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वेस्ट यूपी में बादलों ने जमाया डेरा, रिमझिम फुहारों ने छुड़ाई कंपकंपी

पहाड़ों पर बर्फबारी के साथ मैदानी इलाकों में आज बारिश शुरू हो गई। मेरठ में तड़के से बादल छाए रहे और रुक-रुककर बारिश होती रही। इससे ठंड बढ़ गई है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 11:44 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 11:44 AM (IST)
वेस्ट यूपी में बादलों ने जमाया डेरा, रिमझिम फुहारों ने छुड़ाई कंपकंपी
वेस्ट यूपी में बादलों ने जमाया डेरा, रिमझिम फुहारों ने छुड़ाई कंपकंपी
मेरठ, जेएनएन। पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के बाद रविवार को एनसीआर और पश्चिम उत्तर प्रदेश में तड़के से ही बादलों ने डेरा जमा लिया। बागपत, बुलंदशहर, शामली मेरठ में बूंदाबांदी हुई।
पूर्वानुमान था
मौसम विशेषज्ञों ने पांच से सात जनवरी के बीच बारिश की भविष्यवाणी की थी। जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड में पिछले तीन-चार दिनों से बर्फबारी और बारिश के लिए जिम्मेदार पश्चिम विक्षोभ अब पूर्व की ओर बढ़ गया है। इसके प्रभाव से साल की पहली बारिश से लोग दो-चार हुए। तापमान लुढ़क गया। छुट्टी का दिन होने के कारण लोग घरों में ही दुबके रहे। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार रविवार को कोल्ड-डे रहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 15 डिग्री के आसपास रहेगा। बारिश और हवा के चलते प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ।
पड़ेगी कड़ाके की ठंड
एनसीआर में अगले 24 घंटों में बारिश की संभावना जताई गई थी। पूरे क्षेत्र में तेज सर्द हवाओं के झोंके बहने से ठंड का प्रकोप बढ़ने की आशंका मौसम विशेषज्ञों ने जतायी है। पर्वतीय इलाकों को बर्फ से पूरी तरह आच्छादित करने वाला पश्चिम विक्षोभ अब पूर्व की ओर आगे बढ़ गया है। छह को दिल्ली और आसपास के इलाकों में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के डा. यूपी शाही ने बताया कि पश्चिम विक्षोभ कमजोर पड़ गया है जैसी बारिश की संभावना जतायी जा रही थी वैसी अब नहीं होगी। लेकिन तापमान पर इसका प्रभाव पड़ेगा। मेरठ में बादल छाए रहने की संभावना है, जिससे दिन का तापमान गिरेगा। दिन में कड़ाके की ठंड से दो-चार होना पड़ सकता है।
रबी की फसल की सुरक्षा करें किसान
जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने मौसम के रुख को देखते हुए रबी की फसलों में किसानों को आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने के निर्देश दिए है। देर से बोई जाने वाली गेंहू की प्रजातियों में एचआई-1563, डीबीडब्ल्यु 16,के 307, के 9423, के 9162, एन डब्ल्यू1076, एवं पीबीडब्ल्य 373 की बुआई के लिए 120 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का प्रयोग करें तथा लाइन से लाइन की दूरी 18 से 20 सेमी रखी जाए। जिससे सरसां की फसल पर एफिड कीट का प्रकोप होने की सम्भावना है। जिसका उपचार कृषि विशेषज्ञों के निर्देशन में करना चाहिए। आलू की फसल को पाले व कोहरे से बचाव के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।

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