प्रस्ताव पास: वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मुख्य लाइन से जुड़ेंगे मेरठ के चार भूमिगत जलाशय
नगर आयुक्त मनीष बंसल की पहल पर 14वें वित्त आयोग की बैठक में लंबे समय से सूखे पड़े गंगाजल पेयजल योजना के चार भूमिगत जलाशयों को चालू करने का प्रस्ताव पास किया गया है। जलनिगम ने टेंडर की तकनीकी बिड खोल दी है।
मेरठ, जेएनएन। शहर के चार भूमिगत जलाशयों तक गंगाजल पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई है। जलनिगम ने टेंडर की तकनीकी बिड खोल दी है। नगर आयुक्त मनीष बंसल की पहल पर 14वें वित्त आयोग की बैठक में लंबे समय से सूखे पड़े गंगाजल पेयजल योजना के चार भूमिगत जलाशयों को चालू करने का प्रस्ताव पास किया गया है। भूमिगत जलाशयों में बच्चा पार्क, नौचंदी, गोलाकुआं और शास्त्रीनगर सेक्टर 12 शामिल हैं। ये भूमिगत जलाशय भोला की झाल स्थित 100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मुख्य पाइन लाइन से जोड़े जाने हैं। इन जलाशयों के आसपास से ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मुख्य पाइप लाइन गुजर रही है। चारों भूमिगत जलाशयों को जोड़ने के लिए जल निगम को पांच किमी. नई पाइप लाइन डालनी पड़ेगी। मुख्य पाइप लाइन से ही गंगाजल आपूर्ति भोला की झाल से होती है।
गंगाजल आपूर्ति की मुख्य पाइप लाइन से जुड़ने के बाद शास्त्रीनगर सेक्टर 12, नौचंदी, गोलाकुआं और बच्चा पार्क भूमिगत जलाशय से जुड़े मोहल्लों को गंगाजल की आपूर्ति होने लगेगी। करीब पांच लाख आबादी इससे लाभांवित होगी। जलकल के 20 नलकूपों से भूजल दोहन रुक जाएगा। जलकल महाप्रबंधक कुमार गौरव ने कहा कि कुल सात एजेंसियों ने निविदा डाली है। उम्मीद है कि जून में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एजेंसियों को वर्क आर्डर जारी कर दिए जाएंगे।
300 वर्ग मीटर तक आर्किटेक्ट ही पास कर देंगे नक्शा
आवासीय भवनों के मानचित्र स्वीकृति के मामले में बड़ा कदम सरकार ने उठाया है। 300 वर्ग मीटर तक के एकल आवासीय भवनों का मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार आर्किटेक्ट को दे दिया है। एमडीए के पोर्टल पर सिर्फ मानचित्र अपलोड होगा। साफ्टवेयर आनलाइन स्क्रूटनी करेगा। स्वीकृति से संबंधित कोई कार्य एमडीए को नहीं करना है। इस संबंध में शासनादेश जारी हो गया है। इसे 21 मई से लागू कर दिया गया है। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के आदेशानुसार यदि मानचित्र भवन निर्माण एवं विकास उपविधि के अंतर्गत रहेगा। मास्टर प्लान व जोनल प्लान का पालन होना चाहिए। ऐसे मानचित्र स्वत: स्वीकृत मान लिए जाएंगे। हालांकि यह छूट एकल आवासीय भवनों के लिए है। मेरठ आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष व प्रदेश सरकार की समिति के सदस्य अंकित अग्रवाल ने बताया कि ऐसे भवनों के मानचित्र एमडीए के पोर्टल पर अपलोड होंगे। आनलाइन साफ्टवेयर निर्धारित नियमों के अनुसार मानचित्र की जांच करेगा। दस्तावेजों का परीक्षण करेगा। यदि कोई आपत्ति नहीं होगी तो उसे शासन में भेज देगा। शासन से स्वीकृति मिल जाएगी।