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सहारनपुर से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल सफर कर रहे प्रवीण मेरठ में बोले- मुझे चाहिए सामाजिक इंसाफ

इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पैदल यात्रा कर रहे प्रवीण बताते हैं कि बाद में सरकारी एजेंसियों द्वारा तो उन्हें निर्दोष करार दे दिया गया लेकिन अब सामाजिक प्रताडऩा का दौर जारी है। उन्हें व उनके परिवार को बेतरह परेशान किया जा रहा है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 06:00 AM (IST)
सहारनपुर से सुप्रीम कोर्ट तक पैदल सफर कर रहे प्रवीण मेरठ में बोले- मुझे चाहिए सामाजिक इंसाफ
मतांतरण में आया था नाम, मोदी व योगी पर लिख चुके किताब हैं प्रवीण कुमार पर्व।

मेरठ, जागरण संवाददाता। प्रवीण कुमार पर्व। यह एक नाम उन हजार लोगों की सूची में शामिल था, जिनके बारे में यह बताया गया कि उन्होंने मतांतरण किया है। जैसा कि प्रवीण बताते हैं कि, बाद में सरकारी एजेंसियों द्वारा तो उन्हें निर्दोष करार दे दिया गया लेकिन अब सामाजिक प्रताडऩा का दौर जारी है। उन्हें व उनके परिवार को बेतरह परेशान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी पर दो किताबें लिख चुके प्रवीण इस सामाजिक प्रताडऩा से आहत होकर अब सहारनपुर से सुप्रीम कोर्ट तक के पैदल सफर पर हैं। इसे उन्होंने नाम दिया है, सामाजिक न्याय यात्रा। शुक्रवार को उन्होंने मेरठ शहर पार किया। मन बेहद दुखी लेकिन आत्मबल बेहद मजबूत। प्रवीण सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर याचिका के माध्यम से सामाजिक इंसाफ दिलाने की गुहार लगाएंगे।

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कर रहे हैं पीएचडी की तैयारी

सहारनपुर के नांगल थाना अंतर्गत शीतलाखेड़ी ग्राम निवासी प्रवीण कुमार पर्व पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं। माता, पिता, दो भाई, एक बहन, पत्नी और दो बच्चों को भरा पूरा परिवार है। सन 2016 में उन्होंने एक किताब लिखी, नमो गाथा, मोदी एक विचार। इसके बाद 2017 में दूसरी किताब लिखी, योगीराज से योगी राज तक। दोनों किताबें आनलाइन प्लेटफार्म पर मौजूद हैं। प्रवीण के जीवन में मुश्किलें तब बढ़ीं जब जून माह में एटीएस लखनऊ ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। एटीएस ने बताया था कि इन गिरफ्तार लोगों ने हजार लोगों का मतांतरण कराया था, उन हजार लोगों में एक नाम प्रवीण का भी था। इसके बाद 21 जून को एटीएस पहुंची प्रवीण के गांव। चार दिनों तक टीम आती रही, पूछताछ होती रही।

सामाजिक प्रताड़ना का दौर 

इसके बाद प्रवीण को लखनऊ भी ले जाया गया। प्रवीण के अनुसार, पुलिस, प्रशासनिक अफसरों और एटीएस टीम का व्यवहार बहुत अच्छा था और उन सभी ने माना कि प्रवीण का नाम सूची में गलत दर्ज था, वह निर्दोष हैं। बहरहाल, इसके बाद गांव लौटे प्रवीण और उनके परिवार की सामाजिक प्रताडऩा का दौर शुरू हुआ। उनके घर के बाहर आतंकवादी जैसे शब्द लिखे गए, घर में चिट्ठियां फेंकी गईं जिनपर लिखा होता था पाकिस्तान जाओ, कुछ लोग परिवार को ताने मारने लगे। प्रवीण के लिए यह असहनीय सा हो गया।

पैदल यात्रा का संकल्‍प 

अंतत: 27 जुलाई को प्रवीण कुमार ने सामाजिक न्याय यात्रा का संकल्प लिया और सहारनपुर कलक्ट्रेट से सुप्रीम कोर्ट के पैदल सफर पर निकल पड़े। शुक्रवार को संजय वन के पास मौजूद प्रवीण ने बताया कि पुलिस द्वारा उन्हें यात्रा रोकने व वापस लौट जाने के लिए भी कहा गया लेकिन उनका सफर जारी रहेगा। प्रवीण रोज करीब 20 किलोमीटर पैदल चलते हैं, अनुमान है कि पांच या छह अगस्त को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाएंगे। वहां याचिका दायर कर सामाजिक प्रताडऩा से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाएंगे, परिवार की रक्षा की फरियाद करेंगे।

इनका कहना है

हमने प्रवीण पर वापस आने का कोई दबाव नही बनाया। प्रवीण कुमार को लखनऊ एटीएस क्लीन चिट दे चुकी है इसलिए उनके घर उनकी समस्या जानने के लिए हमने नांगल थाना प्रभारी बीनू चौधरी को भेजा जरूर था। प्रवीण के पिता से अनुरोध भी किया गया था कि उनकी जो भी समस्या है, उसे हल कर दिया जाएगा। प्रवीण को वापस बुला लें, परिवार ने वापस बुलाने का भरोसा भी दिया लेकिन प्रवीण नही माने। प्रवीण ने हमें अभी तक अपनी समस्या नहीं बताई है।

- डा. एस चन्नपा, एसएसपी सहारनपुर

पदयात्रा से जुड़े किसी भी युवक को पुलिस ने रोका-टोका नहीं है। इतना जरूर है कि रात में गश्त के दौरान अगर कोई सड़क किनारे या रेलवे स्टेशन पर बेवजह सोता, टहलता दिखता है तो पुलिस ऐसे लोगों को टोकती है। सुरक्षा कारणों से यह जरूरी भी है। हो सकता है कि पुलिस को पदयात्रा वाले युवक के बारे में अधिक जानकारी न हो।

- कुंवलपाल सिंह, कार्यवाहक एसओ दौराला, मेरठ


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