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जूट की चादर से छनेगा पानी, निर्मल होंगे तालाब

केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट के तहत नेशनल इंस्टीटयूट आफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की तालाबों के मुहाने पर जूट की शीट लगा रहा है, जिससे छनकर पानी 90 फीसद तक साफ हो जाएगा।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 04:45 PM (IST)
जूट की चादर से छनेगा पानी, निर्मल होंगे तालाब
जूट की चादर से छनेगा पानी, निर्मल होंगे तालाब
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। अगर प्रदूषित पानी को जूट की चादर से गुजारकर शुद्ध कर लिया जाए और बिजली भी न खर्च हो तो इससे सरल तरीका भला क्या हो सकता है। बजबजाते तालाबों की सफाई को लेकर बड़ी योजना शुरू की गई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के पायलट प्रोजेक्ट के तहत नेशनल इंस्टीटयूट आफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की तालाबों के मुहाने पर जूट की शीट लगा रहा है, जिससे छनकर पानी 90 फीसद तक साफ हो जाएगा। इसे मत्स्य पालन और सिंचाई में प्रयोग करने के साथ-साथ भूजल स्तर भी सुधरेगा।
जूट के चैंबर पर लगेंगे पौधे
नेशनल इंस्टीटयूट आफ हाइड्रोलाजी रुड़की की टीम पहले चरण में मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत समेत तीन जिलों के चुनिंदा 20 गांवों में तालाब की सफाई करेगी। तलहटी में जमा कीचड़ निकालने के साथ ही इसके मुहाने पर पौंड बनाकर इसमें जूट की चादर लगाई जाएगी। गांवों या कस्बे का कचरायुक्त पानी इस जूट के चैंबर से छनकर तालाब में गिरेगा। चैंबर में केना, इरीडग्रास एवं टाइफा समेत कई अन्य प्रदूषणनाशी पौधे लगे होंगे। इनकी जड़ें प्रदूषण को सोखती है। जूट के चेंबर से निकले पानी के टीडीएस, पीएम मान, वैद्युत चालकता, कठोरता, कार्बोनेट समेत अन्य मानकों की नियमित जांच होगी। चार माह में चेंबर बदला जाएगा। यह तकनीक गांव वाले अपने स्तर से भी लगा सकेंगे।

दो सांसदों की पहल लाई रंग
रुड़की के वैज्ञानिक डा. वीसी गोयल ने बताया कि बागपत में सांसद डा. सत्यपाल सिंह एवं मुजफ्फरनगर में डा. संजीव बालियान ने अपने-अपने क्षेत्र में दर्जनभर पोंड बनाने के लिए केंद्र सरकार से संपर्क साधा। गांवों में बड़े पैमाने पर प्रदूषित कचरा तालाबों में फेंकने से भूजल विषाक्त हुआ। तलछट में सिल्ट जमने से भूजल रिचार्ज भी नहीं हो पाता। इस प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड में सफल प्रयोग हो चुका है। अब यह तकनीक मेरठ, बागपत एवं मुजफ्फरनगर में लगाई जा रही है।
रसायनों से मछलियों को भी कैंसर
गांवों की औद्योगिक इकाइयां बड़ी मात्रा में वेस्टेज तालाबों में फेंकती हैं। शौचालयों का कचरा भी तालाबों में जमा होता है। कई तालाबों में पारा, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक, जिंक एवं कैडमियम के अंश मिलने के साथ जिले के ज्यादातर तालाबों में मछलियां भी कैंसरग्रस्त मिली हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य जलीय जीवों में आनुवंशिक बदलाव मिला है।
इन्होंने कहा
तालाबों में भारी प्रदूषण से भूजल दूषित हुआ है। गांवों में बीमारियां फैलती हैं। प्रोजेक्ट के तहत मेरठ समेत चार जिलों में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। 12 पोंड बनाए जा चुके हैं। जूट की शीट पानी को 90 फीसद साफ कर देगी।
डा. वीसी गोयल, वैज्ञानिक, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी रुड़की 

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