शहीद की मां ने कहा-पाकिस्तान को खत्म करना मुश्किल नहीं, पिता की कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग
शहीद अजय कुमार की अंतिम यात्रा सैन्य सम्मान से उनके गांव गई। इस दौरान बेहद द्रवित मां ने कहा कि मुझे अपने बेटे अजय कुमार पर गर्व है। उसने मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।
मेरठ, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में कल आतंकियों से मोर्चा लेने समय शहीद मेरठ के अजय कुमार के परिवार के लोग बेहद आहत हैं। इसके बाद भी यह लोग बेटे की शहादत का बदला चाहते हैं। अजय कुमार की मां ने कहा कि पाकिस्तान इतना बड़ा भी नहीं कि उसे खत्म न किया जा सके। पिता रिटायर्ड फौजी तो पोते को भी फौज में भेजने को तैयार है। वह चाहते हैं कि कश्मीर से धारा 370 को हटाया जाये।
शहीद अजय कुमार की अंतिम यात्रा आज मेरठ में सैन्य सम्मान से उनके गांव गई। इस दौरान बेहद द्रवित मां ने कहा कि मुझे अपने बेटे अजय कुमार पर गर्व है। उसने मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। शहीद अजय कुमार की मां ने कहा कि पाकिस्तान ने इतने सारे बेटों को मार डाला, पाकिस्तान इतना बड़ा भी नहीं है कि उसे खत्म ना किया जा सके। भारत एक दिन में पाकिस्तान का खात्मा कर सकता है। मुझे मेरे बेटे पर गर्व है, उसने अपने देश की रक्षा के लिए शहादत दी है।
पुलवामा में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए अजय कुमार के पिता वीरपाल सिंह सेना से रिटायर्ड हैं। अजय के पिता वीरपाल भी गम और गुस्से में हैं। वीरपाल ने कहा कि अब तो सरकार को तत्काल कश्मीर से धारा 370 हटानी चाहिए। फौज को खुली छूट दी जाए। अब तो आदेश दें पत्थरबाजों और आतंकियों को देखते गोली मार दी जाए। वीरपाल ने कहा बार्डर पर उनका बेटा अकेला नहीं था। देश के और भी किसानों-मजदूरों के बेटे बार्डर पर हैं।
वीरपाल सिंह कहते हैं कि हमारे नेता कमजोर हैं। उन्हें वोट चाहिए, वरना वहां से 370 क्यों नहीं हटा ली जाती। फौज को खुली छूट क्यों नहीं दी जाती। फौज वहां बेबस है और पत्थरबाज पत्थर बरसा रहे हैं। आखिर देश के नेताओं के बेटे तो बार्डर पर नहीं जाते फिर वह कड़े फैसले क्यों लेंगे। वीरपाल कहते हैं कि फौज को एक्शन की आजादी मिलनी चाहिए। आतंकी चाहे कश्मीरी हो, पाकिस्तानी हो या फिर अफगानी या फिर पत्थरबाज देखते ही गोली मारने की छूट देनी चाहिए।
अजय के पिता वीरपाल ने कहा बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन कब तक हमारे सैनिकों के शव आते रहेंगे। सरकार को चार के बदले चालीस आंतकियों को मार गिराना चाहिए। अजय की मां का कहना है कुछ भी हो जाए, लेकिन मेरे बेटे की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए। वीरपाल सिंह का कहना है वह अपने पोते आरव को भी सेना में भेजेंगे।
रविवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ से पहले अजय कुमार ने अपनी पत्नी डिंपल से फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि फिक्र मत करना मैं एक स्पेशल टास्क पर जा रहा हूं। कल सुबह पति की शहादत की खबर सुनते ही पत्नी डिंपल बेहोश हो गईं। अजय कुमार सात अप्रैल 2011 को 20 ग्रेनेडियर्स में नियुक्त हुए थे। वह 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। अजय कुमार 31 जनवरी को एक माह की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे। अजय अपने परिवार के इकलौते सहारे थे। उनके भाई की सात माह पहले बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अजय की शादी चार साल पहले हुई थी। उनका एक ढाई साल का बेटा है। जिसका नाम आरव है। परिवार की माने तो अब देश सेवा के लिए उनके परिवार का अगला फौजी आरव होगा।