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लोनिवि ने कैंट बोर्ड से पूछा, हमारी सड़क पर कैसे वसूला जा रहा टोल, नियम बताएं Meerut News

लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता ने छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी से पूछा कि टोल बैरियर लगाने से पहले अनापत्ति पत्र क्यों नहीं लिया गया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 11:30 AM (IST)
लोनिवि ने कैंट बोर्ड से पूछा, हमारी सड़क पर कैसे वसूला जा रहा टोल, नियम बताएं Meerut News
लोनिवि ने कैंट बोर्ड से पूछा, हमारी सड़क पर कैसे वसूला जा रहा टोल, नियम बताएं Meerut News

मेरठ, जेएनएन। छावनी अंतर्गत 11 स्थानों पर कैंट बोर्ड की ओर से किए जा रहे व्यवसायिक शुल्क वसूली के विरोध में व्यापारी व आमजन तो परेशान हो रही रहे है साथ में अब लोक निर्माण विभाग ने भी छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखकर सवाल खड़े किए हैं। लोनिवि के अधिशासी अभियंता ने पत्र लिखकर पूछा है कि दिल्ली रोड पर किमी 63 में टोल बरियर लगाकर की जाने वाली कार्रवाई किस अधिकार के तहत की जा रही है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता को डीएम ने तलब करते हुए नाराजगी व्यक्त की है।

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पत्र लिखकर बताया

लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता अरविंद कुमार ने छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने बताया है कि दिल्ली रोड पर फैज ए आम इंटर कॉलेज के पास 63 में टोल बरियर लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही है। क्योंकि यह मार्ग लोनिवि के स्वामित्व का है, अत: बैरियर लगाने से पूर्व लोनिवि से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए था।

कौन सा नियम है यह भी बताएं

अधिशासी अभियंता ने यह भी पूछा है कि टोल बरियर किस नियम आदेश के तहत लगाने की कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में डीएम ने जानकारी मांगी है। पत्र में लिखा है कि संबंधित बरियर लगाने के लिए नियम आदेश प्रस्तुत करते हुए इस खंड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के उपरांत ही बरियर लगाने का कार्य किया जाए।

11 स्थानों पर वसूला जा रहा व्यवसायिक शुल्क

शनिवार की रात 12 बजे से शहर में तीन स्थानों पर छावनी परिषद ने तीन जगह टोल लगाकर वसूली आरंभ की है। इसमें दिल्ली रोड पर फैज ए आम इंटर कॉलेज के सामने, रुड़की रोड व मवाना रोड पर डेयरी फार्म के सामने टोल बरियर लगाया गया है। शुल्क वसूली के यह टोल विवादों में घिर गए हैं। क्योंकि इन सड़कों के स्वामित्व वाले विभागों ने सवाल उठाते हुए अधिशासी अधिकारी को पत्र लिखा है।  


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