परिसर आदि में स्थापित कराईं 73 यूनिट।
मेरठ। (प्रदीप द्विवेदी) गिरते भू-जल स्तर से नुकसान और भविष्य की चुनौतियों पर बयानबाजी तो खूब होती हैं, लेकिन इस दिशा में ठोस काम करने वाले कम ही लोग दिखते हैं। लगातार जल दोहन से खाली हो रही धरती की कोख को हरी करने का बीड़ा उठाया चार्टर्ड इंजीनियर बीडी शर्मा ने। उनके प्रयास से हर साल करीब 50 करोड़ लीटर वर्षा जल धरती में समा रहा है।
इस तरह बनाया मिशन
आमतौर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की एक यूनिट लगवाने में पांच से 20 लाख रुपये तक खर्च होते हैं लेकिन बीडी शर्मा खास तकनीक के माध्यम से इसे डेढ़ लाख रुपये में स्थापित करा देते हैं। न्यूनतम लागत में यूनिट स्थापित करने की यह तकनीक काफी लोगों को पसंद भी आती है। हालांकि, हर साल सरकार भी रेन वाटर सिस्टम लगवाने की कवायद करती है, लेकिन इसका मकसद और परिणाम दोनों कागजी दिखते हैं। वह शहर के ऐसे संपन्न लोगों से मिले जो इसकी उपयोगिता समझने के साथ यूनिट लगवाने का खर्च उठाने में भी सक्षम हैं। धार्मिक, सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाओं के पदाधिकारियों से मिलकर इस बारे में बताया। उनके इस प्रयास से साल 2009 से अब तक 73 स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित की जा चुकी हैं। यह कार्य वह भारत विकास परिषद अभिनव शाखा के बैनर तले करते हैं। प्रमुख स्थान, जहां लगवाए सिस्टम
श्रीराम मंदिर विद्यालय, लालकुर्ती, श्री औघड़नाथ मंदिर, केशव भवन, योग प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य केंद्र साकेत, विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एस्टेट, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, हापुड़ रोड समेत 73 स्थान शामिल हैं। औघड़नाथ मंदिर में जितना जल शिवलिंग पर चढ़ता है सब भूमिगत होता है।
पानी संग्रहण का ये है गणित
किसी क्षेत्र को बारिश के रूप में जितनी मात्रा में पानी प्राप्त होता है, वह उस क्षेत्र की वर्षा जल संपदा कहलाती है। इस तरह से प्रति मिमी बारिश और जल एकत्र होने की क्षमता से जल संग्रहण की क्षमता तय होती है। एक आंकड़े के अनुसार पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 10 से 12 हजार एमएचएम पानी बरसता है। एमएचएम का अर्थ होता है 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर एक मीटर गहरा पानी। यदि किसी इमारत की समतल छत का क्षेत्र 100 वर्ग मीटर है तो इस छत पर एक साल में 600 मिमी पानी भर जाएगा। इस तरह से इस छत पर 60 घन मीटर यानी 60 हजार लीटर वर्षा जल एकत्र हुआ। जल की कुछ मात्रा बह जाने पर भी पानी संग्रहण 60 प्रतिशत मान लिया जाता है। इस गणना के मुताबिक पानी का कुल संग्रहण 36 हजार लीटर हुआ। इस तरह से जिस क्षेत्र में ये 73 यूनिट लगाई गई हैं उसके आकलन के अनुसार करीब 50 करोड़ लीटर वर्षा जल संग्रहीत होकर धरती में रिचार्ज होता है।