इन पेड़ वाले अंकल को सैल्यूट कीजिए, सड़क किनारे लगा चुके हैं सैकड़ों पेड़, सींचने का है अनूठा तरीका
पेशे से ट्रैक्टर पाट्र्स की दुकान करने वाले राघवेंद्र चौधरी का पर्यावरण प्रेम किसी से छुपा नहीं है। सड़क किनारे सैकड़ों पौधे लगा चुके राघवेंद्र चौधरी। पेड़ों के प्रति अनुराग के चलते लोग कहते हैं पेड़ वाले अंकल।
बुलंदशहर, [अनुज सोलंकी]। हम सायादार पेड़ जमाने के काम आए,जब सूखने लगे तो जलाने के काम आए।
वृक्षों की महत्ता बयान करता यह शेर राघवेंद्र चौधरी ने अपनी जिंदगी में पूरी तरह आत्मसात कर लिया है। इन्होंने पौधों को पानी देने का अनोखा तरीका अपनाया है। वह बुग्गी में टैंक लादकर उसमें भरे पानी से पौधों को सींच रहे हैं। उनका मकसद इतना है कि उनके द्वारा रोपित किया गया कोई भी पौधा सूखने न पाए। वह वृक्ष बनकर धरती का आभूषण बन जाए।
मोहल्ला मुरारीनगर स्थित श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर कालोनी निवासी राघवेंद्र चौधरी बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम को देखते ही अधिकांश लोग उन्हें पेड़ वाले अंकल के नाम से जानते हैं। उनके द्वारा सड़क किनारे, खाली मैदान आदि स्थानों पर लगाए गए सैकड़ों पौधे आज वृक्ष बनकर लहलहा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय रामखिलाड़ी को प्रकृति से बेहद लगाव था। वह पौधों की देखरेख करते थे। अपने पिता के नक्शे कदम पर ही उन्होंने पृथ्वी का श्रंगार करने का जुनून अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। वह वर्षभर में काफी पौधे रोपित कर देते हैं। उनकी देखरेख करने की जिम्मेदारी भी स्वयं उठाते हैं।
लाकडाउन में कर रहे कठिन परिश्रम
पेशे से ट्रैक्टर पाट्र्स की दुकान करने वाले राघवेंद्र चौधरी का पर्यावरण प्रेम किसी से छुपा नहीं है। कोरोना को लेकर शनिवार और रविवार को साप्ताहिक लाकडाउन लगा है। जहां पहले वह मात्र 25 लीटर की टंकी लेकर पौधों में पानी दे रहे थे। वहीं अब उन्होंने एक दिन में अधिक पौधों में पानी लगाने का लक्ष्य बनाया। उन्होंने एक बुग्गी की व्यवस्था की। इसमें एक हजार लीटर पानी का टैंक रखा और उसमें पानी भरने के बाद वह पौधों को सींचने दिन में सुबह-शाम दो समय निकल पड़ते हैं। उनका कहना है कि गर्मी के इस मौसम में एक भी पौधा पानी के अभाव में सूखने न पाए। इसके लिए वह पूरा प्रयास कर रहे हैं।
इन्होंने बताया...
मैंने अपने पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण को लेकर समर्पित कर दिया है। उत्तर-प्रदेश के अलावा, दिल्ली, हरियाणा आदि स्थानों पर भी पौधे लगाए हैं। समय-समय पर बाहर लगाए पौधों को देखने के लिए जाता रहता हूं। वहीं हर किसी से यही अपील है कि वह पौधे लगाए।
-राघवेंद्र चौधरी।